जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत के दोस्त रूस के विनाशक प्लान से पूरी दुनिया में हलचल मच गई है। एक ओर जहां ट्रंप सरकार रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के प्रयास में लगे हैं वहीं पुतिन के इस कदम से नए टकराव की आशंका को जन्म दे दिया है। हम रूस के जिस प्लान की बात कर रहें हैं वह उसकी सबसे खतरनाक मिसाइल को लेकर है। इस मिसाइल पर रिपोर्ट आते ही अमेरिकी विशेषज्ञ घबरा गए हैं। भारत के दोस्त रूस को लेकर रिपोर्ट है कि वो भारी संख्या में इस्कैंडर-एम सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल का प्रोडक्शन शुरू करने वाला है। इस मिसाइल को काफी घातक माना जाता है। और इसकी मार करने की क्षमता 1000 किलोमीटर से ज्यादा है। चूंकी ये सामरिक मिसाइल है, इसलिए इसे काफी विनाशक माना जाता है। इस्कैंडर-एम के 1,000 किलोमीटर रेंज वाले वैरिएंट के बारे में पहली बार जुलाई 2024 में जानकारी सामने आई थी। अब रूस की मिलिट्री वेबसाइट पर इसको लेकर एक प्रकाशित रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। जिसमं यह जानकारी सामने आई है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार इस मिसाइल को पिछले साल से ही मशीन-बिल्डिंग डिजाइन ब्यूरो यानी कोलोमना की तरफ से विकसित किया जा रहा है। नाटो ने इस मिसाइल का नाम एसएस-एक्स-33 रखा है। वहीं रूस क्या वाकई इस बैलिस्टिक मिसाइल का निर्माण कर रहा है या नहीं, इसको लेकर कई तरह के दावे किए गये हैं। कई दावों में प्रोडक्शन को सच, तो कई दावों में प्रोडक्शन की रिपोर्ट का खंडन भी किया गया है। रूस के सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल के डेवलपमेंट के बाद अंतर्राष्ट्रीय हथियार नियंत्रण संधि पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। बता दें कि 1987 में अमेरिका और सोवियत संघ के बीच आईएनएफ संधि की गई थी। जिसके तहत 500 से 5,500 किलोमीटर की सीमा के साथ जमीन से लांच की जाने वाली बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों के विकास और तैनाती पर प्रतिबंध लगाने पर सहमति बनी थी। ऐसे में अगर रूस इस मिसाइल का प्रोडक्शन कर रहा है, तो संधि का उल्लंघन माना जा रहा है। अब तक रूस के सामरिक मिसाइल शस्त्रागार ने संधि का ख्याल रखा था। संधि के अनुसार ही रूस ने जैसे कि 9के-720 इस्केंडर-एम का निर्माण किया था। इसकी रेंज 500 किलोमीटर के भीतर ही रखी गई थी। अब रूस पर 1000 किलोमीटर की रेंज वाली मिसाइल का आरोप लगा है। बता दें, कि 500 किलोमीटर से कम की सीमा वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को कम दूरी की मिसाइल कहा जाता है। वहीं 500 से 5,500 किलोमीटर के बीच की सीमा वाली मिसाइलों को मध्यम दूरी की मिसाइल कहा जाता है। बता दें कि अमेरिका और पश्चिमी देशों को हमेशा इस्कैंडर-एम सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल को चिंता रही है। ये मिसाइल इन देशों में तबाही ला सकती है। सैटेलाइट नेविगेशन का उपयोग करके समय-समय पर इस मिसाइल के बहाव को ठीक किया जा सकता है। यानी दूरी चाहे जितनी भी हो मिसाइल अपने टारगेट को ध्वस्त करके ही मानती है। हमले के दौरान, यह मिसाइल विरोधी उपग्रह नेविगेशन सिग्नल को जाम कर देता है। रूसी इस्कैंडर-1000 मिसाइल में जाम-प्रतिरोधी उपग्रह नेविगेशन सिग्नल और रडार इमेज टेक्नोलॉजी है। मिसाइल के बारे में विदेशी जानकारों का कहना है कि अगर वाकई ऐसा है, तो इस्कैंडर-एम विनाशक हथियार है। रिपोर्ट के अनुसार रूस इस्कैंडर-1000 मिसाइल का निर्माण इसलिए कर रहा है ताकि वह यूक्रेन के अंदर नाटो देशों के हथियारों को तबाह कर सके। अभी तक पश्चिमी यूक्रेन में रखे पश्चिमी देशों के हथियार रूस की स्ट्राइक सीमा से बाहर थे। इसके अलावा भी वर्तमान में यूक्रेन के कई स्ट्रैटजिक ठिकाने रूस की पहुंच से दूर हैं। इस्कैंडर-1000 मिसाइल की जद में ये सभी ठिकाने आ जाएंगे। यही वजह है, कि यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिकी अधिकारी घबराए हुए हैं। यूक्रेन युद्ध में ये मिसाइस गेमचेंजर साबित हो सकती है।
Rajneesh kumar tiwari