जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत ने बेहद खतरनाक हथियार बनाने में सफलता हासिल की है। इससे बिना किसी मिसाइल हमले की ही पलक झपकते ही दुश्मन देश के मिसाइल और प्लेन खाक हो जाएंगे। इस सफलता से भारत ने अमेरिका-रूस-चीन की बराबरी कर ली है। भारत ने पहली बार दुनिया के सामने अपने लेजर आधारित हथियार प्रणाली का प्रदर्शन किया है। इस हथियार का इस्तेमाल करके विंग विमान, मिसाइलों और ड्रोन को मार गिराने में सफलता मिली है। लेजर सीईडब्ल्यू का टेस्ट आंध्र प्रदेश के कुरनूल में खुले मैदान में हुआ। डीआरडीओ की हाई एनर्जी सिस्टम्स लैब सीएचईएस हैदराबाद और कई भारतीय संस्थानों ने मिलकर इस तकनीक को बनाया है। परीक्षण के दौरान इसने फिक्स्ड विंग ड्रोन को दूर से ध्वस्त किया। इसके अलावा एकसाथ कई ड्रोन अटैक को नाकाम किया। दुश्मन के सर्विलांस एंटीना और सेंसर को जला दिया। यानी ये सिर्फ एक टारगेट नहीं, एक साथ कई टारगेट को एक ही समय पर खत्म कर सकता है। डीआरडीओ का लेजर सीईडब्ल्यू सिस्टम सिर्फ कुछ सेकंड में किसी ड्रोन या मिसाइल को भाप बना सकता है। इसमें ऐसा हाई पॉवर लेजर लगा है, जो टारगेट को स्पॉट करते ही उस पर इतनी तीव्र ऊर्जा फेंकता है। इससे उसकी संरचना टूट जाती है या अगर उसका वॉरहेड यानी हथियार है तो उसमें ब्लास्ट हो जाता है। डीआरडीओ के अनुसार इस हथियार को चलाने की लागत महज दो लीटर पेट्रोल के बराबर है। ऐसे में यह गर्व की बात है कि जब दुश्मन करोड़ों की मिसाइल भेजे और आप उसे चंद रुपये में खत्म कर दो। इससे न केवल दुश्मन पर भारत का पलड़ा भारी बल्कि विरोधी को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। बता दें कि भारत को पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों से लगातार लो-कॉस्ट ड्रोन अटैक का खतरा है। ऐसे समय में यह गेमचेंजर बनने जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस तकनीक से हमला करने से कोई कोलैटरल डैमेज नहीं होता। यानी बेकसूरों को नुकसान नहीं होता। यही इसे पारंपरिक हथियारों से अलग बनाता है। डीआरडीओ ने साफ कहा है कि ये तो बस शुरूआत है। आने वाले वक्त में ये लेजर पारंपरिक मिसाइल सिस्टम और भारी-भरकम तोपों की जगह लेगा। इसे छोटे यूनिट्स में फील्ड में तैनात किया जाएगा ताकि सैनिकों को रीयल टाइम में सुरक्षा मिल सके। इसकी रेंज 5 किलोमीटर तक है। यह संचार और सैटेलाइट सिग्नल को भी जाम कर सकता है। जिससे दुश्मन की रणनीति पूरी तरह विफल हो जाएगी। 30 किलोवाट लेजर बेस्ड वेपन सिस्टम का इस्तेमाल करके भारत उन चुनिंदा देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जिनके पास एडवांस लेजर वेपन की क्षमताएं हैं। इस लिस्ट में भारत, अमेरिका, चीन और रूस जैसे देश शामिल हैं। इसका इस्तेमाल जमीन और जहाज दोनों जगहों पर किया जा सकता है। इससे कई डोमेन में भारत की रक्षा क्षमता बढ़ गई है। इस सिस्टम में सटीक टारगेट के लिए 360-डिग्री इलेक्ट्रो-आप्टिकल/इन्फ्रारेड (ईओ/आईआर) सेंसर लगे हुए हैं। इसे हवाई, रेल, सड़क या समुद्र के जरिए तेजी से तैनात किया जा सकता है। इसके अलावा डीआरडीओ और ज्यादा शक्तिशाली सिस्टम भी विकसित कर रहा है। जिसकी परिचालन सीमा 20 किलोमीटर है। ये सिस्टम मिसाइलों और मानव रहित हवाई प्रणालियों जैसे हाई स्पीड वाले हवाई खतरों को टारगेट करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह आधुनिक युद्ध में भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा।
Rajneesh kumar tiwari