यूपी की बांदा जेल में बंद माफिया और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की मौत हो गई। मुख्तार की मौत कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुई। जेल में मुख्तार अंसारी की तबीयत खराब होने पर उसे रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही थी। मेडिकल कॉलेज की बुलेटिन के अनुसार, मुख्तार को 28 मार्च को रात 8 बजकर 25 मिनट पर बेहोशी की हालत में लाया गया था। नौ डाक्टरों की टीम ने तत्काल उसका इलाज शुरू किया। हालांकि, इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई। तीन डॉक्टरों के पैनल ने मुख्तार के शव का पोस्टमार्टम किया, उसके बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया। सड़क के रास्ते मुख्तार को पुश्तैनी घर गाजीपुर लाया गया, यहां के काली बाग कब्रिस्तान में उसे सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया।
पूरे प्रदेश में रही चौकसी
मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत के बाद पूरे यूपी में पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई। मऊ, गाजीपुर और बांदा जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है। एक तरफ जहां परिजनों ने जेल में बंद मुख्तार को धीमा जहर देने का आरोप लगाया है, तो वहीं दूसरी ओर अंसारी की मौत पर सियासी बवाल मच गया है। बसपा, आरजेडी, कांग्रेस से लेकर एआईएमआईएम तक ने यूपी के पूर्व विधायक की मौत को लेकर सवाल खड़े कर दिए। विपक्षी पार्टियों ने मुख्तार को जहर देने के दावे की जांच कराने की मांग की है। इसी वजह से सरकार ने पोस्टमार्टम के बाद विसरा सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है।
अपराध के एक युग का अंत
बाहुबली मुख्तार अंसारी की मौत के साथ ही पूर्वांचल में अपराध के एक युग का अंत हो गया। पूर्वांचल के दो सबसे बड़े डॉन अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी का सालभर के अंदर खात्मा हो गया। पिछले साल अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को पुलिस हिरासत में अस्पताल ले जाने के दौरान बदमाशों ने गोलियों से भून दिया था, तो वहीं मुख्तार अंसारी के परिवार का आरोप है कि उन्हें जेल में धीमा जहर देकर मारा गया। अतीक और मुख्तार पूर्वांचल के दो ऐसे नाम थे जो दशकों से राजनीतिक संरक्षण में कई काले कारनामों को अंजाम देते रहे। दोनों बाहुबलियों का गाजीपुर से प्रयागराज तक दबदबा रहा। उन पर हत्या, जमीन हथियाना, सुपारी लेकर हत्या करना, अपहरण और वसूली जैसे गंभीर अपराधों के आरोप थे। दोनों पर हत्या से लेकर विभिन्न अपराधों के अनगिनत केस दर्ज थे।
पूर्वांचल की राजनीति में रहा दबदबा
मुख्तार अंसारी का जन्म गाजीपुर के मोहम्मदाबाद में 3 जून 1963 को हुआ था। उसके पिता का नाम सुभानउल्ला अंसारी और मां का नाम बेगम राबिया था। उसकी पत्नी का नाम अफशां अंसारी है। मुख्तार के दो बेटे अब्बास अंसारी और उमर अंसारी है। पूर्वांचल की राजनीति में अंसारी परिवार का हमेशा से दबदबा रहा है। जिसका असर गाजीपुर, जौनपुर, मऊ, बलिया और बनारस तक है। मुख्तार के दादा मुख्तार अहमद अंसारी आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी के सहयोगी रहे। जबकि नाना मोहम्मद उस्मान आर्मी में ब्रिगेडियर और महावीर चक्र विजेता थे। पिता सुभानउल्ला अंसारी राजनीतिज्ञ थे। रिश्ते में चाचा हामिद अंसारी देश के उपराष्ट्रपति रह चुके हैं। मुख्तार अंसारी खुद मऊ सीट से लगातार 5 बार विधायक चुना गया था।
छात्र से माफिया बनने का सफर
बात 90 के दशक की है। उस समय पूर्वांचल में एक नये तरह का अपराध सिर उठा रहा था। रेलवे, शराब और दूसरे सरकारी ठेके हासिल करने की रेस में कई गैंग सक्रिय होने लगे थे। उस समय मुख्तार अंसारी गाजीपुर के कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था। इस दौरान उसे डॉन बनकर ठेके हासिल करने की ताकत का अंदाजा हो चुका था। हथियारों के शौकीन मुख्तार ने उन्हीं दिनों एक बाहुबली मखनू सिंह से हाथ मिला लिया। मखनू सिंह पूर्वांचल के दिग्गज नेता हरिशंकर तिवारी का खास माना जाता था। मखनू सिंह ने अपने साथियों के साथ एक जमीन पर कब्जे को लेकर हुए गैंगवार में कई लोगों की हत्या कर दी थी। इसी दौरान एक कोर्ट परिसर में हुए गोलीकांड के बाद जो एक नाम उभर कर आया, वह था मुख्तार अंसारी। इसमें मखनू सिंह के दुश्मन साहिब सिंह की हत्या हुई थी। कहा जाता है वो गोली मुख्तार अंसारी ने चलाई थी। हालांकि, किसी ने उसे गोली चलाते हुए नहीं देखा था। इसके बाद मुख्तार का कई हत्याओं में नाम सामने आया। यहीं से मुख्तार अंसारी के पूर्वांचल के बाहुबली और माफिया डान बनने का सिलसिला शुरू हुआ था।
