जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। एयरक्राफ्ट कैरियर की फौज पर इतरा रहे चीन की अब बोलती बंद करने के लिए नेवी का सबमरीन प्लान तैयार है। दुश्मन हर चाल को नाकाम करने के लिए भारतीय नौसेना में घातक अरिघात की एंट्री हो चुकी है। यह 750 किलोमीटर दूर बैठे दुश्मनों को नेस्तोनाबूत कर देगी। 29 अगस्त का दिन देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और भारतीय नौसेना के लिए बेहद अहम बन चुका है। देश की दूसरी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिघात राष्ट्र को समर्पित हो चुकी है। केंंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अरिघात को भारतीय नौसेना को सौंपा। इस पनडुब्बी का निर्माण विशाखापत्तनम स्थित भारतीय नौसेना के नेवी शिप बिल्डिंग सेंटर यानी एसबीसी में किया गया है। इससे पहले देश की पहली परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत 2009 में नौसेना में शामिल हुई थी। आईएनएस अरिघात और आईएनएस अरिहंत मिलकर काम करेगी। भारतीय नौसेना जल्द ही तीसरी पनडुब्बी को भी शामिल करने वाली है। दो और पनडुब्बियां साल 2035-36 तक तैयार हो जाएंगी। भारतीय नौसेना ने इन दोनों पनडुब्बियों से लंबी दूरी की परमाणु मिसाइलों का परीक्षण किया है। आईएनएस अरिघात, भारत की स्वदेशी रूप से निर्मित परमाणु पनडुब्बी है, जो भारतीय नौसेना की समुद्री शक्ति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। बता दें कि अरिहंत एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है शत्रु का नाश करने वाला। यह नाम पनडुब्बी के रणनीतिक महत्व को दर्शाता है। कई विकल्पों में से अरिहंत' नाम को चुना गया था। यह नाम सभी स्तरों पर स्वीकृत हुआ। यह नाम अपनी सूक्ष्मता और दृढ़ संकल्प को व्यक्त करने में सटीकता के कारण चुना गया था। आईएनएस अरिघात की विशेषताओं की बात करें तो इसका वजन 6000 टन है। इसकी लंबाई करीब 113 मीटर है। वहीं बीम 11 मीटर और ड्राफ्ट 9.5 मीटर का है। यह पानी के अंदर 980 से 1400 फीट की गहराई तक जा सकती है। पानी में रहने की इसकी रेंज असीमित है। यानी खाने की सप्लाई और मेंटेनेंस रहे तो महीनों समंदर में रह सकती है। इसमें 12 के 15 एसएलबीएम मिसाइल तैनात की गई हैं। सबमरीन से लांच होने वाली बैलिस्टिक मिसाइल की रेंज 750 किलोमीटर है। यानी इससे छोड़ी गई मिसाइल 750 किलोमीटर तक तबाही मचाएगी। इसमें चार के-4 मिसाइलें भी हैं। जिनकी रेंज 3500 किलोमीटर है। इसके अलावा इस पनडुब्बी में 21 इंच की छह टारपीडो लगी हैं। इसमें कई टारपीडो ट्यूब्स हैं, जो टारपीडो, मिसाइल और समुद्री बारूदी सुरंग बिछाने का काम करेंगी। इस पनडुब्बी के अंदर न्यूक्लियर रिएक्टर लगा है, जो परमाणु ईंधन से इस पनडुब्बी को सतह पर 28 किलोमीटर और पानी के अंदर 44 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड प्रदान करेगा।आईएनएस अरिहंत और अब इस पनडुब्बी के नौसेना में शामिल होने से देश के दोनों तरफ के तट दुश्मन के हमले से बचे रहेंगे। आईएनएस अरिघात सबमरीन समंदर में घात लगाकर दुश्मनों को खोज-खोज कर साफाया करेगी। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह परमाणु ऊर्जा से चलती है। यह पनडुब्बी दुश्मनों की नजरों से बचकर अचानक हमला करने में सक्षम है। पाकिस्तान हो या चीन दोनों ही इस पनडुब्बी की मौजूदगी की वजह से हमला करने की हिम्मत नहीं करेंगे।
Rajneesh kumar tiwari