जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। मीरकैट दूरबीन से हुई नई खोज ने वैज्ञानिकों से लेकर खगोलशास्त्रियों तक को चौंका दिया है। वैज्ञानिकों ने धरती से 32 गुना बड़ी आकाशगंगा की खोज की है। इस आकाशगंगा में प्लाज्मा जेट रेडियो आवृत्तियों पर चमकते हैं। ऐसे में इन रेडियो तत्वों को दूरबीन से देखा जा सकता है। इन्हें रेडियो आकाशगंगा नाम दिया गया है। आम लोगों को कम ही पता होगा कि इस समय हमारे सौरमंडल से बहुत दूर विशाल ब्रह्मांडीय घटनाएं घट रही हैं। अब मीरकैट दूरबीन से चौंकाने वाली खोज हुई है। वैज्ञानिकों ने धरती से 32 गुना बड़ी आकाशगंगा की खोज की है। यह आकाशगंगा एक बड़े ब्लैक होल के पास स्थित है। बता दें कि पूर्ववर्ती खोज में भी इस बात को प्रमाणित किया जा चुका है कि सभी आकाशगंगाओं के केन्द्र में एक अतिविशाल ब्लैक होल मौजूद होता है। आकाशंगा की उत्पत्ति में अतिविशाल ब्लैक होल प्रमुख रूप से शामिल होते हैं। इन रहस्यमयी पिंडों का द्रव्यमान सूर्य से लाखों या करोड़ों गुना अधिक हो सकता है। ये इतने घने होते हैं कि वे अपने चारों ओर की अन्य अंतरिक्ष संबंधी गतिविधियों को विकृत कर देते हैं। खोजी गई आकाशगंगा के बारे में वैज्ञानिकों का मानना है कि कुछ आकाशगंगाओं में विशाल ब्लैक होल के चारों ओर बड़ी मात्रा में अंतरतारकीय गैस घूमती हैं। वही कुछ में ब्लैक होल की ओर इनका खिंचाव होता है। इस प्रक्रिया से भारी मात्रा में घर्षण और ऊर्जा पैदा होती है। यह रेव का कारण बन सकती है। इससे विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम में विभिन्न रंगों और आवृत्तियों पर भारी मात्रा में प्रकाश उत्सर्जित होता है। कुछ मामलों में ब्लैक होल अंतरिक्ष में लाखों प्रकाशवर्ष दूर प्लाज्मा की धाराएं भी उगलता है। प्लाज्मा गैस इतनी गर्म होती है कि यह अनिवार्य रूप से प्रकाश की गति के करीब चलने वाले इलेक्ट्रॉनों को सूप के रूप में परिवर्तित कर देता है। प्लाज्मा की धाराएं और गैस नई आकाशगंगा के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये प्लाज्मा जेट रेडियो आवृत्तियों पर चमकते हैं। ऐसे में इन्हें रेडियो दूरबीन से देखा जा सकता है। इन्हें रेडियो आकाशगंगा नाम दिया गया है। खगोल विज्ञान पॉडकास्ट द कॉस्मिक सवाना के एक हालिया एपिसोड में इस बात का खुलासा किया गया है। खगोलविदों का अनुमान है कि समय बीतने के साथ प्लाज्मा जेट बाहर की ओर फैलते रहते हैं। अंतत: वे इतने बड़े हो जाते हैं कि वे विशाल रेडियो आकाशगंगा बन जाते हैं। बता दें कि विज्ञान को सामान्य आकार की लाखों रेडियो आकाशगंगाएं ज्ञात हैं। 2020 तक केवल 800 विशाल रेडियो आकाशगंगाएं पाई गई थीं। पिछले पांच वर्षों में लगभग 11,000 विशालकाय तारामंडल खोजे गए हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि दक्षिण अफ्रीकी रेडियो दूरबीन मीरकैट की नई विशाल रेडियो आकाशगंगा की खोज असाधारण है। इस ब्रह्मांडीय विशालकाय आकाशगंगा के प्लाज्मा जेट एक छोर से दूसरे छोर तक 33 लाख प्रकाश वर्ष तक फैले हैं। यहे हमारी आकाशगंगा मिल्की वे के आकार से 32 गुना अधिक है। खोज करने वाले प्रमुख शोधकर्ताओं में से एक इंकाथाजो ने इस अद्भुत बताया। उनके अनुसार जो कुछ हो रहा है उसके पीछे के भौतिकी के कारणों को समझना कठिन है। इस खोज ने हमें विशाल रेडियो आकाशगंगाओं का अध्ययन करने का एक अनूठा अवसर दिया है। ये निष्कर्ष मौजूदा मॉडलों को चुनौती देते हैं। साथ ही बता दें कि मीरकैट दूरबीन दक्षिण अफ्रीका के कारू क्षेत्र में स्थित है। यह 64 रेडियो डिशों से बना है। इसका संचालन और प्रबंधन दक्षिण अफ्रीकी रेडियो खगोल विज्ञान वेधशाला द्वारा किया जाता है। वहीं 2028 के आसपास जब वैज्ञानिक इसका पूरी तरह परिचालन शुरू कर देंगे तो यह दुनिया की सबसे बड़ी दूरबीन होगी। मीरकैट दूरबीन ने 2018 में पहली बार काम शुरू करना शुरू किया था।
Rajneesh kumar tiwari