नई दिल्ली। नीट-यूजी परीक्षाओं को लेकर अभी भी अनिश्चितता बरकरार है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक ओर जहां केंद्र सरकार ने पेपर लीक से इनकार किया वहीं परीक्षार्थियों ने इसे रद्द करने की मांग की। ऐसे में यहां जानना जरूरी है कि इस पूरे विवाद की जड़ क्या है। क्या वास्तव में पेपर लीक हुआ था। इस पर देखिए जनप्रवाद का यह खास वीडियो। सुप्रीम कोर्ट में मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम नीट को लेकर 12 जुलाई को सुनवाई होगी। बता दें कि नीट एग्जाम में पेपर लीक को लेकर काफी ज्यादा विवाद चल रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में छात्रों और अभिभावकों ने नीट पेपर लीक को लेकर प्रदर्शन किया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ नीट एग्जाम में गड़बड़ी और दोबारा एग्जाम करवाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। इस सुनवाई से पहले मामले की जांच कर रही सीबीआई ने अदालत को स्टेटस रिपोर्ट सौंपी। जिसमें कहा गया कि सोशल मीडिया पर परीक्षा का पेपर सर्कुलेट नहीं हुआ था। बिहार के कुछ सेंटरों तक ही पेपर लीक सीमित था। बता दें कि 2016 से एनटीए नीट परीक्षा का आयोजन कर रहा है। इस साल 2024 की नीट परीक्षा 5 मई को हुई। इसमें 24 लाख से ज्यादा छात्रों ने भाग लिया। विवाद की शुरुआत तब हुई जब परीक्षा परिणामों में करीब 1500 छात्रों को बढ़ा-चढ़ाकर अंक दिए गए। यानी नतीजे घोषित होने के बाद यह परीक्षा विवादों में आ गई। परीक्षा में अनियमितताओं के आरोप लगने लगे। शिवांगी मिश्रा और अन्य ने 1 जून को इसको लेकर एक याचिका दायर की। इसके बाद कई अन्य उम्मीदवारों ने भी अनुग्रह अंक देने के एनटीए के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में यााचिकाएं दायर की। 11 जून को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि जितनी शिकायतें देश भर से आ रही हैं, उससे लग रहा है कि मामला गड़बड़ है। यह नीट परीक्षा की विश्वसनीयता और शुचिता पर सवाल है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानउद्दीन अमानुल्लाह की वेकेशन बेंच ने काउंसलिंग पर स्टे लगाने से मना कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि एनटीए ने अदालत को भरोसा दिया कि जिन छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए हैं उनकोे दोबारा परीक्षा में शामिल होने का मौका दिया जाएगा। यह परीक्षा 22 जून को निरस्त कर दी गई। यह निर्णय कई बड़े एग्जाम पेपर के लीक होने के आरोपों के बीच लिया गया। वहीं बिहार सरकार का दावा किया कि नीट परीक्षा का पेपर लीक हुआ था। इस दावे के पीछे ईओयू की रिपोर्ट थी। रिपोर्ट के मुताबिक, ईओयू ने जली हुई कॉपियों से 68 सवाल रिकवर किए थे जो हूबहू असली प्रश्न पत्र से मेल खाते हैं। इतना ही नहीं, इन प्रश्नों के क्रमांक भी असली पेपर जैसे ही हैं। यह रिपोर्ट शिक्षा मंत्रालय को सौंप दी गई थी। बता दें कि बिहार सरकार की आर्थिक अपराध इकाई की रिपोर्ट के बाद मंत्रालय ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया। नीट-यूजी पेपरलीक का सबसे बड़ा मामला बिहार के पटना से आया, यहां बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने 18 लोगों को गिरफ्तार किया। जिसमे मुख्य आरोपी सिकंदर यादुवेंदु, उसके सहयोगी, और कुछ अभ्यर्थियों के माता-पिता के नाम सामने आए। इस मामले