नई दिल्ली। धरती पर बढ़ती आबादी की टेंशन अब खत्म हो जाएगी। वैज्ञानिकों ने इंसानों के रहने लायक नया ग्रह खोज लिया है। इसे पृथ्वी की जुड़वा बहन बताया जा रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसके तापमान और पृथ्वी के तापमान में कई चीजें समान हैं। स्पेकुलोस-3बी के बाद अब नासा के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष दूरबीन का उपयोग करके एक आकर्षक दुनिया की खोज की है। यह पृथ्वी के आकार के बराबर है। साथ ही हमारे सौर मंडल के काफी करीब है। यह एक्सोप्लैनेट पृथ्वी से थोड़ा ज्यादा चौड़ा है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस ग्रह पर जीवन की संभावना हो सकती है। इस नए संभावित ग्रह को ग्लिसे या ग्लीज 12 बी नाम दिया गया है। ग्लिसे 12 बी एक छोटे और ठंडे बौने तारे की परिक्रमा करता है। इसका तापमान 42 डिग्री सेल्सियस के आसपास है। यह पृथ्वी से लगभग 40 प्रकाश वर्ष दूर मीन राशि में स्थित है। बता दें कि वैज्ञानिकों की भाषा में एक्सोप्लैनेट को ग्रह कहते हैं। ग्लिसे 12 बी एक्सोप्लैनेट की खोज नासा के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट यानी टीईएसएस के जरिए की गई है। इस एक्सोप्लैनेट की चौड़ाई पृथ्वी से लगभग 1.1 गुना होने का अनुमान है। यह चौड़ाई इस एक्सोप्लैनेट को हमारे ग्रह के साथ-साथ शुक्र के समान बनाता है। इसे पृथ्वी की जुड़वा बहन कहा जा रहा है। बता दें कि ग्लिसे 12 बी का एक साल 12 दिन और 8 घंटे का होता है। इस बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह अपने तारे ग्लिसे 12 की इतनी करीब से परिक्रमा करता है कि उसकी परिक्रमा जल्द पूरी हो जाती है। बता दें कि यह जिस ग्रह की परिक्रमा करता है वह सूर्य के आकार का एक चौथाई है। बता दें कि वैज्ञानिकों ने इसके पहले जो ग्रह स्पेकुलोस-3बी तारा खोजा था वह अपने तारे की परिक्रमा पूरी करने में लगभग 17 घंटे लेता है। इस ग्रह पर दिन और रात अंतहीन हैं। यह पृथ्वी से करीब 55 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। वैज्ञानिकों ने यहां भी जीवन की संभावना बताई थी लेकिन यह ग्रह काफी ठंडा है। वहीं नए ग्रह ग्लिसे 12 बी और पृथ्वी के वातावरण में कई समानताएं है। यहां का तापमान 42 डिग्री है। यानी यहां पर खेती से लेकर हर तरह की इंसानी गतिविधियां संभव हैं। यह अपने ग्रह प्रणाली के रहने योग्य क्षेत्र में है। इस क्षेत्र को गोल्डीलॉक्स जोन के रूप में भी जाना जाता है। यह रहने योग्य क्षेत्र एक तारे के आसपास का क्षेत्र है जो ग्रहों के लिए तरल पानी की मेजबानी करने के लिए न तो बहुत गर्म है और न ही बहुत ठंडा है। बता दें कि ज्यादा ठंडा होने पर भी कोई जीव जिंदा नहीं रहेगा और बेहद गर्म वातावरण हो तो भी कोई जिंदा नहीं रहेगा। वैज्ञानिक अब यह पता लगा रहे हैं कि इस ग्रह का कोई वायुमंडल है या नहीं। बता दें कि जीवन जीने के लिए वायुमंडल का होना बेहद जरूरी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि उन्हें अब तक जो नजर आया है, उससे लग रहा है कि इस ग्रह का कोई न कोई वायुमंडल जरूर है। वैज्ञानिकों ने ग्लिसे 12 बी को लेकर कहा कि ग्रह का आकार पृथ्वी के समान होना एक सुखद आश्चर्य है। ग्लिसे 12 बी शुक्र को सूर्य से मिलने वाले विकिरण का लगभग 85 प्रतिशत प्राप्त करता है। माना जाता है कि शुक्र की सतह के तापमान 867 डिग्री फारेनहाइट (464 डिग्री सेल्सियस) की तुलना में इसकी सतह का तापमान 107 डिग्री फारेनहाइट (42 डिग्री सेल्सियस) है। यद्यपि पृथ्वी और शुक्र दोनों सूर्य के रहने योग्य क्षेत्र में हैं, लेकिन एक में जीवन संभव है और अनुकूल वातावरण है, जबकि दूसरा एक दुर्गम नरक है जहां तापमान इतना गर्म है कि सीसा पिघल सकता है। ग्लिसे 12 बी का अध्ययन करने से हमें यह समझने में मदद मिल सकती है कि ऐसा क्यों है।
Rajneesh kumar tiwari