हाथरस। हाथरस में 124 बेगुनाहों की जान लेने वाले कार्यक्रम के कर्ता-धर्ता ये बाबा बताए जा रहे हैं। इस बाबा के कारनामे जानकर हर कोई हैरान रह जाएगा। इनका असली नाम सूरजपाल जाटव है। इन पर यौन शोषण समेत 6 केस दर्ज है। साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा अपने कार्यक्रमों के अलावा अजब-गजब अंदाज के चलते सुर्खियों में रहते हैं। ये बाबा अन्य साधु संतों की तरह गेरुआ वस्त्र धारण नहीं करते। साथ ही न किसी भगवान की तस्वीर अपने कार्यक्रमों में लगाते हैं। साकार हरि अपने प्रवचनों में सफेद थ्री पीस सूट-बूट और महंगे चश्मे में दिखते हैं। बाबा के पास लगजरी कारों का काफिला है। इतना ही नहीं बाबाद के पास खुद की वर्दीधारी फौज है। इस लंबी चौड़ी फौज को आश्रम का सेवादार कहा जाता है। अनुयायियों का दावा है कि बाबा कोई भी दान-दक्षिणा या चढ़ावा आदि नहीं लेते हैं। अब अपने प्रवचनों में पाखंड का विरोध करने वाले बाबा पर झूठ और पाखंड का आरोप लगने लगा है। बता दें कि हादसे की असली वजह बाबा के पैरों की धूल लेना बताया जा रहा है। कार्यक्रम में यह भ्रांति फैलाई गई कि जो उनके पैरों के नीचे की धूल अपने घर ले जाएगा उसकी सभी बाधाएं दूर हो जाएंगी और किस्मत बदल जाएगी। यही भ्रांति ही हादसे की वजह बनी। कार्यक्रम की समाप्ति के बाद जब भोले बाबा का काफिला निकलते लगा उसी समय उनकी चरण धूल लेने के लिए अनुयायियों में अफरा-तफरी मच गई। भगदड़ के बीच हाईवे के सहारे के कीचड़युक्त खेत में तमाम लोग गिर गए। उनके ऊपर से भीड़ गुजर गई। जो जहां पड़ा था वहीं पड़ा रह गया। देखते-देखते ही यह जगह श्मशान में बदल गई। सवाल है कि क्या यह पाखंड नहीं हैं कैसे किसी के पैरों की धूल लोगों की किस्मत बदल सकती है। वहीं हादसे पर बात करें तो 124 मौतों के मामले में पुलिस ने आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आयोजकों पर सबूत छिपाने और नियमों का उल्लंघन करने का आरोप गया है। इस आयोजन में 2.5 लाख लोग इकट्ठा हुए थे, जबकि केवल 80 हजार लोगों की परमिशन थी। फिलहाल बाबा फरार है। भोले बाबा की कुंडली निकालें तो पता चलता है कि नारायण हरि उर्फ भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है। वे मूल रूप से कासगंज जिले के बहादुर नगर का रहने वाले हैं। बचपन में अपने पिता के साथ खेती करते थे। गांव में ही पढ़ाई पूरी की थी। इसके बाद पुलिस विभाग में भर्ती हो गए। यूपी पुलिस के एलआईयू विभाग में 18 साल नौकरी की है। 26 साल पहले इन पर यौन शोषण का आरोप लगा तो विभाग ने बर्खास्त कर दिया। इन पर यौन शोषण समेत 6 केस दर्ज हैं। 1990 में पुलिस विभाग की नौकरी छूटने के बाद सत्संग कराना शुरू कर दिया। इसके बाद अपना नाम सूरजपाल से बदलकर नारायण साकार हरि कर दिया। वह अपने प्रवचन में अक्सर कहते रहे हैं कि साकार हरि पूरे ब्रह्मांड के मालिक हैं। धीरे-धीरे भक्तों की सख्या बढ़ने लगी। यूपी के अलावा एमपी, हरियाणा और राजस्थान तक इनके भक्त हो गए। पश्चिमी यूपी के जिलों में बाबा के कई कई एकड़ जमीन पर आश्रम हैं। बाबा के अनुयायियों में सबसे बड़ा वर्ग अनुसूचित जाति-जनजाति और ओबीसी वर्ग का है। वंचित वर्ग बाबा को भोले बाबा के रूप में देखते हैं। बता दें कि नारायण साकार हरि का बसपा सरकार में डंका बजता था। बसपा सरकार में ये लाल बत्ती की गाड़ी में सत्संग स्थल तक पहुंचते थे। उनकी कार के आगे आगे पुलिस एस्कॉर्ट करते हुए चलती थी। बसपा सरकार में तत्कालीन जनप्रतिनिधि उनके सत्संग में शामिल होने पहुंचते थे। खास बात यह है कि इंटरनेट के जमाने में अन्य साधु-सतों और कथावाचकों से इतर सोशल मीडिया से दूर हैं। बाबा का कोई आधिकारिक अकाउंट किसी भी प्लेटफॉर्म पर नहीं है। भक्तों का दावा है कि नारायण साकार हरि यानी भोले बाबा के जमीनी स्तर पर अच्छे खासे अनुयायी हैं।
Rajneesh kumar tiwari