मुख्तार अंसारी का खौफ
बाहुबली मुख्तार अंसारी पर विभिन्न मामलों में कुल 61 केस दर्ज थे। इनमें हत्या के 8 केस तो जेल में रहने के दौरान दर्ज हुए। उसे अलग-अलग मामलों के तहत 2 बार उम्रकैद की सजा भी हो चुकी थी। बताया जाता है कि मुख्तार अंसारी जिस भी जेल में रहा, उसका रुतबा हमेशा कायम रहा। मुख्तार जेल से ही गैंग चलाता रहा। चाहे वह गाजीपुर जेल हो, बांदा जेल हो या पंजाब की रोपड़ जेल। यहां पर जेलर कोई भी रहा हो, मुख्तार की ही हमेशा चली। इस बात का खुलासा कई रिटायर्ड पुलिस अधिकारी और जेलर ने किया है।
2005 में दंगों का आरोपी बना
मऊ में रामायण के प्रसंग भरत मिलाप का पुराना इतिहास रहा है। यह परंपरा मुगल काल से चली आ रही है। इसकी शुरूआत मुगल शासक औरंगजेब की बेटी जहांआरा ने कराई थी। मऊ में 2005 में भरत मिलाप के दौरान दंगा भड़क गया था। जो करीब एक महीने चला। इस दंगे में बहुत सारे लोग मारे गए थे। दंगे के समय मुख्तार अंसारी की एके-47 के साथ खुली जीप में तस्वीर वायरल हुई थी। उसका इतना खौफ था कि कोई उसके खिलाफ मुंह नहीं खोलता था। तब प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। मुख्तार को दंगे के मामलों में आरोपी बनाया गया। 25 अक्टूबर 2005 को उसने गाजीपुर में सरेंडर कर दिया। तभी से वह जेल में बंद था।
कृष्णानंद राय हत्याकांड के बाद आया बुरा वक्त
मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी ने गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट से 1985 से 1996 तक लगातार चुनाव जीता था। 2002 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर कृष्णानंद राय ने अफजाल अंसारी को हरा दिया। कहा जाता है कि तभी से कृष्णानंद राय इस माफिया के निशाने पर थे। तीन साल बाद 29 नवंबर 2005 को कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई। कृष्णानंद राय उस समय एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने गए थे। लौटते समय शूटरों ने कृष्णानंद राय की कार को घेरकर एके-47 से 400 से ज्यादा गोलियां चलाई थीं। भाजपा विधायक की जिस जगह हत्या हुई वहां पर करीब 500 कारतूस बरामद हुए थे। इस ताबड़तोड़ फायरिंग में कृष्णानंद और उनके साथ मौजूद 6 लोग मारे गए थे। इस हत्याकांड में भी मुख्तार को मुख्य आरोपी बनाया गया और कहा गया कि मुख्तार ने जेल में बैठे-बैठे कृष्णानंद की हत्या कर पुरानी दुश्मनी का बदला लिया है। हालांकि, सीबीआई ने मामले की जांच की और स्पेशल कोर्ट से मुख्तार बरी हो गया। कोर्ट ने उसे गैंगस्टर मामले में दोषी पाया और 10 साल की सजा व जुर्माना लगाया।
नंदकिशोर रूंगटा हत्याकांड को दिया अंजाम
बनारस के भेलूपुर में कोयला व्यापारी नंद किशोर रूंगटा की अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी। नंद किशोर के भाई महावीर प्रसाद रूंगटा ने भेलूपुर थाने में मुख्तार अंसारी और अताउर रहमान उर्फ बाबू के खिलाफ केस दर्ज करवाया था। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि 5 नवंबर 1997 को मुख्तार अंसारी ने टेलीफोन पर धमकी देकर 5 करोड़ की रंगदारी मांगी थी। जिसमें से उसे डेढ़ करोड़ रुपए दिया जा चुके थे। इसके बावजूद मुख्तार के सबसे भरोसेमंद शूटर अताउर रहमान ने नंद किशोर की हत्या कर दी थी। रहमान ने कोयला कारोबारी बनकर नंद किशोर को डील के बहाने बुलाया और उनकी हत्या कर शव प्रयागराज में ठिकाने लगा दिया था।
इन मामलों में हुई सजा
13 मार्च 2024: मुख्तार अंसारी को फर्जी लाइसेंस केस में आरोप सिद्ध होने के बाद सजा का ऐलान किया गया था। कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके अलावा 2 लाख 2 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
