नई दिल्ली। करगिल विजय दिवस के मौके पर आज पीएम मोदी ने शिंकुन ला सुरंग परियोजना का पहला ‘विस्फोट’ किया। इस सुरंग के जरिए भारतीय सेना पल भर में दुश्मनों की छाती पर चढ़कर उन्हें नेस्तनाबूत कर देगी। पीएम मोदी द्वारा सुरंग की नींव रखने के बाद चीन में खलबली मच गई है। पीएम मोदी ने लद्दाख में शिंकुन दर्रा टनल के कंस्ट्रक्शन की आज वर्चुअली शुरूआत की। 15 हजार 800 फीट की ऊंचाई पर 4.1 किलोमीटर लंबा यह टनल दुनिया का सबसे लंबा टनल है। इस ट्विन-ट्यूब टनल का निर्माण सीमा सड़क संगठन यानी बीआरओ द्वारा निम्मू-पदम-दारचा सड़क पर किया जा रहा है। इस टनल के निर्माण से लद्दाख जाने के लिए सेना को करीब 60 किलोमीटर की दूरी कम तय करनी पड़ेगी। विषम परिस्थितियों के बावजूद भारत चीन के साथ लगी इस सुरंग के निर्माण को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है। शिंकुन दर्रा टनल भारतीय सेना के सैन्य अभियानों से लेकर रणनीतिक रूप से काफी अहम है। इसके जरिए भारतीय सेना की हर मौसम में एलएसी पर पहुंच आसान हो जाएगी। साथ ही चीन के किसी भी नापाक हरकत को मुंहतोड़ जबाव देने में भारतीय सेना की मदद मिलेगी। इस टनल का निर्माण पूरा होेते ही लद्दाख में पूरे साल सेना की सुचारु रूप से आवाजाही हो जाएगी। साथ ही हथियार, गोला बारूद, टैंक और सेना की गाड़ियां आराम से आ जा सकेगी। शिंकुन दर्रा टनल का निर्माण पूरा होने के बाद यह दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी। जो चीन की 15 हजार 590 फीट की ऊंचाई वाली सुरंग को पीछे छोड़ देगी। इस टनल का 4 साल में बनकर तैयार होने की उम्मीद है। यह सुरंग मनाली और लेह के बीच 60 किलोमीटर की दूरी कम करेगी। जो 355 किलोमीटर से 295 किलोमीटर रह जाएगी। इतना ही नहीं, यह पारंपरिक श्रीनगर-लेह मार्ग का भी विकल्प होगा। बता दें कि सीमा सड़क संगठन ने बीते तीन वर्षों में 8 हजार 737 करोड़ रुपये की लागत से 330 परियोजनाएं पूरी की हैं। जिसके चलते चीन से सटी सीमा पर भारतीय सशस्त्र बलों की गतिशीलता में काफी सुधार हुआ है। दरअसल, 2019 में चीन के साथ गलवान में झड़प के बाद से चीन से सटी सीमा वाले इलाके में सेना और सैन्य इक्विपमेंट की सुचारु सप्लाई आसान बनाई जा रही है। साथ ही किसी भी मौसम में देश के दुश्मनों से आसानी से निपटने के लिए लगातार विकास किया जा रहा है।
Arun kumar baranwal