जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत जल्द ही लैंडर टेक्नोलॉजी में महारत हासिल कर लेगा। साथ ही भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को चंद्रमा पर खोज के लिए लांचिग प्वाइंट बनाने की भी तैयारी है। यह बात भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के चेयरमैन डॉ. एस सोमनाथ ने कही। उन्होंने मिशन गगनयान को लेकर भी बड़ा खुलासा किया। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने आगामी अंतरिक्ष मिशनों की तारीखों का खुलासा किया है। एस सोमनाथ के अनुसार, इसरो साल 2026 में गगनयान मिशन लांच करने की योजना बना रहा है। वहीं चंद्रयान मिशन साल 2028 में लांच किया जा सकता है। बता दें कि इसरो प्रमुख एस सोमनाथ आकाशवाणी यानी आल इंडिया रेडियो के सरदार पटेल मेमोरियल लेक्चर कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने यह महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के संयुक्त अभियान निसार को साल 2025 में लॉन्च करने की योजना है। इसरो प्रमुख ने कहा कि चंद्रयान-5 मिशन जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जेएएक्सए के साथ मिलकर पूरा किया जाएगा। हालांकि अभी इसमें समय है और इसके साल 2028 के बाद ही लॉन्च होने की उम्मीद है। इसरो प्रमुख ने बताया कि चंद्रयान-5 मिशन इंसानों को चांद पर भेजने के लिहाज से बेहद अहम होगा। चंद्रयान-5 मिशन के तहत जो रोवर भेजा जाएगा, वो करीब 350 किलो का होगा। इससे पहले चंद्रयान-3 मिशन में जो रोवर भेजा गया था, वो सिर्फ 27 किलो का था। चंद्रयान-5 मिशन का लैंडर इसरो बनाएगा, वहीं रोवर, जो 350 किलो का होगा, वह जापान द्वारा बनाया जाएगा। इसरो चीफ ने बताया कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी की योजना साल 2040 तक चांद पर इंसानी मिशन भेजने की है। आकाशवाणी में हुए कार्यक्रम के दौरान इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को विस्तार देने की जरूरत है। अभी वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष क्षेत्र में इसरो का योगदान सिर्फ दो प्रतिशत है और इस दशक में इसे बढ़ाकर कम से कम 10 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। इस वृद्धि के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी, उद्यमिता को सक्षम बनाने वाली नई नीतियों की जरूरत है। इसरो प्रमुख ने कहा कि कई बड़े और छोटे उद्योगों ने अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश करने में रुचि दिखाई है। इसमें बहुत सी चीजें जो पारंपरिक रूप से केवल इसरो द्वारा की जा सकती थीं, अब निजी उद्योग द्वारा की जा रही हैं। बता दें कि आज के समय में अंतरिक्ष किसी भी देश के लिए शक्ति, सुरक्षा और विकास का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बन चुका है। अमेरिका, रूस और चीन जैसे सुपर पावर देशों ने अंतरिक्ष में अपने केंद्र बनाए हैं। ये केंद्र न सिर्फ उनकी तकनीकी क्षमता को दिखाते हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी उनकी स्थिति को मजबूत करते हैं। इन केंद्रों के माध्यम से वे वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ-साथ सुरक्षा चुनौतियों का भी सामना कर रहे हैं। भारत भी अंतरिक्ष में तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने कई सफल मिशन के जरिए अपनी पहचान बनाई है। आने वाले सालों में भारत का लक्ष्य अंतरिक्ष केंद्र की स्थापना करना है। इससे न सिर्फ विज्ञान को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी बल्कि देश आर्थिक रूप से भी मजबूत होगा।
Rajneesh kumar tiwari