जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। एक बार फिर नार्दर्न रेलवे ने लखनऊ डिवीजन के आठ रेलवे स्टेशनों के नाम बदल दिए हैं। अब ये स्टेशन धार्मिक स्थलों, आध्यात्मिक गुरुओं और महापुरुषों के नाम से जाने जाएंगे। इस लिस्ट में जायस, अकबरगंज, फुरसतगंज, मिसरौली समेत अन्य नाम शामिल हैं। इन सभी के धार्मिक और ऐतिहासिक जानकारी के लिए देखें हमारा ये खास वीडियो। अमेठी स्थित फुरसतगंज रेलवे स्टेशन अब तपेश्वर धाम के नाम से जाना जाएगा। बता दें कि तपेश्वर धाम अमेठी के बहादुरपुर में है। मान्यता हैं कि वहां स्थापित शिवलिंग स्वयंभू है। यहां पर कई बार मंदिर बनने की कोशिश की गई, लेकिन मंदिर का निर्माण नहीं हो सका। भगवान भोलेनाथ से विशेष जुड़ाव होने के कारण इस मंदिर का नाम तपेश्वर नाथ धाम रखा गया है। ये मंदिर जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर है। मिश्रौली स्टेशन का नाम अमेठी के संग्रामपुर ब्लाक स्थित मां कालिकन धाम शक्तिपीठ के नाम पर रखा गया है। ऐसी मान्यता हैं कि यहां मौजूद कुंड में स्नान करने से आंखों से जुड़ी बीमारियां दूर हो जाती हैं। साथ ही ये च्यवन मुनि की तपोस्थली है। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि यहां देवी का निवास अमृत कुंड के ऊपर है। इसी तरह कासिमपुर हॉल्ट स्टेशन का नाम अब जायस सिटी होगा। बता दें कि जायज अमेठी का एक कस्बा है। मलिक मोहम्मद जायसी जायस के ही रहने वाले थे, जिन्होंने पद्मावत की रचना की थी। वहीं जायस रेलवे स्टेशन को अब गुरु गोरखनाथ के नाम से जाना जाएगा। गुरु गोरखनाथ नाथ संप्रदाय के पहले योगी थे। गुरु गोरक्ष ने पूरे भारत का भ्रमण किया और अनेकों ग्रन्थों की रचना की। उनका मंदिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित है, जिसके प्रमुख उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। बनी रेलवे स्टेशन का नाम स्वामी परमहंस के नाम पर रखा गया है। बता दें कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस एक महान संत थे। आध्यात्मिक गुरु और विचार थे। वे बंगाल के रहने वाले थे, उन्होंने धर्मों की एकता पर जोर दिया था। इसी तरह निहालगढ़ स्टेशन का नाम महाराजा बिजली पासी के नाम पर किया गया है। बता दें कि महाराजा बिजली पासी, पासी समुदाय के राजा थे। अठारहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी के ब्रिटिश गजेटियर के अनुसार, महाराजा बिजली पासी पृथ्वीराज चौहान और जयचंद के समकालीन थे। रायबरेली स्थित अकबरगंज स्टेशन का नाम मां अहोरवा भवानी धाम कर दिया गया है। मां अहोरवा भवानी धाम मंदिर यूपी के अमेठी में स्थित है। मान्यता हैं कि इस मंदिर की स्थापना खुद पांडवों ने की थी। बताया जाता है कि इस मंदिर में स्थापित देवी की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती हैं। वहीं वारिसगंज हाल्ट स्टेशन का नाम शहीद भाले सुल्तान के नाम पर रखा गया है। देश की आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले शहीद भाले सुल्तानों का एक ग्रुप था। इतिहासकारों की मानें तो साल 1857 में हुए युद्ध में भाले सुल्तानों ने देश को आजाद कराने के लिए अपनी जान का बलिदान दिया था। बताया जाता है कि भाले सुल्तानों ने अंग्रेजों को युद्ध के मैदान में सात बार हराया था।
Rajneesh kumar tiwari