जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रशांत महासागर में वैज्ञानिकों ने बड़ी खोज की है। उनके अनुसार कुछ पत्थर बिना सूर्य के प्रकाश के ही आक्सीजन उत्पन्न कर रहे हैं। इसे डार्क आक्सीजन कहा जा रहा है। यह नई खोज विज्ञान की पुरानी मान्यताओं को चुनौती देती है। वहीं इस खोज ने कई बड़ी चिंताओं को भी जन्म दे दिया है। प्रकृति के भीतर इतने खजाने छिपे हैं जो हमेशा से इंसानों को हैरान करते आ रहे हैं। इन रहस्यों को खोजने के लिए साइंस की दुनिया में हर दिन शोध होते रहते हैं। महासागर में भी रहस्यों की खोज हो रही है। इन रहस्यों को समझने के लिए वैज्ञानिक अपना दिमाग लगाते हैं और रिसर्च कर रहे हैं। हाल ही में प्रशांत महासागर के अंदर एक ऐसी घटना घटी है जिससे वैज्ञानिक भी हैरान रह गए हैं। समंदर के अंदर कुछ पत्थर ऐसे काम कर रहे हैं जो चौंकाने वाली घटना है। वैज्ञानिकों की खोज के अनुसार समंदर के भीतर एक अंधेरी दुनिया है। इसमें से कुछ पत्थर आॅक्सीजन का निर्माण कर रहे हैं। वैज्ञानिकों ने इस निर्माण को डार्क आक्सीजन का निर्माण बताया है। बता दें कि अभी तक यही मान्यता रही है कि आक्सीजन का निर्माण सिर्फ और सिर्फ प्रकाश संश्लेषण के जरिए दिन में सूरज की रोशनी में ही हो सकता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस नई खोज के बाद अब साइंस की दुनिया में पुरानी मान्यताएं टूट जाएंगी। बता दें कि डार्क आक्सीजन वह आक्सीजन है जो बिना सूर्य के प्रकाश के गहरे समुद्र में उत्पन्न होती है। यह समुद्र तल पर दुर्लभ धातु पिंडों की खारे पानी के साथ प्रतिक्रिया से बनती है। आक्सीजन का उत्पादन विभिन्न प्रकार की अजैविक और जैविक प्रक्रियाओं के माध्यम से होता है। दुर्लभ धातु पिंड अंधेरे में एनोक्सिक वातावरण का निर्माण करते हैं। यह खोज इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अभी तक यह माना जा रहा था कि प्राकृतिक रूप से आक्सीजन का निर्माण केवल प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया से होता है। समुद्री प्लवक यानी पौधे, शैवाल और कुछ बैक्टीरिया समुद्र में आक्सीजन का निर्माण करते हैं। ये सभी प्रकाश संश्लेषण करने में सक्षम हैं। इन्ही के माध्यम से आॅक्सीजन का निर्माण होता है। वहीं ऐसी गहराई में आक्सीजन का उत्पादन असंभव माना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पौधों को प्रकाश संश्लेषण करने के लिए पर्याप्त सूर्य का प्रकाश नहीं मिलता है। ऐसे वातावरण में आक्सीजन का निर्माण अपने-आप में अनोखा है। प्रशांत महासागर की गहराई में डार्क आक्सीजन की खोज ने जहां दुनिया के सामने एक नई संभावना पेश की है। वहीं इससे जुड़ी पर्यावरणीय चिंताएं भी बढ़ रही हैं। इससे समुद्र की तलहटी में खनन करने की होड़ मच जाएगी। बता दें कि इससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर खतरा हो सकता है। वैज्ञानिक और पर्यावरणविद इस बात पर जोर दे रहे हैं कि गहरे समुद्र में खनन से पहले इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर गहन अध्ययन किया जाना चाहिए। भारत-चीन और अन्य देशों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने महासागर के इस गुप्त खजाने पर नियंत्रण की होड़ को और तेज कर दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में डार्क आॅक्सीजन और अन्य महासागरीय संसाधनों पर कौन कब्जा जमाता है। इस वजह से वैश्विक शक्ति संतुलन में क्या बदलाव आते हैं।
Rajneesh kumar tiwari