जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत में एशिया का पहला सागरीय वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुका है। जब इस पुल से शिप निकलेंगे तब यह 72 फीट ऊपर उठ जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि मार्च में ट्रेनों के आॅपरेशन के लिए शुरू हो जाएगा। रामेश्वरम तीर्थ क्षेत्र को रेलवे नेटवर्क से को जोड़ने वाला पम्बन सागरीय ब्रिज आधुनिक तकनीक और इंजीनियरिंग का एक उत्कृष्ट नमूना है। देश का पहला सागरीय वर्टिकल ब्रिज पूरी तरह से बनकर तैयार है। सूत्रों के अनुसार, संभावना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मार्च 2025 तक इसका उद्घाटन कर सकते हैं । 2 किलोमीटर और 10 मीटर लंबे इस पुल के बीच में बना 72.5 मीटर लंबा वर्टिकल लिफ्ट जहाजों के आवागमन के लिए ऊपर उठाया जाएगा। यह देश ही नहीं बल्कि एशिया का पहला वर्टिकल समुद्री ब्रिज है। जिसमें 660 मीट्रिक टन वजनी स्पैन लगा है। बता दें कि नए ब्रिज से पहले ब्रिटिश काल में बना पुराना पम्बन ब्रिज लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र हुआ करता था। 1914 में बना पुराना ब्रिज भी जहाजों के आवागमन के लिए दो भागों में खुलता था। बाद में इंदिरा गांधी के कार्यकाल में इसका पुनर्निर्माण किया गया था। बंगाल की खाड़ी से अरब सागर को जोड़ने वाले समुद्री रूट के लिए यह ब्रिज सौ सालों से महत्वपूर्ण कड़ी रहा है। इसकी अहमियत को देखते हुए अब नई तकनीक के साथ इसका निर्माण हुआ है। नया ब्रिज पूरी तरह कंप्यूटराइज्ड है और एक क्लिक पर 5 मिनट 8 सेकंड में 72 मीटर ऊपर उठ जाता है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, फरवरी 2019 में नए ब्रिज के निर्माण की शुरूआत हुई। इसे दिसंबर 2022 तक पूरा किया जाना था। इसी बीच कोरोना महामारी के कारण काम में बाधा आई। आखिरकार साल 2025 में ब्रिज तैयार हो गया। सुरक्षा मानकों की जांच के बाद सफल ट्रायल भी पूरा किया गया। 26 नवंबर 2024 को कमिश्नर आॅफ रेल सेफ्टी ने इसे ट्रेनों के संचालन के लिए मंजूरी दे दी। अब केवल प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उद्घाटन का इंतजार किया जा रहा है। स्पैनिश इंजीनियरों द्वारा तैयार की गई इस ब्रिज की डिजाइन भारत के लिए खास है। नया पूरी तरह विद्युतीकृत है। 25000 वोल्ट ओवरहेड वायर पर यहां ट्रेनों का संचालन होगा। इस पुल की अधिकतम क्षमता 80 किलोमीटर प्रति घंटा की है लेकिन 75 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से ट्रेनों का संचालन होगा। जहां पुराने ब्रिज पर ट्रेन को 10 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलना पड़ता था वहीं नए ब्रिज पर यह यात्रा 3 से 4 मिनट में पूरी हो सकेगी। प्रारंभिक परिचालन में 12 ट्रेनें रोजाना चलाई जाएंगी। इसके बाद मांग के अनुसार ट्रेन सेवाएं बढ़ाई जाएंगी। दूसरा ट्रैक बिछाने के लिए भी पिलर पहले से तैयार हैं। भविष्य में जरूरत पड़ने पर गर्डर डालकर दूसरा ट्रैक बिछाया जा सकता है। यदि हवा की गति निर्धारित सीमा से अधिक होती है, तो ब्रिज स्वत: बंद हो जाएगा। जब तक सभी सुरक्षा मानक पूरे नहीं होते, ब्रिज नहीं खुलेगा। ब्रिज संकेत प्रणाली और अन्य सुरक्षा उपकरणों से लैस है, जिससे नावों और जहाजों के लिए सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित किया जाएगा। इस पुल की लागत 531 करोड़ रुपये आई है।
Rajneesh kumar tiwari