जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। गहरे समुद्र मिशन में भारत को बड़ी कामयाबी मिली है। वैज्ञानिकों ने हिंद महासागर की सतह से 4,500 मीटर नीचे जलतापीय छेद की खोज की है। शीर्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि 4,000 करोड़ का डीप सी मिशन सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। इस उपलब्धि को थंबन मेलोथ ने केवल शुरूआत बताया। दुनिया के 70 फीसदी हिस्से में पानी है। सागर और महासागर अपने आप में संसाधनों का भंडार समेटे हुए हैं। काफी शोध के बाद भी वैज्ञानिक अभी भी इन महासागरों के 95 फीसदी से अनजान हैं। समुद्री रहस्यों का पता लगाने के लिए भारत ने 2021 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत डीप सी मिशन यानी डीओएम की शुरुआत की। अब यह मेहनत रंग लाने लगी है। भारतीय वैज्ञानिकों की टीम ने हिंद महासागर की सतह से 4,500 मीटर नीचे एक सक्रिय हाइड्रोथर्मल वेंट यानी जलतापीय छेद की खोज की है। शीर्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि 4,000 करोड़ का यह डीप सी मिशन सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। इस उपलब्धि को राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र यानी एनसीपीओआर के निदेशक थंबन मेलोथ ने केवल शुरूआत बताया। बता दें कि इस मिशन का उद्देश्य नए खनिजों और जलवायु परिवर्तन में महासागर की भूमिका और समुद्र की अज्ञात गहराई की खोज करना है। मेलोथ ने कहा कि हाइड्रोथर्मल वेंट्स की खोज से नीली अर्थव्यवस्था में निवेश को मान्यता मिलेगी। मेलोथ ने आगे कहा कि हम कामयाबी से उत्साहित हैं। बता दें कि पहला हाइड्रोथर्मल वेंट 1977 में पूर्वी प्रशांत महासागर में गैलापागोस रिफ्ट पर खोजा गया था। इसके बाद से वैज्ञानिकों ने दुनिया के महासागरों में सैकड़ों ऐसे वेंट खोजे हैं। हाइड्रोथर्मल वेंट या जलतापीय छेद समुद्र की सतह पर वे खुली जगह होती हैं, जहां भूतापीय तौर पर गर्म जल बहता रहता है। केंद्रीय विज्ञान राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार जितेंद्र सिंह ने इस उपलब्धि पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार समुद्र में खोज और अनुसंधान बढ़ाने के लिए संकल्पबद्ध है। केंद्र सरकार गहरे समुद्र में मानव भेजने की योजना पर काम कर रही है। यह मिशन 2026 के शुरू में मानव अंतरिक्ष मिशन के साथ लांच करने की संभावना है। उन्होेंने कहा कि यह अजीब संयोग होगा जब एक भारतीय अंतरिक्ष में होगा और दूसरा गहरे समुद्र में। यह अपने आप में नए तरह का रिकॉर्ड होगा। उन्होंने कहा कि 2025 के लिए शुरू किया मानव अंतरिक्ष मिशन अगले साल नहीं हो सकता है। अब 2026 की शुरूआत में होने की उम्मीद है। बता दें कि समुद्रयान मिशन के रूप में तीन व्यक्तियों को समुद्र तल से 6,000 मीटर नीचे भेजा जाएगा।
Rajneesh kumar tiwari