June 26, 2024
नई दिल्ली। 18वीं लोकसभा के संसद सत्र की शुरुआत के साथ कई रिकॉर्ड बनें। एक ओर जहां संसदीय इतिहास में दूसरी बार स्पीकर पद के लिए चुनाव हुआ। वहीं ओम बिरला दूसरे ऐसे सांसद बन गए है जो दो बार लगातार लोकसभा अध्यक्ष बने। इसी तरह वहीं 10 साल देश को राहुल गांधी के रुप में विपक्ष का नेता मिला। संसदीय इतिहास में दूसरी बार लोकसभा स्पीकर पद के लिए सदन में सुबह 11 बजे चुनाव हुआ। ध्वनिमत से दोबारा ओम बिरला अध्यक्ष चुने गए। यहां वोटिंग की नौबत नहीं आई। अध्यक्ष निर्वाचित होेन के बाद आसन तक उन्हें पीएम मोदी और राहुल गांधी ले गए। पीएम मोदी ने दूसरी बार स्पीकर चुने जाने पर ओम बिरला को बधाई दी। वहीं उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से जुडे इतिहास पर प्रकाश डाला। पीएम मोदी ने कहा कि हम सबको विश्वास है कि आने वाले पांच साल आप हम सबका मार्गदर्शन करेंगे। आपकी ये मीठी-मीठी मुस्कान हम सबको प्रसन्न करती आई है। बलराम जाखड़ जी को पांच साल का कार्यकाल पूर्ण करने के बाद स्पीकर का दायित्व फिर से मिला था। इनके बाद आप हैं जिसे ये अवसर मिला है। इसी तरह नए लोकसभा अध्यक्ष को विपक्ष के नेता राहुल गांधी समेत अन्य नेताओं ने शुभकामनाएं दी। ऐसे में यहां जानना दिलचस्प हो जाता है कि विपक्ष के नेता के पास क्या ताकत होती है। 10 से सत्ताधारी पार्टी ने विपक्ष को यह पद क्यों नहीं दिया था। इस बार की लोकसभा में सिर्फसत्ता पक्ष ही नहीं विपक्ष ने रिकॉर्ड बनाया। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में आ चुके हैं। राहुल गांधी परिवार के तीसरे व्यक्ति हैं जिनको ये महत्वपूर्ण पद मिला है। इससे पहले राजीव गांधी ने 18 दिसंबर 1989 से 24 दिसंबर 1990 तक नेता विपक्ष की भूमिका निभाई थी। वहीं गांधी ने 13 अक्टूबर 1999 से 06 फरवरी 2004 तक नेता प्रतिपक्ष को जिम्मेदारी निभाई है। बता दें कि दस साल बाद कांग्रेस को नेता विपक्ष का पद मिल पाया है, क्योंकि 2014 और 2019 में कांग्रेस के पास इतने सांसद नहीं थे कि उन्हें नेता विपक्ष का पद दिया जा सके। नियम है कि कम से कम कुल संख्या का 10 फीसदी सांसद आपकी पार्टी के पास होने चाहिए। इस बार 99 सांसद वाली कांग्रेस इस पैमाने पर पहुंची है। इसी वजह से दस साल बाद नेता विपक्ष का पद कांग्रेस को मिला है। विपक्ष का नेता बनने के बाद राहुल गांधी के पास कई अधिकार होंगे। वे उस कमिटी का हिस्सा बन जाएंगे जो महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति करती है। इसमें सीबीआई के डायरेक्टर, सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर, मुख्य सूचना आयुक्त, लोकपाल या लोकायुक्त शामिल हैं। वहीं राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के चेयरपर्सन और सदस्य और भारतीय निर्वाचन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ती में इनकी भूमिका होगी। इन सारी नियुक्तियों में प्रधानमंत्री और राहुल गांधी का आमना-सामना होगा। पहली बार ऐसा होगा कि इन फैसलों में प्रधानमंत्री मोदी को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी से उनकी सहमति लेनी होगी। राहुल गांधी के नेता प्रतिपक्ष होने के बाद वह सरकार के आर्थिक फैसलों की लगातार समीक्षा कर पाएंगे। सरकार के फैसलों पर अपनी टिप्पणी भी कर सकेंगे। राहुल गांधी उस लोक लेखा समिति के भी प्रमुख बन जाएंगे, जो सरकार के सारे खर्चों की जांच करती है। साथ यह समिति खर्चों की समीक्षा करने के बाद टिप्पणी भी करती है। नेता प्रतिपक्ष होने के बाद एक्ट 1977 के अनुसार नेता प्रतिपक्ष के अधिकार और सुविधाएं ठीक वैसे ही होते हैं जो एक कैबिनेट मंत्री के होते हैं। अब राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष होने के नाते उन्हें कैबिनेट मंत्री की तरह सरकारी सचिवालय में दफ्तर के साथ अन्य सुविधाएं मिलेंगी।
Rajneesh kumar tiwari