जयपुर। इन दिनों जिस राजस्थान के रेगिस्तान की चर्चा भीषण गर्मी को लेकर हो रही है उस पर वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि आने वाले दिनों में पूरा का पूरा थार का रेगिस्तान गायब हो जाएगा। यह पूरा इलाका हरा-भरा हो जाएगा। भारत में गर्मी ने इस बार अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ने का इरादा बना लिया है। तापमान चालीस के नीचे आने का नाम नहीं ले रहा। वहीं राजस्थान में तो पारा 50 डिग्री के पार चला गया है। इसी बीच वैज्ञानिकों ने राजस्थान के थार मरुस्थल को लेकर चौंकाने वाली भविष्यवाणी की है, जिसने हर किसी को हैरान कर दिया है। अर्थ्स फ्यूचर जर्नल में यह दावा किया गया है कि इस सदी के अंत से पहले थार रेगिस्तान हरा-भरा हो जाएगा। यानी आगामी 90 साल में थार डेजर्ट का नामों-निशान मिट जाएगा। यहां रेत की जगह हरे-भरे पेड़-पौधे नजर आएंगे। वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में अनुमान लगाया है कि 2050 तक सहारा रेगिस्तान का सालाना आकार 6 हजार किलोमीटर से अधिक बढ़ सकता है। वहीं थार रेगिस्तान में औसत वर्षा 1901 और 2015 के बीच 10-15 फीसदी की वृद्धि हुई है। वैज्ञानिकों का दावा है कि ग्रीनहाउस गैस के प्रभावों को देखते हुए आने वाले समय में यहां बारिश में 50 से 200 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि राजस्थान का थार रेगिस्तान अपने शुष्क विस्तार के लिए जाना जाता है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण एक परिवर्तनकारी बदलाव से गुजर रहा है। वहीं दुनिया भर में कई रेगिस्तानों का बढ़ते तापमान के साथ विस्तार होने की भविष्यवाणी की गई है। जबकि थार रेगिस्तान में इसके उलट असर देखने को मिल रहा है। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने आगे कहा है कि भारतीय मॉनसून के पूर्व की ओर खिसकने से पश्चिम और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में सूखा पड़ा और धीरे-धीरे यह इलाका रेगिस्तान में तबदील हो गया, जबकि हजारों वर्ष पूर्व यहां सिंधु घाटी सभ्यता मौजूद थी और तब यहां भरपूर बारिश होती थी। अब एक बार फिर यह इलाका सिंधु घाटी सभ्यता के दौर में लौटने वाला है। शोधकर्ताओं का मानना है कि भारत के पश्चिम और उत्तर-पश्चिम क्षेत्रों में आर्द्र मानसून इसका कारण बनेगा। सबसे अच्छी बात यह है कि यह परिवर्तन देश की बढ़ती आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा को बढ़ा सकता है। चाइनीज एकेडमी आॅफ साइंसेज की नई रिसर्च में सामने आया है कि दुनिया भर में धूल के स्तर में कमी आ रही है। जिससे रेगिस्तानों पर हवाएं चलने के तरीके में बदलाव आ रहा है। सबसे ज्यादा असर पश्चिम और दक्षिण एशिया में धूल के प्रमुख सोर्स यानी अरब प्रायद्वीप और भारत-पाकिस्तान के बीच थार रेगिस्तान पर पड़ रहा है। बता दें कि थार डेजर्ट को ग्रेट इंडियन डेजर्ट भी कहा जाता है। यह विश्व का 17वां सबसे बड़ा रेगिस्तान है और 9वां सबसे गर्म डेजर्ट है। थार का 85 प्रतिशत भाग भारत और 15 प्रतिशत हिस्सा पाकिस्तान में है। रिकॉर्ड के अनुसार, राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 62 प्रतिशत भाग रेगिस्तान से घिरा हुआ है। यह रेगिस्तान गुजरात, पंजाब, हरियाणा और पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में भी फैला हुआ है। गर्मियों में थार डेजर्ट की रेत उबलती है। यहां तापमान 52 डिग्री सेल्सियस तक रिकॉर्ड किया गया है। जबकि सर्दियों में तापमान शून्य से नीचे चला जाता है। इसका मुख्य कारण है यहां की बालू रेत, जो जल्दी गर्म और जल्दी ठंडी हो जाती है। गर्मियों में मरुस्थल में तेज गर्म हवाएं चलती हैं जिन्हें लू कहते हैं। लू रेत के टीलों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाती हैं और टीलों को नई आकृतियां प्रदान करती हैं। अब इस बार इस प्रक्रिया में बदलाव देखा गया है।
Rajneesh kumar tiwari