जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। अब समंदर में अमेरिका भारत की ताकत में और ज्यादा वृद्वि करने जा रहा है। वह भारत को ऐसा हथियार देने जा रहा है जो चीन और पाकिस्तान की रूह कंपा देगा। भारत की समुद्री ताकत बढ़ने वाली है। इस काम में भारत की मदद रूस जैसा दोस्त नहीं बल्कि सबसे बड़ा टेÑड पार्टनर अमेरिका कर रहा है। अमेरिका ने भारत को पनडुब्बी रोधी युद्धक सोनोबाय और संबंधित उपकरणों की संभावित विदेशी सैन्य बिक्री को मंजूरी दे दी है। इस करार की अनुमानित लागत 52.8 मिलियन अमेरिकी डालर है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन द्वारा मंजूरी मिलने के बाद, यह बिक्री भारत की समुद्री ताकत को और बढ़ाएगी और उसकी पनडुब्बी रोधी क्षमताओं को मजबूत करेगी। भारत को हाई एल्टीट्यूड एंटी-सबमरीन वारफेयर सोनोबाय में एयर-लान्च, एक्सपेंडेबल, इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सेंसर हैं। जिन्हें पानी के नीचे की आवाज को रिमोट प्रोसेसर तक रिले करने के लिए डिजाइन किया गया है। ये प्रभावी और किफायती है। ये एक पोर्टेबल सोनार सिस्टम है। जिसके जरिए पानी में साउंड वेव्ज छोड़ी जाती हैं। बता दें कि सोनोबाय, हवा से प्रक्षिप्त किए जाने वाले इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सेंसर होते हैं। ये पानी के भीतर की ध्वनियों को रिकार्ड करते हैं और रिमोट प्रोसेसर तक भेजते हैं। ये पनडुब्बी रोधी युद्ध के लिए अत्यंत प्रभावी और किफायती उपकरण होते हैं, जिनका उपयोग हवाई युद्धक विमानों द्वारा किया जा सकता है। वहीं जल में अगर इसके रास्ते कोई पनडुब्बी, जहाज ठकराते हैं तो तत्काल पता चल जाता है। इस सौदे से पहले भारत की एमएच-60आर हेलीकाप्टरों की क्षमता में वृद्धि होगी। इससे वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने की क्षमता में सुधार होगा। रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने इस हफ्ते सीनेट की विदेश संबंध समिति को एक अधिसूचना सौंपी है। जिसमें भारत को अपने सशस्त्र बलों में इस उपकरण को शामिल करने में कोई कठिनाई नहीं होगी। बता दें कि अमेरिका शस्त्र निर्यात नियंत्रण अधिनियम के अनुसार कांग्रेस के पास बिक्री की समीक्षा करने के लिए 30 दिन बचे हैं। भारत और अमेरिका के बीच ये डील रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अमेरिकी दौरे के दौरान फाइनल हुई थी। राजनाथ सिंह पिछले महीने अमेरिका के दौरे पर गए थे। उनका दौरा चार दिन का था। बता दें कि भारत पहले से ही पी-8आई समुद्री निगरानी और पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान से अमेरिकी सोनोबाय का संचालन करता है। नई डील एमएच-60 रोमियो हेलीकाप्टरों के लिए है, जो अमेरिका से खरीदे गए हैं। सोनोबाय का उपयोग इन विमानों को पनडुब्बी रोधी युद्ध करने में अधिक शक्तिशाली बना देगा, क्योंकि इससे दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाना आसान हो जाएगा। बता दें कि सोनोबाय इलेक्ट्रो-मैकेनिकल ध्वनिक सेंसर हैं जो जहाजों और पनडुब्बियों से निकलने वाली पानी के नीचे की आवाज को रिले करते हैं। वे लगभग 24 घंटे सक्रिय रहते हैं और जहाजों और पनडुब्बियों का पता लगाने में मदद करते हैं। एक नौसैनिक हेलीकॉप्टर या फिक्स्ड-विंग विमान आमतौर पर एक पैटर्न में सोनोबाय को गिराता है। कुछ सोनोबाय को पैसिव मोड में और कुछ को एक्टिव मोड में तैनात करने के लिए डिजाइन किया गया है। एक्टिव सोनोबाय ध्वनि ऊर्जा उत्सर्जित करते हैं और प्रतिध्वनि प्राप्त करते हैं। जिसके आधार पर वो सूचना को विमान तक वापस भेजता है। दूसरी ओर पैसिव सोनोबाय केवल जहाजों या पनडुब्बियों से आने वाली आवाजों को सुनते हैं। फिर वे ध्वनि को वापस विमान तक भेजते हैं।
Rajneesh kumar tiwari