नई दिल्ली। लोेकसभा चुनाव के दूसरे चरण ने सियासी दलों की धुकधुकी बढ़ा दी है। चुनाव आयोग के लाख प्रयासों के बाद भी कम वोटिंग ने राजनीतिक दलों को चिंता में डाल दिया है। यूपी में कई सीटों पर सपा और भाजपा की टक्कर दिखाई दी। कई जगह कांग्रेस और भाजपा में सीधा मुकाबला दिखा। वहीं पूरे देश में इस बार नॉर्थ ईस्ट राज्यों में जबरदस्त वोटिंग हुई। यूपी-महाराष्ट्र फिसड्डी हुए।
कहां कितना प्रतिशत हुआ मतदान
चुनाव आयोग की ओर से जारी प्रेस नोट के अनुसार शाम 7 बजे तक 13 राज्यों की 88 सीटों पर औसतन 60.96 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में सबसे अधिक 75 फीसदी से अधिक वोटिंग हुई। वहीं छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के 102 गांवों में पहली बार लोकसभा के लिए लोगों ने मतदान किया। राज्यवार आंकड़ों की बात करें तो असम में लगभग 71 प्रतिशत मतदान हुआ। बिहार में 54, छत्तीसगढ़ में 72 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। जम्मू और कश्मीर में 67, कर्नाटक में 64 प्रतिशत मतदान हुआ। वहीं केरल में 65, मध्य प्रदेश में 55 महाराष्ट्र में 53, मणिपुर में 77, राजस्थान में 60 प्रतिशत हुआ। साथ ही त्रिपुरा में 77, उत्तर प्रदेश में 54 और पश्चिम बंगाल में 71 प्रतिशत वोटिंग हुई।
यूपी का हाल
यूपी की आठों सीटों की बात करें, तो ध्रुवीकरण और जाति का जोर ही नजर आया। इस बार गाजियाबाद और मथुरा में बूथों पर मतदाताओं का पगफेरा कम ही रहा। मतदाताओं की इस उदासीनता ने अखाड़े के पहलवानों के साथ ही राजनीतिक दलों की धुकधुकी बढ़ा दी है। पिछले चुनाव में बसपा के खाते में गई अमरोहा सीट पर इस बार भी सबसे ज्यादा मतदान हुआ है। यहां फैसला हाथी की चाल पर निर्भर करेगा। अमरोहा में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है। भाजपा के कंवर सिंह तंवर और विपक्षी गठबंधन से उतरे कांग्रेस प्रत्याशी दानिश अली के साथ बसपा प्रत्याशी डॉ. मुजाहिद हुसैन अपना काडर वोट हासिल करने में कामयाब दिखे। गौतमबुद्धनगर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला रहा। क्षत्रिय समाज के विरोध का ग्रामीण क्षेत्रों में आंशिक असर देखने को मिला। वहीं शहरी क्षेत्रों में इसका कोई प्रभाव नहीं रहा। सपा और बसपा में वोटों के बंटवारे का फायदा भाजपा प्रत्याशी महेश शर्मा को होता दिखा। गर्मी का असर इस सीट पर भी दिखा और मतदाता बाहर कम निकले। शहरी इलाकों की बहुमंजिला इमारतों में मतदान केंद्र बनाने का निर्णय कारगर साबित हुआ। मेरठ में भाजपा और सपा में सीधी टक्कर नजर आई। बसपा के देवव्रत त्यागी का ज्यादा जोर नहीं दिखा। भाजपा के अरुण गोविल को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के साथ रालोद की मदद मिली। बागपत में मतदान प्रतिशत कम होने से पार्टियों व प्रत्याशियों की चिंता बढ़ गई है। यहां चौधरी परिवार की परंपरागत सीट पर मुकाबला दिलचस्प दिखा। गाजियाबाद में इस बार भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई दिखी। भाजपा से अतुल गर्ग और कांग्रेस से डॉली शर्मा और बसपा से नंद किशोर चुनाव मैदान में हैं। ग्रामीण क्षेत्र मतदान में सबसे आगे रहे, तो शहरी क्षेत्र पीछे।
बुलंदशहर सीट पर भाजपा प्रत्याशी भोला सिंह अनुसूचित जाति के वोटों में सेंधमारी करने में कामयाब नजर आए। बसपा प्रत्याशी गिरीश चंद्र जाटव कोई खास कमाल दिखाते नजर नहीं आए। इसी तरह अलीगढ़ में दो बार से भाजपा के कब्जे वाली यह सीट त्रिकोणीय मुकाबले में फंसती दिखाई दे रही है। भाजपा सांसद सतीश गौतम को सपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी पूर्व सांसद चौ. विजेंद्र सिंह और बसपा प्रत्याशी हितेंद्र उपाध्याय में टक्कर दिखी। मथुरा में गर्मी की वजह से मतदाता घरों में कैद रहे। वहीं, कई इलाकों में मतदाताओं की नाराजगी भी नजर आई।
Rajneesh kumar tiwari