जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। नेचर एस्ट्रोनॉमी रिपोर्ट में छपे नए अध्ययन में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इसमें पृथ्वी पर सागर और महासागर के जन्म को लेकर रहस्य उजागर किए गए हैं। वहीं पृथ्वी पर पानी की उत्पत्ति के पीछे ब्रह्मांडीय घटनाओं और अद्भुत रासायनिक प्रक्रियाओं के राज को बताया गया है। हमारी पृथ्वी की उत्पति करीब 4 अरब साल पहले हुई थी। मानव जीवन की बुनियादी जरूरतों में से एक पानी इस ग्रह पर कैसे पहुंचा या कैसे बना, ये सवाल सदियों से अबूझ पहेली बना हुआ था। वैज्ञानिकों के लिए भी इसका जवाब ढूंढ पाना आसान नहीं था। यह प्रश्न उनके लिए भी लंबे समय से रहस्य बना हुआ था। अब नेचर एस्ट्रोनॉमी रिपोर्ट में छपे अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इस रहस्य की गुत्थी सुलझाने की ओर कदम बढ़ाया है। नए शोध में वैज्ञानिकों को कई अहम सवालों के जवाब मिले हैं। वैज्ञानिकों की नई थ्योरी में कहा गया कि सौरमंडल से आए एस्टेरॉयड यानी क्षुद्रग्रहों के जरिए धरती पर पानी पहुंचा। ये सीटाइप एस्टेरॉयड्स क्षुद्रग्रह थे। ये अपने साथ वाष्पशील और कार्बनिक तत्व लेकर आए थे। अंतरिक्ष से आए रायुगु जैसे कण पानी के मुख्य स्रोत बने थे। बता दें कि वैज्ञानिकों का कहना है कि चूंकि पृथ्वी का निर्माण सूखी चट्टानों से हुआ है। यह तथ्य बताता है कि धरती पर पानी ग्रहों के निर्माण के बाद पहुंचा। वैज्ञानिकों के मुताबिक धरती के आंतरिक हिस्सों यानी अपर मेंटर और लोवर मेंटल की स्टडी से मालूम चलेगा कि यहां पानी का निर्माण कैसे हुआ था। इसके अलावा इस अध्ययन की मदद से दूसरे ग्रहों की स्टडी संभव हो सकेगी, जिससे वहां भी पानी की संभावना को तलाशा जा सकता है। यह मिशन क्षुद्रग्रह से कण लाकर धरती पर पानी के स्रोत पर शोध के लिए इस्तेमाल किया गया। इन कणों में अमीनो एसिड और पानी से जुड़े तत्व पाए गए थे। बाहरी सौर मंडल से आए मटीरियल ने भी पृथ्वी पर पानी पहुंचाया था। वैज्ञानिक इन कणों को मिलावटरहित बताते हैं। बता दें कि पृथ्वी के जन्म के समय आग का गोला थी। ठंडी होने पर गैस के बादल बने.लाखों वर्षों तक बारिश होती रही और पानी गड्ढों में भर गया। बता दें कि गैस बादल ठंडे होकर भारी हुए और वर्षा के रूप में धरती पर गिरे। यही पानी इकट्ठा होकर सागर और महासागर बना। रिपोर्ट बताती है कि पृथ्वी पर पानी का मुख्य स्रोत एस्टेरॉयड हो सकते हैं। रायुगु जैसे कण इस अवधारणा को मजबूत करते हैं। धार्मिक ग्रंथों में समुद्रों की उत्पत्ति की अलगअलग कहानियां हैं। विज्ञान और पुराण दोनों अपनीअपनी संभावनाएं बताते हैं। करीब 6 साल पहले जापान के वैज्ञानिकों ने कहा था कि वाष्पशील और कार्बनिक तत्वों से भरपूर सी-टाइप के एस्टेरॉयड शायद पृथ्वी पर पानी के मुख्य स्रोत रहे होंगे। पृथ्वी पर कार्बनिक पदार्थों और पानी यानी वाष्पशील क्षुद्रग्रहों का पहुंचना अब भी बड़ी बहस का विषय बना हुआ है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में इस सवाल का सही और सर्वमान्य जवाब मिल जाएगा।
Rajneesh kumar tiwari