टोक्यो। कभी अमेरिका-चीन से लेकर दुनिया के बडेÞ देशों को टक्कर देने वाला जापान अब भारत से पिछड़ने के करीब पहुंच गया है। कई रिपोर्टों के अनुसार अगले साल भारत की अर्थव्यवस्था जापान को पीछे छोड़ देगी। वहीं गिरती इकोनॉमी को लेकर जापान के लोग टेंशन में आ गए हैं। 80 से 90 के दशक में ऐसा लगता था कि जापान की इकॉनमी अमेरिका को पीछे छोड़ देगी। आज जापान दुनिया की टॉप अर्थव्यवस्थाओं की लिस्ट में चौथे नंबर पर खिसक चुका है। पहले चीन ने और फिर जर्मनी उससे आगे निकल गए। अब भारत के भी जल्दी ही जापान को पछाड़ने का अनुमान है। आईएमएफ का कहना है कि 2025 में डॉलर टर्म में नॉमिनल जीडीपी के आधार पर भारत दुनिया की चौथी बड़ी इकॉनमी बन जाएगा। भारत की इकॉनमी का साइज 4.1 ट्रिलियन डॉलर से 4.34 ट्रिलियन डॉलर पहुंच जाएगा। वहीं जापान की इकॉनमी 4.31 ट्रिलियन डॉलर रह जाएगी। बता दें कि 2010 तक जापान दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी था। केवल अमेरिका ही उससे आगे था। अब जापान पर पांचवें नंबर पर खिसकने वाला है। इन अनुमानों से जापान के लोगों में काफी गुस्सा है।
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आईएमएफ की रिपोर्ट पर अमिताभ कांत का बयान
आईएमएफ की रिपोर्ट पर नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने बड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि हमने 2022 में ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया था। अब जापान की बारी है। जीएसटी कलेक्शन में रिकॉर्ड उछाल, नियंत्रित महंगाई और जीडीपी के 8 फीसदी की रफ्तार से आगे जाने के चलते भारत जल्द ही जापान से आगे निकल जाएगा। मौजूदा समय का आंकलन करें तो आज भारत की इकॉनमी जहां रॉकेट की स्पीड से बढ़ रही है वहीं जापान बमुश्किल से मंदी से बचा है। फोर्ब्स के मुताबिक अमेरिका 27 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी है। चीन 18 ट्रिलियन डॉलर के साथ इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर है। यूरोप की सबसे बड़ी इकॉनमी वाला देश जर्मनी इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर है। उसकी इकॉनमी का साइज 4.73 ट्रिलियन डॉलर है। जापान 4.2 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया की चौथी बड़ी इकॉनमी है। भारत 4.1 ट्रलियन डॉलर के साथ इस लिस्ट में पांचवें नंबर पर है। साल 2014 में भारत दुनिया की दसवीं बड़ी इकॉनमी थी। भारतीय इकॉनमी को एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने में 60 साल का समय लगा था। 2007 में भारत इस मुकाम पर पहुंचा था। भारत की इकॉनमी का साइज 2014 में भारत दो ट्रिलियन डॉलर और 2021 में तीन ट्रिलियन डॉलर पहुंचा था।
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जापान के पिछड़ने का बताया कारण
दूसरी ओर जापान की इकोनॉमी के पीछे जाने की कई वजहें बताई जा रही हैं। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि देश बूढ़ा हो रहा है। लोग डिजिटलाइजेशन और कई डेवलपमेंट प्रोग्राम का विरोध करते हैं। साथ ही सरकार में बैठे लोग भी पुराने तौर तरीके पसंद करते हैं। इसके अलावा कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध ने भी जापानी इकोनॉमी पर बुरा असर डाला है। ओसीईडी की रिपोर्ट के अनुसार जापान की ग्रोथ दर 0.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वहीं जापान के लिए उसकी करेंसी येन की गिरावट सबसे बड़ी समस्या है। डॉलर के मुकाबले येन में हाल में काफी गिरावट आई है। यह 50 साल के न्यूनतम स्तर पर है। जानकारों का कहना है कि जापान विकसित बाजार है और वह भारत जैसे उभरते बाजारों का मुकाबला नहीं कर सकता है। जापान को ग्रोथ के लिए टेक्नोलॉजी, ह्यूमन कैपिटल में निवेश करना होगा।
Rajneesh kumar tiwari