15 दिसंबर 2023: रूंगटा परिवार को बम से उड़ाने की धमकी मामले में 5 साल की जेल और 10 हजार रुपये का जुर्माना लगा।
5 जून 2023: चर्चित अवधेश राय हत्याकांड में उम्र कैद की सजा।
29 अप्रैल 2023: गैंगस्टर एक्ट में गाजीपुर एमपी- एमएलए कोर्ट ने 10 साल के सश्रम कारावास और 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
25 फरवरी 2023: आर्म्स एक्ट और 5-टाडा एक्ट के तहत नई दिल्ली में दर्ज केस में 10 साल सश्रम कारावास और 5.55 लाख रुपये का जुर्माना।
15 दिसंबर 2022: गैंगस्टर एक्ट में 10 साल के सश्रम कारावास और 5 लाख रुपये का जुर्माना लगा।
21 सितंबर 2022: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारी को काम से रोकने और धमकाने के मामले में सुनाई सजा। जिसमें धारा 353 के तहत दो साल की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माना लगा। वहीं, धारा 504 के तहत दो साल की कैद और 2 हजार रुपये का जुर्माना लगा। धारा 506 में 7 साल की कैद और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
23 सितंबर 2022: गैंगस्टर एक्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो साल की कैद और 10 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी।
दो केस में मिली थी राहत
कई मामलों में सजा और जुर्माने के अलावा, मुख्तार अंसारी को दो मामलों में राहत मिली। आर्म्स एक्ट और 5-टाडा एक्ट के तहत नई दिल्ली में दर्ज केस में एएसजे साउथ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की ओर से 25 फरवरी 2003 को सुनाई गई सजा के खिलाफ अपील की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 21 अप्रैल 2005 को इस मामले में मुख्तार अंसारी को बरी कर दिया। वहीं, 15 दिसंबर 2023 को एमपी-एमएलए कोर्ट की ओर से रूंगटा परिवार को धमकी देने के मामले में सुनाई गई सजा पर भी रोक लगाई थी। इस फैसले पर 16 जनवरी 2024 को प्रभारी जिला जज की कोर्ट ने रोक लगाई थी।
राजनीतिक संरक्षण ने बढ़ाया कद
बात चाहे मुख्तार अंसारी हो या अतीक अहमद की, दोनों ही अपराधियों का कद बढ़ाने के पीछे राजनीतिक पार्टियों का हाथ था। सपा और बसपा दोनों पार्टियों ने अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी का इस्तेमाल चुनाव जीतने के लिए किया। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि संगठित अपराध के लिए बदनाम होने के बावजूद मुख्तार अंसारी बिना किसी सजा के लगभग 27 साल तक विधायक रहा। हालांकि, 2014 के बाद, खासकर 2017 में केंद्र और फिर राज्य में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा के सत्ता में आने के बाद सबकुछ बदल गया।
जब चला ‘बाबा का बुलडोजर’
सत्ता में आने के बाद सीएम योगी का पूरा फोकस पूर्वांचल की छवि बदलने पर रहा। इसके लिए उन्होंने कई स्तर पर काम भी किया। माफियाओं के खिलाफ सीएम योगी ने ताबड़तोड़ ऐक्शन लिया। अतीक और मुख्तार दोनों की अवैध संपत्तियों को या तो जब्त कर लिया गया या उस पर बुलडोजर चला दिया गया। पिछले छह वर्षों में मुख्तार गैंग की 573 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति जब्त की गई और 200 करोड़ से ज्यादा का अवैध करोबार नेस्तनाबूत कर दिया गया। उनकी इसी कार्रवाई से उत्तर प्रदेश ही नहीं, देश के कई राज्यों में ‘बाबा का बुलडोजर’ मॉडल खूब फेमस हुआ। इतना ही नहीं, योगी सरकार ने अतीक और मुख्तार के लंबित मामलों को अदालत में तेजी से आगे बढ़ाया। जिसमें कई मामलों में उन्हें सजा भी मिली। सरकार ने उनकी आर्थिक और कानूनी सुरक्षा की कमर तोड़ दी।
मिट्टी में मिलाने का किया था वादा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में वादा किया था कि ‘हम माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे’, ऐसा ही कुछ अतीक और मुख्तार के मामले में हुआ भी लगता है। हालांकि, दोनों की मौत विवादों में घिरी हुई है। मुख्तार के परिवार का आरोप था कि जेल में उन्हें धीरे-धीरे जहर दिया जा रहा है। शायद अब उसकी मौत की जांच भी कराई जाए, लेकिन यहां लोगों के इस बात की खुशी है कि पूर्वांचल अब माफियाओं से मुक्त हो गया है। बाहुबली और गुंडे से नेता बनने वालों का दौर भी खत्म हो गया है।
Arun kumar baranwal