नई दिल्ली। मंदिरों का इतिहास और उनके रहस्य भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा रहे हैं। ये मंदिर न केवल धार्मिक पूजा और आस्था का केंद्र हैं, बल्कि उनमें छिपे रहस्य और चमत्कार हमेशा से लोगों के आकर्षण का केंद्र रहे हैं। ऐसा ही एक मंदिर केरल में मौजूद है जिसके चमत्कार के आगे विज्ञान के सारे सिद्धांत फेल हैं। केरल के मलप्पुरम जिले में स्थित करीब 3000 साल पुराने नीरपुथूर महादेव मंदिर को रहस्यमयी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण स्थल माना जाता है। यह मंदिर और इसका गर्भगृह वैज्ञानिकों के लिए अबूझ पहेली बना हुआ है। इस मंदिर का सबसे रहस्यमय पहलू भगवान शिव का शिवलिंग है। ऐसी मान्यता है कि यह धरती से स्वयं प्रकट हुआ है। इस शिवलिंग का न कोई निर्माण काल है, न ही कोई रचना प्रक्रिया। यह केवल श्रद्धा और विश्वास से जुड़ा हुआ रहस्य है। नीरपुथूर मंदिर में मौजूद इस शिवलिंग के चारों ओर हमेशा जल भरा रहता है। चाहे गर्मी हो या सूखा, चाहे बारिश का मौसम हो, वहां मौजूद जल वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बना हुआ है। आखिर यह जल कहां से आता है, लाख कोशिश के बाद भी वैज्ञानिक इसके स्रोत का पता लगाने में नाकाम रहे हैं। सबसे बड़ी बात इस जल में अपार रोग निवारण शक्ति का मौजूद होना है। ऐसा माना जाता है इसमें कुछ खनिज तत्व हो सकते हैं, जो स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाते हैं। जल के इस औषधीय गुण से भी वैज्ञानिक हैरान है, उन्होंने इसे विज्ञान की सीमाओं से परे बताया है। भू-वैज्ञानिकों के अनुसार, मंदिर का वास्तु भी कम रहस्यमयी नहीं है। इसकी संरचना ऐसी है जिन्हें आज के आधुनिक उपकरणों से मापा नहीं जा सका है। वैज्ञानिकों ने गर्भगृह की स्थिति, उसके तापमान और वहां मौजूद रहस्यमयी ऊर्जा को समझने की भरपूर कोशिश की, लेकिन वे किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। स्थानीय लोगों का कहना है कि गर्भगृह के अंदर मौजूद असामान्य ऊर्जा के प्रवाह को श्रद्धालु अनुभव करते हैं। हालांकि, इसकी प्रमाणिकता को तकनीकी रूप से सिद्ध नहीं किया जा सका है। इतिहासकारों के अनुसार, इस मंदिर की कथाएं वेदों और पुराणों से जुड़ी हैं। यहां के लोग इसे केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि ‘चमत्कारों का स्थल’ मानते हैं। नीरपुथूर मंदिर यह दर्शाता है कि हर चीज का वैज्ञानिक विश्लेषण संभव नहीं है। कुछ रहस्य और चमत्कार केवल आस्था, अनुभव और संस्कृति के माध्यम से ही समझे जा सकते हैं। यह मंदिर न सिर्फ वैज्ञानिकों के लिए एक चुनौती है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जहां विज्ञान की सोच खत्म हो जाती है वहां से अध्यात्म शुरू होता है।
Arun kumar baranwal