जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करने वाली है। ऐसे में इस बार रक्षा बजट बढ़ाए जाने के आसार हैं। इससे राफेल-एम और स्कॉर्पीन डील पर जल्द ही मुहर जाएगी। स्कॉर्पीन डील फाइनल होते ही नौसेना की ताकत में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी होगी। वहीं इंडियन आर्मी के सामने दुश्मन देश थर-थर कांप उठेगा। भारत की सीमा पर निगाहें गड़ाए दुश्मन मुल्कों को सचेत हो जाना चाहिए। भारत अपनी नौसेना की शक्ति बढ़ाने के लिए फ्रांस से राफेल लड़ाकू जेट के 26 नौसैनिक संस्करण और तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बी की खरीद पर अगले हफ्ते में मुहर लगा सकता है। पीएम मोदी कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी एआई पर आधारित दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए 10 से 11 फरवरी को पेरिस की यात्रा करेंगे। शिखर सम्मेलन से इतर पीएम मोदी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। ऐसे में इस बात की प्रबल संभावना है कि राफेल-एम और स्कॉर्पीन की खरीद संबंधी घोषणा की जा सकती है। दोनों समझौते पर सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट समिति को इन पर विचार करना है। जुलाई 2023 में रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस से 22 राफेल एम जेट की खरीद को मंजूरी दी थी। इसकी तैनाती मुख्य रूप से स्वदेशी रूप से निर्मित विमान वाहक आईएनएस विक्रांत पर की जाएगी। मंत्रालय ने फ्रांस से तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बी की खरीद को भी स्वीकृति दे दी थी। बता दें कि भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट-75 के तहत फ्रांस के नौसेना समूह के सहयोग से मझगांव डॉक लिमिटेड भारत में छह स्कॉर्पीन पनडुब्बी का निर्माण पहले ही कर चुका है। अब राफेल-एम जेट के साथ-साथ हथियार प्रणालियों और कलपुर्जों समेत संबंधित सहायक उपकरणों की खरीद एक अंतर-सरकारी समझौते पर आधारित होगी। भारतीय वायुसेना ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान उड़ने लायक स्थिति में खरीदे थे। वायुसेना का मानना है कि उसे राफेल जेट के कम से कम दो और बेड़े की खरीद करनी चाहिए। बता दें कि नौसेना की आवश्यकता को पूरा करने के लिए इन राफेल समुद्री जेट विमानों का अधिग्रहण महत्वपूर्ण है। वर्तमान में, नौसेना पुराने मिग-29 के जेट विमानों पर निर्भर है। जिन्हें समकालीन समुद्री युद्ध के लिए अपर्याप्त माना जा रहा है। राफेल एम जेट न केवल समुद्री हमले की क्षमताओं को बढ़ाएंगे, बल्कि मौजूदा भारतीय वायु सेना के राफेल विमानों के साथ अनुकूलता भी सुनिश्चित करेंगे। जिससे तमाम तरह के आपरेशन में आपसी तालमेल बढ़ेगा। यह सौदा भारत और फ्रांस के करेगा। इससे नौसैनिक क्षमताओं में रणनीतिक वृद्धि होगी। राफेल एम की डिलीवरी 2027 से शुरू होने के आसार हैं। ये रक्षा सौदे भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे। चीन की बढ़ती नौसैनिक ताकत को देखते हुए भारत को भी कदम उठाने की जरुरत है। यह सशस्त्र बलों को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
Rajneesh kumar tiwari