जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। तालिबान के हाथ पाकिस्तानी सेना का काल लग गया है। अफगानिस्तान सरकार ने पहली बार सीमा पर खतरनाक गाइडेड मिसाइलों की तैनाती की है। दोनों देशों के बीच डूरंड लाइन और वखान कॉरिडोर को लेकर जंग छिड़ी हुई है। पहले पाकिस्तान ने वखान पर चेतावनी दी तो तालिबानी और टीटीपी आतंकी ऐक्शन में आ गए हैं। तालिबान और पाकिस्तानी सेना के बीच तनाव काफी बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तानी सेना के हवाई हमले में करीब 50 लोगों के मारे जाने के बाद तालिबानी सेना ने भी पाकिस्तान सेना के करीब 20 जवानों को बड़ा हमला करके मारने का दावा किया। यही नहीं टीटीपी के आतंकियों ने भी पाकिस्तानी सेना की कई चौकियों पर कब्जा कर लिया। इससे दुनियाभर में पाकिस्तानी सेना की जमकर किरकिरी हुई। तालिबानी सरकार ने यह भी कह दिया कि वह अंग्रेजों की खींची हुई सीमा रेखा डूरंड लाइन को नहीं मानती है। इसके जवाब अब पाकिस्तानी सेना अफगानिस्तान का सिर कहे जाने वाले वखान कॉरिडोर पर नापाक कदम उठा रही है। इससे तालिबानी और टीटीपी आतंकी भी ऐक्शन में आ गए हैं। अफगानिस्तान पर काबिज तालिबान के हाथ पहली बार गाइडेड मिसाइल लगी है। इस गाइडेड मिसाइल का नाम कोंकुरसी (9एम135) है। तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने इस मिसाइल के एक्टिव ड्यूटी में शामिल होने का ऐलान किया है। मंत्रालय के अनुसार, यह मिसाइल बख्तरबंद टैंकों, युद्धपोतों और कम उड़ान वाले हेलीकॉप्टरों को निशाना बना सकती हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अगर तालिबान का पाकिस्तान के साथ कोई युद्ध होता है तो यह मिसाइल गेमचेंजर साबित हो सकती है। तालिबान और पाकिस्तान के बीच सीमा को लेकर पुराना विवाद है। तालिबान के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इनायतुल्लाह ख़्वारजमी ने कहा कि 13 अफगान सैनिकों ने इन मिसाइलों को चलाने का प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। बता दें कि देश में पहली बार सक्रिय की गई यह गाइडेड मिसाइल बख्तरबंद टैंकों और कम उड़ान वाले हेलीकॉप्टरों को निशाना बना सकती है। वहीं विदेश मामलों के उप राजनीतिक मंत्री ने काबुल में एक कार्यक्रम में इस्लामिक अमीरात की सेना को उन्नत हथियारों से लैस करने के महत्व पर जोर दिया। देश के सैन्य विशेषज्ञ भी सीमाओं की सुरक्षा के लिए उन्नत उपकरणों के प्रावधान को महत्वपूर्ण मानते हैं। एक अन्य सैन्य विशेषज्ञ हमीदुल्लाह होतक ने कहा कि अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए अधिक आधुनिक उपकरणों और औजारों की आवश्यकता है। हमारे देश को बार-बार विदेशी देशों द्वारा आक्रमणों का सामना करना पड़ा है। तालिबान ने यह भी दावा किया कि सरकार ने अमेरिकी सेना द्वारा क्षतिग्रस्त किए गए 70 सैन्य विमानों और हेलीकॉप्टरों की मरम्मत की है। बता दें कि अमेरिका ने अफगानिस्तान में लगभग 7 बिलियन डॉलर के सैन्य उपकरण और हथियार छोड़े हैं। जिन्हें 16 वर्षों में पूर्व अफगान सरकार को सौंप दिया गया था। काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने इस भंडार पर कब्जा कर लिया था।
Rajneesh kumar tiwari