जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। नासा के हबल टेलीस्कोप ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। इस खोज के अनुसार हर मनुष्य ब्रह्मांडीय धूल से बना है। इतना ही नहीं खदानों में पाए जाने वाली पीली धातु यानी सोना धरती के भूगर्भ से नहीं बल्कि ब्रह्मांड से आया है। मशहूर वैज्ञानिक कार्ल सेगन ने कभी कहा था कि हम सभी तारों की सामग्री से बने हैं। अब हबल टेलीस्कोप से मिले आंकड़ों ने इस बात पर मुहर लगा दी है। पता चला कि हमारे शरीर में मौजूद कार्बन कभी हमारी आकाशगंगा के बाहर सैकड़ों हजारों प्रकाश-वर्ष की दूरी तय कर पृथ्वी पर आया था। बता दें कि तारों के भीतर, हीलियम से भारी तत्व होते हैं। जब ये तारे सुपरनोवा के रूप में विस्फोट करते हैं, तो ये तत्व ब्रह्मांड में फैल जाते हैं। ये तत्व नई पीढ़ी के तारों और ग्रहों का निर्माण करते हैं। यह सफर सीधा नहीं होता। नई स्टडी से पता चला है कि कार्बन जैसे तत्व आकाशगंगा से बाहर जाकर उसके चारों ओर गैस के विशाल बादल बन जाते हैं। जिसे सरकमगैलेक्टिक मीडियम कहते हैं। अनुमान लगाया गया है कि इस गैस के बादल में कम से कम 30 लाख सूर्यों के बराबर द्रव्यमान है। द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में छपी स्टडी के अनुसार हमारे शरीर का कार्बन आकाशगंगा से आया है। लेख के अनुसार हमारी आकाशगंगा अभी भी तारे बना रही है। इसका मतलब है कि हमारे आस-पास मौजूद कार्बन और आॅक्सीजन ने इस अंतरगैलेक्टिक यात्रा का परिणाम है। इसी तरह पीली धातु यानी सोने को लेकर भी वैज्ञानिकों ने नया खुलासा किया है। वैज्ञानिकों के अनुसार सोने का निर्माण धरती पर नहीं हुआ था। हम धरती पर जितना भी सोना देखते हैं, वह हमेशा से यहां नहीं था। वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्रह्मांड में कहीं पर भी सोना सुपरनोवा न्यूक्लियो सिंथेसिस से बनता है। धरती पर जो गोल्ड पाया जाता है, वो अरबों साल पहले हुई उल्का वर्षा के कारण मिला है। माना जाता है कि धरती पर जितना भी गोल्ड है, वो मरे हुए तारे से आया है। वहां से धरती के भूगर्भ में चला गया। वैज्ञानिकों का तर्क है कि धरती आज से करीब चार अरब साल पहले बेहद गर्म थी। धीरे-धीरे ठंडी होने लगी। उसके साथ धरती पर जो भी धातुएं थीं वे भी ठंडी होकर धरती की बाहरी परत के आसपास जमा हो गई। धरती की बाहरी सतह का घनत्व प्रति घन सेंटीमीटर 2.6 ग्राम है। जिस वजह से एलुमिनियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सोडियम और कैल्शियम जैसे तत्व धरती की ऊपरी सतह पर उभर कर आए। यह तत्व हल्के थे। वहीं लोहा, शीशा, तांबा, मरक्यूरी और प्लेटिन जैसी भारी धातुएं अपने अणुभार के अनुसार पाताल में चली गईं। यह धातुएं हमेशा के लिए वहां पर कैद होकर रहती, लेकिन धरती पर होने वाली प्लेट्स की चहल-पहल और ज्वालामुखी विस्फोटों ने इनको बाहर लाना शुरू कर दिया। धरती के लावा के साथ यह सभी धातुएं धरती की सतह पर ऊपर आने लगीं। धीरे-धीरे सोना नदियों और समुद्र में जाने लगा। इसके अलावा वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि ब्रह्मांड में सोना केवल दो न्यूट्रॉन सितारों की टक्कर के दौरान चरम स्थितियों में ही बनता है। पृथ्वी पर मौजूद सारा सोना अरबों साल पहले आया था। यह विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद पृथ्वी के भतीर बस गया।
Rajneesh kumar tiwari