जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। इजरायल और हिजबुल्लाह के संघर्ष से पूरी दुनिया को डर लगने लगा है। यह पश्चिम एशिया से बड़े युद्ध की आहट है। अमेरिका ने भी इजरायल की मदद का ऐलान कर दिया है। इससे पश्चिम एशिया में एक और गल्फ वॉर शुरू हो सकता है। इसका पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। पश्चिम एशिया में जारी दो बड़े संघर्षों ने पूरे विश्व को चिंता में डाल दिया है। इजरायल एक साथ हिजबुल्लाह और हमास के साथ युद्ध में उलझा हुआ है। कई विश्लेषक और नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर शांति नहीं स्थापित हुई तो अन्य देश भी इस संघर्ष में उलझ सकते हैं। यह संकट पूरे मध्य पूर्व को अपनी चपेट में ले सकता है। फिलहाल जो हालात हैं वे शांति के लिए ज्यादा उम्मीद देने वाले नहीं है। लेबनान में इजरायल के हवाई हमले जारी हैं। हिजबुल्लाह के साथ संघर्ष में भी इजरायल वहीं भाषा बोल रहा है जो हमास के साथ लड़ाई में बोलता रहा है। इस बार भी उसका कहना है कि हिजबुल्लाह के खात्मे तक उसकी कार्रवाई जारी रहेगी। यह बात अलग है कि करीब साल भर के मिलिट्री आपरेशन के बाद वह गाजा में हमास को खत्म नहीं कर पाया है। बता दें कि इजरायल युद्ध के मोर्चे पर है और सालभर से आसपास के देशों के हमले झेल रहा है। साथ ही उनका माकूल जवाब भी दे रहा है। इजरायल पर फिलिस्तीनी संगठन हमास, लेबनान से हिज्बु्ल्लाह, यमन से हूती विद्रोही, इराक और सीरिया से ईरान समर्थित मिलिशिया लगातार रॉकेट और बम बरसा रहे हैं। ईरान के हमले का भी खतरा बना हुआ है। इन सबके बीच इजरायली सेना अपने दुश्मनों को चुन-चुनकर मार रही है और उनका खात्मा कर रही है। इस जंग के खत्म न होेने के आसार खतरनाक माहौल बना रहे हैं। इससे अरब देशों में तनाव देखने को मिल रहा है। जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में इस क्षेत्र में संघर्ष बढ़ सकता है। अमेरिका ने भी इजरायल की मदद का ऐलान कर दिया है। इससे एक और गल्फ वॉर शुरु हो सकता है। जानकार कहते हैं कि अब संघर्ष का समाधान निकालने की जरूरत है। अगर समाधान नहीं मिलता है तो व्यापक सैन्य संघर्ष की स्थिति बन सकती है। दुनिया देख रही है कि इजरायल और ईरान के बीच लगातार तनाव बना हुआ है। यह संघर्ष अन्य क्षेत्रीय शक्तियों को भी प्रभावित कर सकता है। खासकर ईरान समर्थित गुटों के जरिए. यदि यह संघर्ष बढ़ता है तो यह एक व्यापक क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकता है। ईरान-इजरायल के बीच जंग होती है तो इसका सीधा असर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल पर पड़ेगा। यदि संघर्ष और बढ़ता है तो वैश्विक आर्थिक अस्थिरता बढ़ जाएगी। गल्फ के देशों की तेल आपूर्ति और वैश्विक बाजार पर इसका सीधा असर पड़ेगा। क्षेत्र के अन्य देशों जैसे सऊदी अरब, कुवैत, ओमान, और संयुक्त अरब अमीरात पर भी इसका असर पड़ेगा। ईरान के साथ कई शिया समर्थित गुट और संगठन जुड़े हुए हैं। कतर मध्यस्थ भूमिका में है, लेकिन किसी का खुलकर समर्थन या विरोध नहीं किया है। जानकार कहते हैं कि यदि इजरायल-ईरान का संघर्ष बढ़ता है तो कतर भी युद्ध के मैदान में आ सकता है। बता दें कि गल्फ वॉर शब्द का इस्तेमाल 1980 के दशक में किया जाता था। यह ईरान-इराक युद्ध और 1991 के इराक के खिलाफ अमेरिकी गठबंधन की लड़ाई के लिए किया गया था।
Rajneesh kumar tiwari