भुवनेश्वर। ओडिशा में भाजपा की नई सरकार ने जगन्नाथ मंदिर के तीन और गेट खुलवा दिए हैं। मंदिर के ये तीन गेट कई सालों से बंद थे। अब लोगों के मन में सवाल है कि आखिर मंदिर के दरवाजों और तीसरी सीढ़ी का क्या रहस्य है। भगवान जगन्नाथ के द्वारा आने वाले श्रद्धालु अब चारों गेट से दर्शन कर सकते हैं। भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले अपने घोषणापत्र में मंदिर के सभी गेट खोलने का वादा किया था। अब नई सरकार ने चारों गेट खोलने का वादा पूरा किया। सीएम मोहन चरण माझी ने मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना की। बता दें कि जगन्नाथ मंदिर भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। यह मंदिर हिंदुओं के चार धामों बद्रीनाथ, रामेश्वरम, द्वारिका और जगन्नाथपुरी में से एक है। यह मंदिर अपने आप में कई मान्यताओं और रहस्यों के लिए जाना जाता है। आज भी इस मंदिर में ऐसे कई चमत्कार होते हैं जिनका जवाब विज्ञान के पास भी नहीं मिलता है। ऐसा ही रहस्य है इस मंदिर की सीढ़ियों और गेटों को लेकर है। जगन्नाथ मंदिर में एंट्री के चार दरवाजे हैं। जिनके नाम सिंह द्वार, अश्व द्वार, व्याघ्र द्वार और हस्ति द्वार हैं। ये चारों दरवाजें चार दिशाओं में हैं। इन चारों दरवाजों के नाम जानवरों पर हैं। जिस गेट से अभी भक्तों का आवागमन था उस गेट का नाम सिंह द्वार है। सिंह द्वार और सिंह द्वार मंदिर की पूर्व दिशा में है, जो सिंह यानी शेर के नाम पर है। ये जगन्नाथ मंदिर में एंट्री करने का मुख्य द्वार है और इसे मोक्ष का द्वार भी कहा जाता है। वहीं दूसरे दरवाजे का नाम व्याघ्र द्वार है। इसका नाम बाघ पर है। इसे आकांक्षा का प्रतीक माना जाता है. ये गेट पश्चिम दिशा में है और इस गेट से संत और खास भक्त एंट्री लेते हैं। वही तीसरे दरवाजे का नाम हस्ति द्वार है। हस्ति द्वार का नाम हाथी पर है और यह उत्तर दिशा में है। बता दें कि हाथी को धन की देवी लक्ष्मी का वाहन माना जाता है। कहा जाता है कि इस द्वार पर दोनों तरफ हाथी की आकृति बनी हुई है, जिन्हें मुगल काल में उन्हें क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। चौथे दरवोज का नाम अश्व द्वार है। यह दक्षिण दिशा में है। घोड़ा इसका प्रतीक है। इसे विजय का द्वार भी कहा जाता है। जीत की कामना के लिए योद्धा इस गेट का इस्तेमाल किया करते थे। जगन्नाथ धाम मंदिर में कुल 22 सीढ़ियां हैं। ये सभी सीढ़ियां मानव जीवन की बाईस कमजोरियों का प्रतीक हैं। धार्मिक मान्यता के मुताबिक ये सभी सीढ़ियां बहुत ही रहस्यमयी हैं। जो भी भक्त इन सीढ़ियों से होकर गुजरता है वह तीसरी सीढ़ी पर पैर नहीं रखता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मंदिर की तीसरी सीढ़ी को यम शिला कहते हैं। अगर इस पर पैर रख दिया तो समझो कि सारे पुण्य धुल गए और फिर बैकुंठ की जगह यमलोक जाना पड़ेगा। इतना ही नहीं इस मंदिर कई अन्य रहस्य हैं जो आज तक खोजे नहीं जा सके हैं। माना जाता है कि लकड़ी की मूर्तियों रखे भगवान श्रीकृष्ण का हृदय आज भी धड़कता है। मूर्तियों के अंदर ब्रह्म पदार्थ है जिसे नई मूर्तियों में डाला जाता है। मंदिर की मूर्तियों को हर 12 साल में बदला जाता है। इस दौरान बिजली काट दी जाती है। कोई नहीं जानता कि यह ब्रह्म पदार्थ क्या है। मंदिर में जाने वाले भक्तों का कहना है कि मंदिर के सिंहद्वार में जाने पर जबतक अंदर कदम नहीं जाते तो समुद्र की लहरों की आवाज आती है। जैसे ही कदम सिंहद्वार में पड़ते हैं वैसे ही लहरों की आवाज रुक जाती है। इसी तरह इस मंदिर की रसोई में भी एक रहस्य है। यहां सात मिट्टी के बर्तनों में प्रसाद बनाया जाता है। सातों बर्तनों को एक के ऊपर एक रखा जाता है। हैरानी की बात यह है कि सबसे पहले सातवें बर्तन में प्रसाद तैयार होता है। उसके बाद छठे, पांचवे, चौथे, और आखिर में पहले में प्रसाद पककर तैयार होता है।
Rajneesh kumar tiwari