जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं। महाराष्ट्र में महायुति को बहुमत वहीं झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने जबरदस्त वापसी की है। झारखंड में अनुसूचित जनजाति की सीटों पर झामुमो नीत गठजोड़ ने भाजपा का सफाया कर दिया। ऐसे में यह जानने में दिलचस्पी होती है कि झारखंड में भाजपा की हार झामुमो की जीत के क्या कारण रहे। झारखंड में चुनाव से कुछ महीने पहले जेल से बाहर आए हेमंत सोरेन के लिए सहानुभूति ने काम किया। इससे बीजेपी को झटका लगा। बता दें कि हेमंत सोरेन को 8.36 एकड़ जमीन के अवैध कब्जे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद बीजेपी को उनके खिलाफ एक मजबूत हथियार मिल गया। पार्टी लगातार भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर हमला करती रही। भाजपा की यह रणनीति उल्टी पड़ गई और जब सोरेन जेल में थे तो उन्होंने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को लोगों तक पहुंचने के लिए पीड़ित कार्ड खेलने के लिए तैनात किया। इस काम को आदिवासी अस्मिता से जोड़कर देखा गया। आदिवासी वोटर एकतरफा हेमंत सोरेने की तरफ गया। पीएम मोदी से लेकर झारखंड भाजपा के सह प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा तक सभी बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा पूरी ताकत से उठाया। भाजपा ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए दावा किया कि अगर वह सत्ता में आई तो वह बांग्लादेशी मुसलमानों को बांग्लादेश भेज देगी। चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के शीर्ष नेताओं ने दावा किया कि झारखंड के कुछ हिस्से खासकर संथाल परगना क्षेत्र मिनी बांग्लादेश बन रहे हैं। झामुमो और कांग्रेस ने लोगों के बीच जाकर यह संदेश दिया कि भाजपा फूट डालो और राज करो के अनुरूप सांप्रदायिक एजेंडा लागू करने की कोशिश कर रही है। वइ इस काम में सफल रही। झारखंड में भाजपा की हार का सबसे बड़ा कारण आदिवासी चेहरे की कमी भी रही। दूसरी ओर भाजपा ने कोई मुख्यमंत्री चेहरा भी पेश नहीं किया था। जो सत्तारूढ़ गठबंधन के खिलाफ विपक्षी पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हुआ। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन की तरफ से यह साफ था कि उनका सीएम चेहरा हेमंत सोरेन ही हैं। इसी तरह केंद्रीय जांच एजेंसियां यानी ईडी और सीबीआई सत्तारूढ़ पार्टी के शीर्ष नेताओं पर छापे मारने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए चर्चा में रही। जिससे इंडी गठबंधन को यह दावा करने का मौका मिला कि ये कार्रवाई राजनीति से प्रेरित और पक्षपातपूर्ण हैं। भाजपा को दलबदलुओं से भी बड़ा नुकसान हुआ है। हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन से लेकर उनके करीबी चंपई सोरेन भाजपा ने अपने पाले में खींचा। दलबदलुओं के साथ राजनीतिक का फायदा बीजेपी को नहीं मिल पाया। वह चुनावी लाभ कमाने में विफल रही। महिलाओं के लिए झारखंड सरकार ने मैया सम्मान योजना की शुरुआत की। इसके तहत सरकार हर महिला को 1000 रुपये देते हैं। इंडी गठबंधन पूरे चुनाव प्रचार के दौरान यही कहता रहा कि अगर भाजपा आई तो यह योजना बंद हो जाएगी। इसका असर चुनाव पर दिखाई दिया। परिणामों को देखकर ऐसा लगता कि आदिवासी क्षेत्रों में एकतरफा वोट इंडी गठबंधन को मिले।
Rajneesh kumar tiwari