जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। बागपत के तिलवाड़ा गांव में डेढ़ दर्जन ट्रेचिंग मशीन से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से खुदाई करवाई जा रही है। इस दौरान एएसआई टीम को खुदाई के दौरान ऐसी दुर्लभ चीजें मिलीं जिन्हें देखकर यकीन नहीं हो रहा है। पुरातत्वविदों को कॉपर निर्मित आयताकार प्लेट, खंजर, बीड्स, मनके, छोटे-बड़े पॉट्स मिले हैं। ये महाभारत कालीन बताए जा रहे हैं। बागपत के तिलवाड़ा गांव में सिनौली की तरह शाही ताबूत और कई अन्य चीजें मिली हैं। बता दें कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यहां पर उत्खनन कर रहा है। मेरठ में एएसआई के अधिकारियों ने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने तिलवाड़ा के आला टीले पर 10 दिसम्बर 2024 को उत्खनन कार्य शुरू किया था। टीम ने यहां डेढ़ दर्जन ट्रेंच लगाए। ट्रेंच में शुरूआती उत्खनन हुआ। उसी दौरान बड़ी सफलता मिली। पुरातत्वविदों को कॉपर निर्मित आयताकार प्लेट, खंजर, बीड्स, मनके, छोटे-बड़े पॉट्स मिले हैं। ये पुरा संपदा सिनौली में मिली संपदा से काफी मिलती-जुलती है। दोनों साइट से मिले मिट्टी, ताम्र निर्मित पात्र की बनावट, नक्काशी-आकृति एक जैसी है। सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि ताबूतनुमा आकृति को माना जा रहा है। मेरठ में एएसआई सुपरिटेंडेंट विनोद कुमार रावत ने विस्तार से इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बागपत के तिलवाड़ा में उत्खनन के अंतिम चरण में मिले कई रोचक साक्ष्य मिले हैं। ये बागपत के सिनौली की तर्ज पर प्राचीन सभ्यता के रहस्यों को उजागर करने वाले तथ्य हैं। उन्होंने कहा कि यहां 4000 साल पुराना चैंबर सिस्टम मिला है। इन चैंबर में मानव कंकाल या पशु का कंकाल नहीं मिला है। यहां कॉपर का एक बड़ा मैट डिजाइन मिला है जो हजारों साल पुराना है। रावत ने बताया कि यह प्राचीन हड़प्पा संस्कृति से भी मिलती-जुलती है। उन्होंने कहा कि पॉटरी भी मिली है जो हजारों साल पुराना है। इस खुदाई से न केवल महाभारत के समय का आकलन किया जा सकेगा बल्कि प्राचीन हड़प्पा संस्कृति का भी अध्ययन किया जा सकेगा। बता दें कि सिनौली से तकरीबन दस किलोमीटर की दूरी पर तिलवाड़ा साइट है। 2018 के उत्खनन में सिनौली में महाभारत कालीन रथ, मानव कंकाल आदि पाए गए थे। वहीं तिलवाड़ा में मिली चीजों को मेरठ सर्किल के आॅफिस लाया जाएगा। टीम इसकी रिपोर्ट तैयार करेगी। उन्होंने कहा कि ट्रेंच में ताबूत के साथ साथ चारों कोनों पर बड़े-बड़े मिट्टी के पात्र रखे हुए हैं। छोटे सुराहीनुमा पात्र में शानदार नक्काशी दिखाई देती है। इसके ऊपर का कॉपर समय के साथ नष्ट हो चुका है लेकिन नक्काशी अभी भी मौजूद है। इसी के बगल में ताबूतनुमा आकृति भी दिखाई दे रही है। इसके नीचे के हिस्से में कॉपर की बड़ा और मोटा पाइप की तरह दिखने वाला ढांचा है। टीम यहां से मिली सामग्री को समेटने में जुट गई है। रावत ने आगे बताया कि 2020 में भी यहां उत्खनन हुआ था। हस्तिनापुर में टूरिस्ट को ध्यान में रखते हुए तमाम कार्य कराए जा रहे हैं। हस्तिनापुर में गार्डन भी डेवलेप किया गया है। इसी तरह अमृत कूप की जगह पर भी तमाम कार्य कराए गए हैं। बेबी केयर रुम भी हस्तिनापुर में बनाया गया है। अब यहां टूरिस्ट आएगा तो उसे बिलकुल अलग और खूबसूरत हस्तिनापुर नजर आएगा।
Rajneesh kumar tiwari