जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे कवच के बाद एक और तकनीक लगाने जा रहा है। इससे ड्राइवर सो जाए तो विजिलेंस कंट्रोल डिवाइस ट्रेन को रोक देगी। यह उपकरण सभी रेल इंजनों में लगाया जाएगा। इसक ट्रायल सफल हो गया है। दुर्घटनाओं से बचने के लिए ट्रेनों में कवच प्रणाली लगाई जा रही है। इसी के तहत सभी इंजनों में विजिलेंस कंट्रोल डिवाइस लगाई जा रही है। जिन इंजनों में पहले से यह डिवाइस लगी है उन्हें अपग्रेड किया जा रहा है। इससे ड्राइवर की तबीयत खराब होने व अन्य आपातकालीन स्थिति में ट्रेन स्वयं रुक जाएगी। मुरादाबाद मंडल में इसका ट्रायल सफल हो चुका है। मंडल के करीब 150 इंजनों में यह डिवाइस लगाई जा चुकी है। रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि यदि ड्राइवर को नींद आ रही हो या उसकी तबीयत खराब हो जाए तो सबसे पहले असिस्टेंट ड्राइवर ट्रेन को अपने कंट्रोल में ले लेता है। इस स्थिति में वह ट्रेन को अगले स्टेशन तक लेकर जाता है। अगर असिस्टेंट ड्राइवर भी परेशान है या फिर वह ट्रेन को कंट्रोल करने की स्थिति में नहीं है तो विजिलेंस कंट्रोल डिवाइस ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक देगी। रेलेव के एक अधिकारी कहना है कि रेलवे कंट्रोल रूम को ट्रेन की तरफ से लगातार सिग्नल भेजे जाते हैं। साथ ही कंट्रोल रूम से भी लोको पायलट को सिग्नल भेजे जाते हैं। अगर लोको पायलट या सहायक लोको पायलट की तबीयत खराब होती है तो ये सिग्नल कंट्रोल रूम और ट्रेन को नहीं मिल पाते हैं। यह आपातकालीन स्थिति कहलाती है। जब जवाब नहीं मिल पाता है तो यह डिवाइस काम करना शुरू कर देती है। अगर एक मिनट तक ड्राइवर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है तो 17 सेकेंड का अलार्म नोटिफिकेशन इंजन के पैनल पर आता है और बजर बजता है। इन 17 सेकेंड में भी कोई संपर्क नहीं होता है तो विजिलेंस कंट्रोल डिवाइस इमरजेंसी ब्रेक लगा देती है। यह डिवाइस कंट्रोल रूम को यह जानकारी दे देती है कि संबंधित ट्रेन में आटोमेटिक ब्रेक लगाए गए हैं। इसका मूल कारण ड्राइवर द्वारा ट्रेन को आपरेट नहीं किया जाना है। कई इंजनों में यह डिवाइस लगाई जा चुकी है। इन इंजनों में ड्राइवर के पैर के पास एक बटन होता है। थोड़ी-थोड़ी देर में ड्राइवर को यह बटन दबाना होता है। बटन न दबाने की स्थिति में अलार्म बजने लगता है। अब डिवाइस को इंजन के पैनल पर भी लगाया गया है। यानी ड्राइवर को पैर व हाथ दोनों से क्रियाशील रहना जरूरी है। यदि नींद की स्थिति में दो बार अलार्म बजने पर पैर से ही बटन दबा दिया तो भी ट्रेन के ब्रेक लग जाएंगे। ऐसा होने पर ड्राइवरों से आधिकारिक पूछताछ होती है, कि डिवाइस को ब्रेक लगाने की जरूरत क्यों पड़ी। संतोषजनक उत्तर न मिलने पर कार्रवाई भी हो सकती है। मुरादाबाद मंडल के डीसीएम का कहना है कि इस डिवाइस को लगाने की प्रक्रिया चल रही है। कितने इंजनों में यह लग चुकी है, यह पता करना होगा। इस डिवाइस से ड्राइवर के ट्रेन को आपरेट न करने की स्थिति में खुद ब्रेक लग जाते हैं।
Rajneesh kumar tiwari