जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। समुद्र में भारत के युद्धपोतों की तिकड़ी तबाही मचाएगी। इन घातक युद्धपोतों के नाम आईएनएस सूरत, नीलगिरि और वाग्शीर हैं। इनके समुद्र में उतरने के बाद दुश्मनों की खैर नहीं होगी। ये आज भारतीय नेवी में शामिल हो गए। भारतीय नौसेना की समंदर में ताकत और बढ़ गई है। आज भारतीय नेवी में तीन अत्याधुनिक युद्धपोत शामिल किए गए हैं। इनके नेवी के जत्थे में शामिल होने के बाद दुश्मन भारत की ओर गलत इरादे से देखने से पहले दस बार सोचेगा। पीएम मोदी ने मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस वाघशीर को राष्ट्र को समर्पित किया। इन तीनों वॉरशिप की खासियत से दुश्मनों की नींद उड़ जाएगी। इंडियन नेवी में शामिल हो रहे ये तीनों युद्धपोत आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरी और आईएनएस वाघशीर सबमरीन काफी ताकतवर हैं। ये तीनों स्वदेशी तकनीक से बनाए गए हैं। इन्हें मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में डिजाइन और बनाया गया है। तीनों की समंदर में ताकत कमाल की है। आईएनएस सूरत भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 15बी के तहत बनाया गया चौथा और आखिरी स्टेल्थ गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर है। 7 नवंबर 2019 को इसकी नींव रखी गई और 17 मई 2022 को इसे लांच किया गया था। इस युद्धपोत में उन्नत रडार सिस्टम और स्टेल्थ फीचर्स हैं। यह दुश्मन से छिपकर हमला करने में सक्षम है। ये 7,400 टन के डिस्प्लेसमेंट के साथ 164 मीटर लंबा है। इसमें समुद्र के अंदर मिसाइलों से लेकर टॉरपीडो तक सभी प्रकार के हथियार लगे हैं। कंबाइंड गैस एंड गैस प्रोपल्शन सिस्टम से ये पोत 30 नॉट्स यानी 56 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से दौड़ सकता है। आईएनएस नीलगिरि भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 17ए के तहत पहला स्टेल्थ फ्रिगेट है। यह समुद्री सुरक्षा में एक नई दिशा देगा। इसे 28 दिसंबर 2017 को स्थापित किया गया था। 28 सितंबर 2019 को ये लांच किया गया था। ये 6,670 टन का है। यह 149 मीटर लंबा है। आईएनएस नीलगिरि का डिजाइन रडार सिग्नेचर को कम करने के लिए विशेष रूप से किया गया है। जिससे ये दुश्मन की निगाहों से बच सकता है। ये शिप सुपरसोनिक सतह-से-सतह और मीडियम रेंज सतह-से-हवा मिसाइलों से तैयार किया गया है। जिससे ये समुद्र में स्थित अलग-अलग खतरों से निपटने में सक्षम होगा। आईएनएस वाघशीर भारतीय नौसेना की स्कॉर्पीन-क्लास प्रोजेक्ट 75 के तहत निर्मित छठी और आखिर डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन है। ये विशेष रूप से गुप्त संचालन के लिए डिजाइन की गई है। इससे ये दुश्मन के इलाकों में बिना किसी शोर के अपने मिशन को अंजाम दे सके। ये 67 मीटर लंबी और 1,550 टन वजनी पनडुब्बी वायर-गाइडेड टॉरपीडो, एंटी-शिप मिसाइल और उन्नत सोनार सिस्टम से लैस है। फ्यूचर में इसमें एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन तकनीक को जोड़ने की संभावना है जो इसकी क्षमता को और भी बढ़ाएगी। इन युद्धपोतों और पनडुब्बी में महिला अधिकारियों और नाविकों के लिए विशेष सुविधाएं बनाई गई हैं। ये कदम भारतीय नौसेना में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करता है। ये युद्धपोत और पनडुब्बी न केवल भारत के समुद्री हितों की रक्षा करेंगे बल्कि वैश्विक स्तर पर भारतीय नौसेना की प्रतिष्ठा को भी और मजबूत करेंगे। स्वदेशी निर्माण के इस बेहतरीन उदाहरण से भारतीय रक्षा क्षेत्र की स्वावलंबन की दिशा में एक अहम कदम साबित होगा।
Rajneesh kumar tiwari