जनप्रवाद, ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय वैज्ञानिकों ने सौर ऊर्जा से चलने वाले सुपर विमान का आविष्कार किया है। यह एक बार उड़ान भरने के बाद 90 दिनों से अधिक समय तक दुश्मन की निगरानी करता रहेगा। इसके अलावा दिन-रात में दुश्मन का पता लगाने और युद्धक्षेत्र संचार जैसी विभिन्न भूमिकाएं निभा सकता है। एयरोस्पेस तकनीक के क्षेत्र में भारत लगातार आसमान की उंचाइयों को छू रहा है। अब देश ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। बेंगलुरु स्थित नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरी में सौर ऊर्जा से चलने वाला एयरक्राफ्ट विकसित किया गया है। खास बात ये है कि यह विमान लगातार 90 दिनों तक आसमान में उड़ान भरने में सक्षम है। बता दें कि भारतीय एयरोस्पेस टेक्नोलाजी के क्षेत्र में यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। यानी भारत अब उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है जिसके पास हाई एल्टीट्यूड प्लेटफार्म बनाने की क्षमता है। भारत के वैज्ञानिकों ने युद्ध के दौरान दुश्मन की निगरानी और टोह लेने के लिए यह सौर विमान बनाया है। इसकी खासियत है कि यह दुश्मन पर नजर रखने के साथ ही पेलोड ले जाने में सक्षम है। नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज बंगलूरू के वैज्ञानिकों ने इसके सभी पहलुओं का परीक्षण किया है। वैज्ञानिकों ने इसे 10 घंटे तक लगातार उड़ाकर सफलतापूर्वक परीक्षण पूरा किया है। एनएएल द्वारा विकसित यह सौर विमान पूरी तरह से मानव रहित है। यह 17 से 20 किलामीटर तक की ऊंचाई तक उड़ान भरने के साथ ही आसमान में दिन रात संचालन करने में सक्षम है। विमान बनाने वाली कंपनी एनएएल के अनुसार सौर विमान युद्ध के समय सतत निगरानी के अलावा वायु रक्षा हथियार के रूप में काम कर सकता है। विमान में पेलोड और सभी उड़ान उपकरण लगाए गए हैं। एनएएल के एचएपीएस कार्यक्रम प्रमुख डाक्टर एल वेंकटकृष्णन ने इसके बारे में पुष्टि की। उन्होंने बताया कि यह सौर विमान सेटेलाइट की तुलना में काफी सस्ता है। परीक्षण के दौरान विमान ने साढ़े आठ घंटे से अधिक की उड़ान क्षमता समेत सभी मानकों को पूरा किया। यह विमान 150-200 मीटर लंबे क्षेत्र से उड़ान भरने के लिए सक्षम है। यह 90 दिनों से ज्यादा समय तक तक आसमान में रह सकता है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि एक बार सही सेंसर से लैस होने पर सौर विमान की नजरों से दुश्मन देश की कोई भी हरकत छिप नहीं सकती है। बता दें कि ऐसा सौर विमान अब तक एयर बस जेफायर है। इसने अमेरिका के एरिजोना रेगिस्तान में 64 दिनों तक लगातार उड़ान भरी थाी। अमेरिका के अलावा यूके, जर्मनी, न्यूजीलैंड भी ऐसा विमान बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
Rajneesh kumar tiwari