जयपुर। राजस्थान के बाड़मेर में अचानक आसमान में तेज रोशनी के बाद बड़े विस्फोट से लोगों में दहशत फैल गई। कुछ लोगों का कहना है कि यहां उल्का पिंड गिरा है। वहीं कुछ लोगों को जैसी किसी दूसरे देश ने मिसाइल दाग दी हो। राजस्थान के बाड़मेर समेत कई जिलों में हैरान कर देने वाली घटनाएं सामने आई हैं। इसको लेकर तरह-तरह के दावे किए जा रहें हैं। सोशल मीडिया पर उल्का पिंड गिरने के दावे किए जा रहे हैं। इसको लेकर यूजर्स ने फोटोस भी शेयर किए हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि भारत पाकिस्तान बॉर्डर के नजदीक बाड़मेर में यह खगोलीय घटना हुई। जिसमें एक उल्का पिंड गिरता हुआ नजर आया। इस दौरान धमाका तेज आवाज में होने से स्थानीय लोग सहम गए। लोगों को लगा कि बम फटने से यह धमाका हुआ है।
अलग-अलग हिस्सों में गिरे उल्कापिंड
उल्का पिंड गिरने की घटनाएं बाड़मेर जिले के अलग-अलग हिस्सों में देखी गई। इनमें चौहटन, धोरीमन्ना के आसपास इलाके शामिल हैं। बता दें कि यह इलाका पाकिस्तान बॉर्डर से करीब 50 किलोमीटर पहले है। इस कस्बे के लोगों का कहना है कि उन्हें ऐसा लगा जैसे किसी ने आतिशबाजी की है। वहीं कुछ लोगों को लगा कि जैसे सीमा पर किसी मिसाइल का परीक्षण किया जा रहा है। जिसकी वजह से यह धमाका हुआ। वहीं कुछ लोगों को यह दुश्मन देश का हमला भी लगा। दूसरी ओर बाड़मेर की घटना के साथ जालौर, पाली और बालोतरा समेत अन्य जिलों में भी इस घटना के होने का दावा किया जा रहा हैं। इस दौरान बाड़मेर में बॉर्डर के नजदीक रहने वाले लोगों ने बताया कि बीती रात एक उल्का पिंड पश्चिम की दिशा से तेजी से आता हुआ दिखाई दिया। इसके बाद वह अचानक गायब हो गया। वहीं उल्का पिंड गिरने की सूचना पर पुलिस और एजेंसियों ने काफी खोजबीन की, लेकिन अभी तक उल्का पिंड गिरने की पुष्टि नहीं हुई हैं। इसको लेकर कहा जा रहा है कि चौहटन से 50 किलोमीटर दूर यह उल्का पिंड पाकिस्तान सीमा में गिर सकता है। बता दें कि 5 महीने पहले भी राजस्थान के ही नागौर जिले की धरती पर आसमान से गिरते उल्का पिंड की तस्वीरें कैद हुई थीं। वह फुटेज स्पेस रिसर्चर और साइंटिस्ट के लिए बेहद उपयोगी साबित हुई थी। अहमदाबाद में स्थित इसरो की फिजिकल रिसर्च लेब के साइंटिस्ट इस पर खोज कर रहे हैं।
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पहले भी उल्कापिंडों की हो चुकी है बारिश
बता दें कि 30 और 31 मई 2022 को आसमान से धरती पर उल्कापिंडों की बारिश हुई थी। 20 साल बाद उल्कापिंडों की इतनी जोरदार चमक आकाश में देखने को मिली थी। इस नजारे को दुनिया भर में देखा गया था। वहीं भारत में 14 से 15 दिसंबर की रात भी उल्कापिंडों की बारिश हुई थी। सूर्य ग्रहण की तरह इसे देखने के लिए किसी स्पेशल चश्मे, ग्लास या एक्सरे प्लेट की जरूरत नहीं पड़ी थी। लोगों ने इसे खुली आंखों से देखा था।
Rajneesh kumar tiwari