जनप्रवाद ब्यूरो नई दिल्ली। बांग्लादेश से भारत आने के लिए नकली पासपोर्ट का मामला तूल पकड़ चुका है। देश में बढ़ रहे बांग्लादेशी घुसपैठिये देश की सुरक्षा के लिए बढ़ा खतरा बन रहे हैं। हैरानी वाली बात यह है कि उनके पास से फर्जी आधार कार्ड, पासपोर्ट से लेकर हर तरह के भारतीय दस्तावेज पाए जा रहे हैं। दिल्ली पुलिस के अलावा मुंबई पुलिस भी अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों के खिलाफ अभियान चला रही है। देश की राजधानी से लेकर कई राज्यों में इनकी घुसपैठ बढ़ गई है। बांग्लादेश में बिगड़ते हुए हालात का असर भारत पर पड़ा है। त्रिपुरा में घुसपैठ के मामले लगातर बढ़ रहे हैं। त्रिपुरा तीनों तरफ से बांग्लादेश से घिरा हुआ है। हाल ही में 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ये फर्जी आधार कार्ड के सहारे भारत में घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे। दावा है कि ये आधार कार्ड भारत में ही बनाए जा रहे हैं। इनकी मदद से बांग्लादेशी नागरिक भारत में प्रवेश कर लेते हैं। दूसरी ओर बांग्लादेश से भारत आने के लिए नकली पासपोर्ट के मामले में कोलकाता पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। इस मामले में सामने आया है कि 73 भारतीय पासपोर्ट फर्जी कागजातों को आधार बनाकर तैयार किए गए हैं। अनुमान जताया जा रहा है कि यह केवल एकलौता एजेंट नहीं है जो यह काम कर रहा था। इसके अलावा भी कई अन्य एजेंट इस काम में लिप्त हैं। मौजूदा समय में बंगाल घुसपैठियों का अड्डा बन चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक कोलकाता पुलिस ने अलग अलग इलाकों से इन दस्तावेजों में दर्ज पते की जानकारी मांगी। खुलासा हुआ कि ये पता असल में है ही नहीं। इस बीच पश्चिम बंगाल के डीजीपी राजीव कुमार ने विदेश मंत्रालय को नसीहत दी है। डीजीपी ने कहा कि केंद्र सरकार को पासपोर्ट वेरिफिकेशन प्रकिया को दुरुस्त करना चाहिए। दिल्ली पुलिस अवैध रूप से राजधानी में रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है। इसी क्रम में दिल्ली की दक्षिण जिला पुलिस ने सात अवैध प्रवासियों को पकड़कर डिपोर्ट कर दिया है। पुलिस ने झुग्गी झोपड़ी और संदिग्ध इलाकों में सर्च आपरेशन चलाया था। टीम ने 28 दिसंबर को छापेमारी के दौरान यह कामयाबी हासिल की। पुलिस मुखबिरों, समुदाय के सदस्यों और सीसीटीवी कैमरों के जरिए संदिग्ध प्रवासियों की जानकारी जुटा रही है। बंगलादेशी घुसपैठी केवल एक राज्य तक सीमित नहीं हैं। ये पूरे देश में फैल रहे हैं। झारखंड, बिहार के अलावा यूपी-उत्तराखंड में भी इनकी घुसपैठ बढ़ी है। अब सवाल उठता है कि ये भारत में कैसे प्रवेश कर लेते हैं। इनका रूट किया है। बता दें कि काम और रोजगार की तलाश में बांग्लादेश से ये लोग घुसपैठ करते हैं। ये लोग दलालों के माध्यम से फर्जी दस्तावेज बनवा लेते हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसने के बाद ये लोग देश के अन्य हिस्सों में आसानी से पहुंच जाते हैं। इस घुसपैठ के बाद लोगों को पहचानना प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है। फर्जी आधार कार्ड का असली या नकली होना जांचने के लिए पर्याप्त तकनीकी सुविधाएं नहीं हैं। यह स्थिति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर रही है। यह आज की बात नहीं है बल्कि 25 सालों से यह खेल चल रहा है। भारत के गृह सचिव माधव गोडबोले ने 25 साल पहले 2000 में भारत सरकार को एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें बताया गया था कि करीब 1.5 करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठिए अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं। सालाना 3 लाख से ज्यादा बांग्लादेशी अवैध तरीकों से भारत में घुसते हैं। पिछले 25 साल में इनकी संख्या तेजी से बढ़ी ही है। रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश से सबसे ज्यादा घुसपैठ पश्चिम बंगाल से ही होता है। बंगाल से बांग्लादेश की लंबी सीमा लगती है। इसमें बॉर्डर का ऐसा हिस्सा काफी बड़ा है जहां जंगल हैं। इसका फायदा उठाकर बांग्लादेशी पश्चिम बंगाल में दाखिल होते हैं। इसके बाद बस, ट्रेन के जरिए दिल्ली और अलग-अलग राज्यों में पहुंचते हैं। इसी तरह बांग्लादेशियों की भारत में अवैध रूप से आवाजाही का दूसरा सबसे बड़ा रास्ता असम है। असम और बांग्लादेश की सीमा पर भी बंगाल जैसा हाल है। मेघालय से भी बांग्लादेश की सीमा लगती है। ऐसे में ये रास्ता भी घुसपैठिए अपना रहे हैं। कई बार यहां भी बांग्लादेशी घुसपैठ करते पकड़े जा चुके हैं। इसके अलावा झारखंड, त्रिपुरा और मिजोरम के रास्ते भी बांग्लादेशी देश के अलग-अलग राज्यों में पहुंच रहे हैं। अगर इसे रोका नहीं गया तो हालात विस्फोटक हो सकते हैं।
Rajneesh kumar tiwari