नई दिल्ली। सूरज से निकला विशाल सौर तूफान मंगल से टकरा गया है। इस खगोलिय घटना ने पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है। सूर्य से निकल रहे खतरनाक सोलर फ्लेयर्स ने मंगल ग्रह को घेर लिया है। इससे इंसानी गतिविधियों के लिए खोज पर गए अंतरिक्ष यात्रियों और मिशनों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बताया है कि मंगल से एक विशाल सौर तूफान टकराया है। यह सौर तूफान मई के आखिर में सूर्य से निकला था। इससे लाल ग्रह के नाम से मशहूर मंगल ग्रह को आॅरोरा, आवेशित कणों और विकिरण के प्रवाह ने घेर लिया है। वहीं सूरज से एक्स क्लास फ्लेयर्स निकल रहे हैं। बता दें कि इन्हें सोलर फ्लेयर्स कहा जाता है। ये सबसे ज्यादा शक्तिशाली माने जाते हैं। इसके साथ ही कोरोनल मास इजेक्शन या प्लाज्मा नाम के आयनित गैस के बादल सूरज के बाहरी क्षेत्र से निकल रहे हैं। बता दें कि पिछले एक साल में सूर्य के भीतर भयानक गतिविधियां हो रही हैं। यह अपने 11 साल के सौर चक्र के चरम पर पहुंच रहा है। इसे सोलर मैक्सिमम के नाम से भी जाना जाता है। सोलर मेक्सिमम के इस साल के अंत तक होने की भविष्यवाणी की गई है। यानी इस साल के अंत तक कई और बड़े सौर तूफान पृथ्वी या अन्य ग्रहों से टकरा सकते हैं। बता दें कि मई में पृथ्वी पर पहुंचे सौर तूफानों ने रंगीन आॅरोरा को जन्म दिया था। यह उत्तरी कैलिफोर्निया और अलबामा जैसे इलाकों में आसमान में नजर आया था। सबसे बड़ी बात यह है कि सूरज से निकला सौर तूफान पहले पृथ्वी की तरफ आ रहा था, लेकिन फिर इसकी दिशा मंगल ग्रह की तरफ बदल गई। इससे पृथ्वी की तरफ आने वाला बड़ा खतरा टल गया। इस बारे में वैज्ञानिकों का मानना है कि यह खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है। नासा के वैज्ञानिकों ने बताया कि एक्स-रे और गामा किरणें प्रकाश की गति से यात्रा करती हुई मंगल ग्रह पर पहुंचीं। इसके दस मिनट के भीतर आवेशित कण पहुंचे। क्यूरियोसिटी रोवर, जो वर्तमान में मंगल ग्रह के भूमध्य रेखा के ठीक दक्षिण में गेल क्रेटर की खोज कर रहा है, उसने सौर तूफान के दौरान अपने नेविगेशन कैमरों का उपयोग करके श्वेत-श्याम चित्र जारी किए। नासा के मुताबिक, छवियों में देखी जा सकने वाली बर्फ जैसी सफेद धारियां क्यूरियोसिटी के कैमरों से टकराने वाले आवेशितकणों का परिणाम हैं। क्यूरियोसिटी ने अपने रेडिएशन असेसमेंट डिटेक्टर या आरएडी का इस्तेमाल करके तूफान के दौरान ग्रह पर पड़ने वाले विकिरण की मात्रा को मापा। रोवर के बगल में खड़े एक अंतरिक्ष यात्री ने 30 चेस्ट एक्स-रे के बराबर विकिरण का अनुभव किया। सौर तूफान का अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों ने कहा कि यह अनुभव आने वाले समय में काफी काम आएगा। इससे भविष्य में मंगल ग्रह पर चालक दल के साथ अन्वेषण करने वालों की सुरक्षा कैसे की जाए इसका प्लान तैयार किया जाएगा। खगोलविदों को यह भी डर है कि भविष्य में चांद और मंगल पर प्रस्तावित मानव मिशन घातक हो सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि बहुत ज्यादा सौर विस्फोटों की चपेट में आने के कारण मंगल ग्रह पर रेडिएशन का लेवल खतरनाक रूप से बढ़ सकता है।
Rajneesh kumar tiwari