जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। धरती की रफ्तार कम करने के बाद अब चीन ने एक और खतरनाक प्लान बनाया है। इस बार उसने धरती को खोखला करने की रणनीति बनाई है। उसने डीप ड्रिल प्रोजेक्ट लांच किया है। जिसके जरिए वो धरती के अंदर 15 हजार मीटर तक खुदाई करने वाला है। चीन के इस प्रोजेक्ट पर दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है। पड़ोसी देशों की जमीन हड़पने और दुनियाभर की समुद्रों को हड़पने की कोशिश करने वाले चीन की नजर अब धरती के अंदर छिपे खजाने पर है। दुनिया की लीडिंग ड्रिलिंग टेक्नोलॉजी विकसित करने के बाद अब चीन ने धरती के अंदर ड्रिल करने का प्रोजेक्ट लांच किया है। इस प्रोजेक्ट का मकसद पृथ्वी के अंदर छिपी एनर्जी को बाहर निकालना है। चीन इस प्रोजेक्ट के जरिए फ्यूजर एनर्जी सुरक्षित करना चाहता है। साथ वह पृथ्वी के आंतरिक भाग में क्या छिपा है, इसका पता लगाना चाहता है। साउथ चायना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट में चीन के इस खतरनाक प्लान के बारे में बताया है। रिपोर्ट के अनुसार इस प्रोजेक्ट के जरिए चीन धरती के नीचे करीब 15000 मीटर अल्ट्रा-ड्रिल करना चाहता है। उसके इस प्रोजेक्ट में चायना जियोलॉजिकल एकेडमी समेत कई विश्वविद्यालय, रिसर्च संस्थान और इंडस्ट्री मदद कर रही है। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने भी अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया है। शिन्हुआ के अनुसार डीप अर्थ नेशनल साइंस एंड टेक्नोलॉजी मेगाप्रोजेक्ट एक दूरदर्शी रणनीति है। इससे नेशनल एनर्जी और संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। साथ ही वैश्विक वैज्ञानिक इस पर शोध कर सकेंगे। चीन की राजधानी बीजिंग में हाल ही में इस प्रोजेक्ट को लांच किया गया है। चीनी समाचार एजेंसी के अनुसार इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य जितनी जल्दी हो सके मूल, ऐतिहासिक और अग्रणी वैज्ञानिक कामयाबी हासिल करना है। जिससे दुनिया में कहीं और भी डब डीप ड्रिल हो, तो उसके लिए चीन एक बेंचमार्क स्थापित कर सके। वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी का गहरा आंतरिक भाग खुदाई के लिए काफी ज्यादा मुश्किल और रहस्यमय चुनौतीपूर्ण वातावरणों से बना है। 10,000 मीटर की गहराई पर तापमान 260 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो जाता है। इसका दबाव 1,100 मेगापास्कल से ज्यादा हो सकता है। लिहाजा, ड्रिल करने के लिए ऐसी टेक्नोलॉजी होनी चाहिए, जो इन चुनौतियों से पार पा सके। वैत्रानिकों का कहना है, कि पृथ्वी के अंदर ज्यादा गहराई में ड्रिल करना स्पेस में जाने से भी ज्यादा मुश्किल काम है। इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। यह पृथ्वी का संतुलन बिगाड़ सकता है। बता दें कि चीन इससे पहले भी दुनिया का दूसरा सबसे गहरा कुआं खोद चुका है। चीन का सबसे गहरा तेल कुआं करीब 11,000 मीटर तक फैला हुआ है। यह दुनिया का दूसरा सबसे गहरा तेल कुआं बनाता है। शिनजियांग प्रांत के शाया काउंटी में स्थित इस कुएं को चीन नेशनल पेट्रोलियम कॉपोर्रेशन ने बनाया था। दुनिया का सबसे गहरे कुएं की बात करें तो यह रूस का जेड-44 चायवो है। जिसे पूर्वी रूस में सखालिन शेल्फ पर ड्रिल किया गया था। इस कुएं की गहराई करीब 15 हजार मीटर तक है। चीनी जियोलॉजी साइंस एकेडमी के अनुसार 1980 के दशक से ही चीन ने हिमालय और तिब्बती क्षेत्रों का स्टडी करने का प्लान बनाया था। इसके लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और फ्रांस समेत अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिकों का सहयोग लिया। हाल ही में, चीन ने अर्थ सीटी प्रोजेक्ट का प्रस्ताव रखा। जिसका मकसद पृथ्वी की पपड़ी की एक वैश्विक क्रॉस-सेक्शनल इमेजिंग प्रणाली बनाना है। भूमि-आधारित ड्रिलिंग के अलावा, चीन ने अपतटीय गहरे समुद्र में भी खोज कर रहा है। 023 में चीन ने अपने पहले घरेलू निर्मित महासागर ड्रिलिंग जहाज, मेंगजियांग को दुनिया के सामने पेश किया था। यह 11,000 मीटर की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है।
Rajneesh kumar tiwari