जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। डीआरडीओ ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। सुखोई-30 एमके-आई लड़ाकू विमान से लंबी दूरी के ग्लाइड बम गौरव का पहला उड़ान परीक्षण सफल रहा। इससे जहां लड़ाकू विमान नहीं पहुंच पाएंगे वहां यह गौरव बम जाकर दुश्मनों को धुएं में उड़ा देगा। डीआरडीओ ने ओडिशा के तट के पास अपने पहले नए लांग रेंज ग्लाइड बम गौरव का सुखोई-30एमकेआई फाइटर जेट से सफल परीक्षण किया। इस टेस्ट के दौरान यह बम अपने सारे मानकों पर खरा उतरा। इसने लांग व्हीलर आइलैंड पर मौजूद टारगेट पर सटीक निशाना लगाते हुए उसे ध्वस्त कर दिया। लांग रेंज ग्लाइड बम गौरव 1,000 किलोग्राम वजनी ग्लाइड बम है। यह हवा से प्रक्षेपित यानी दुश्मनों पर गिराया जा सकता है। यह लंबी दूरी पर स्थित लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है। गौरव को डीआरडीओ के हैदराबाद स्थित रिसर्च सेंटर आरसीआई की तरफ से स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। बता दें कि भारतीय वायुसेना को एक ऐसे स्मार्ट बम की जरुरत थी, जो खुद दिशा तय कर दुश्मन टारगेट को बर्बाद कर दे। इस कार्य को डीआरडीओ ने बखूबी पूरा किया। वैज्ञानिकों ने दो तरह के बम का डिजाइन बनाया। डिजाइन के बाद इस बम को बनाने की जिम्मेदारी अदानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस को दी गई। कंपनी ने दोनों बमों का निर्माण किया। पहला विंग के जरिए ग्लाइड करने वाला गौरव है। वहीं दूसरा है बिना विंग वाला गौथम है। ये दोनों ही प्रेसिशन गाइडेड हथियार हैं। इनका उपयोग आमतौर पर एंटी-एयरक्राफ्ट डिफेंस में रेंज से बाहर मौजूद टारगेट्स को ध्वस्त करने के लिए किया जाएगा। यानी जहां फाइटर जेट्स, मिसाइल या ड्रोन नहीं जा सके, वहां पर इस बम से हमला किया जा सकता है। इससे दुश्मन देश द्वारा फाइटर जेट पर हमले की आशंका कम हो जाती है। गौरव 1000 किलोग्रमा का विंग वाला लंबी दूरी का ग्लाइड बम है। वहीं, गौथम 550 किलोग्राम का बिना विंग का बम है। दोनों की लंबाई 4 मीटर है और इसका व्यास 0.62 मीटर है। गौरव और गौथम दोनों ही बमों में सीएल-20 यानी फ्रैगमेंटेशन और क्लस्टर म्यूनिशन लगते हैं। ये बम टार्गेट के संपर्कमें आते ही विस्फोटक फट जाता है। गौरव की रेंज 100 किलोमीटर है। वहीं गौथम बिना विंग के 30 किलोमीटर तक हमला कर सकता है। दोनों बमों में इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम लगा है। जो जीपीएस और नाविक सैटेलाइट गाइडेंस सिस्टम से टारगेट तक पहुंचता है। इसे सुखोई सू-30एमकेआई फाइटर जेट पर तैनात किया जा सकता है। बता दें कि सुखोई फाइटर जेट से ही गौरव का सफल परीक्षण किया गया है। वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ग्लाइड बम के सफल उड़ान परीक्षण के लिए डीआरडीओ, भारतीय वायु सेना और उद्योग जगत की सराहना की। उन्होंने सफल परीक्षण को सशस्त्र बलों की क्षमता को और मजबूत करने के लिए स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के देश के प्रयास में एक प्रमुख मील का पत्थर बताया। जबकि रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर वी कामत ने एलआरजीबी के सफल उड़ान परीक्षण के लिए डीआरडीओ की पूरी टीम को बधाई दी है।
Rajneesh kumar tiwari