का मुख्य आरोपी सिकंदर यदवेंदु, उसका भतीजा अनुराज यादव और दलाल नीतीश कुमार, अमित आनंद है। इन लोगों ने पुलिस को बताया कि कैसे उन्होंने 5 मई को परीक्षा से पहले अभ्यर्थियों को सवाल और उनके जवाब रटाए, हर उम्मीदवार से 40-40 लाख रुपए लिए गए। केंद्र सरकार ने मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में गड़बड़ी की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया। इसके बाद सीबीआई केस दर्ज किया। जांच के दौरान पेपर लीक के तार बिहार के अलावा अन्य राज्यों से भी जुड़ गए। इनमें पटना (बिहार), गोधरा (गुजरात) से एक-एक और राजस्थान पुलिस में दर्ज तीन मामले शामिल हैं। बता दें कि नीट पेपर मामले की जांच सिर्फ नीट 2024 पेपर लीक तक सीमित नहीं है। इसमें असली कैंडिडेट की जगह दूसरों के एग्जाम देने, एग्जाम सेंटर में चींटिंग कराने जैसे आरोपों की भी जांच होगी। जांच एजेंसी के रेडार पर एनटीए भी है। 24 जून को सीबीआई की दो अलग-अलग टीमें पटना और गोधरा पहुंचीं और स्थानीय पुलिस से केस डायरी और अन्य सबूत हाथ में लिए। इसमें 8 मोबाइल फोन भी हैं, जिनकी जांच से कई खुलासे हो सकते हैं। झारखंड, बिहार, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र के बाद गड़बड़ी के तार दिल्ली से जुड़ते दिख रहे हैं। अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह मामला तब राजनीतिक हो गया जब तेजस्वी का नाम सामने आया। बता दें कि सिकंदर कुमार के लिए पथ निर्माण विभाग कमरा बुक कराया गया था। बताया जा रहा है कि तेजस्वी के पीए ने एनएचआई के गेस्ट हाऊस में सिकंदर कुमार के लिए यह कमरा बुक कराया था। कहा तो ये भी जा रहा है कि सिकंदर रांची की जेल में लालू यादव की सेवा किया करता था। देखा जाए तो पेपर लीक सिर्फ नीट परीक्षा तक सीमित नहीं है। इसका पुराना इतिहास रहा है। नीट यूजी के पहले आॅल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट आयोजित किया जाता था। 2004 में इसका पेपर आउट हुआ था। इसके बाद दोबारा परीक्षा हुई थी। 2015 में एआईपीएमटी का 3 मई को पेपर आउट हो गया था। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया। कोर्ट ने दोबारा परीक्षा के निर्देश दिए, इसलिए 25 जुलाई, 2015 में एग्जाम दोबारा लिया गया था। साल 2016 में एआईपीएमटी की परीक्षा मई महीने में थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल के अंतिम सप्ताह में ही एआईपीएमटी को हटाकर नीट-यूजी को मान्यता दी थी।
ऐसे में 1 मई वाली परीक्षा को नीट-यूजी परीक्षा माना गया। छूटे विद्यार्थियों के लिए 24 जुलाई को परीक्षा हुई थी। नीट यूजी 2021 में भी बॉम्बे हाईकोर्ट ने दो विद्यार्थियों को दोबारा परीक्षा लेने के आदेश दिए थे। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इस मामले में भी इनविजीलेटर की गलती से टेस्ट बुक और ओएमआर शीट मिक्स हो गई थी। नीट यूजी 2021 में पूछे गए फिजिक्स के एक प्रश्न को लेकर विवाद हुआ था। जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में स्टूडेंट्स प्रतिनिधि चले गए थे। इस प्रश्न में हिंदी और अंग्रेजी अनुवाद में अंतर था। 17 जुलाई, 2022 को हुई परीक्षा में कई केन्द्रों पर दूसरे माध्यम के प्रश्न पत्र विद्यार्थियों को दे दिए गए थे। जिनके चलते अभ्यर्थियों को काफी परेशानी हुई थी। इनमें से कुछ सेंटर पर दोबारा परीक्षा भी हुई थी।
Rajneesh kumar tiwari