भारत ने अपनी परमाणु तकनीकी क्षमताओं में ऐतिहासिक छलांग लगाई है। डीआरडीओ ने 11 मार्च को ओडिशा स्थित डॉ एपीजे अब्दुल कलाम आईलैंड पर अग्नि-5 मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इसे ‘मिशन दिव्यास्त्र’ कहा जा रहा है। स्वदेशी अग्नि-5 मिसाइल एमआईआरवी यानी मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल तकनीक से लैस है। जिसे भारत की तकनीकी शक्ति में मील का पत्थर माना जा रहा है। इसके साथ ही भारत एमआईआरवी क्षमता वाले चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है। यह तकनीक केवल कुछ ही देशों के पास है। क्योंकि इसमें महारत हासिल करना बेहद मुश्किल है। अग्नि-5 के सफल परीक्षण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी।
क्या है एमआईआरवी तकनीक
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अग्नि-5 मिसाइल में जो एमआईआरवी तकनीक लगी है, उसे 50 साल पहले बनाया गया था। लेकिन यह तकनीक इतनी कठिन है कि अभी कुछ ही देशों के पास ही उपलब्ध है। वर्तमान में एमआईआरवी तकनीक से लैस मिसाइलें रूस, चीन, अमेरिका, फ्रांस और इजराइल के पास हैं। अब इस क्लब में भारत भी शामिल हो गया है। एमआईआरवी तकनीक एक ही मिसाइल से विभिन्न स्थानों पर कई हथियार ले जाने और कई ठिकानों पर हमला करने में सक्षम है। इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि जैसे एक बस यात्रियों को अलग-अलग स्टॉप पर उतार सकती है, उसी तरह से एमआईआरवी तकनीक अपने हथियार को अलग-अलग लक्ष्यों पर हमला करने के लिए छोड़ सकती है। इन मिसाइलों को जमीन या समंदर में खड़ी पनडुब्बी से लॉन्च किया जा सकता है। ऐसा संदेह है कि पाकिस्तान भी ऐसा मिसाइल सिस्टम बनाने की कोशिश कर रहा है। इसे विकसित करना इतना आसान नहीं है, इसके लिए बड़ी मिसाइलें, छोटे वॉरहेड और सही गाइडेंस की जरूरत होती है, इसीलिए तो यह सभी देशों के पास उपलब्ध नहीं है।
एमआईआरवी कैसे करता है काम
एमआईआरवी तकनीक से मिसाइल को किसी अन्य मिसाइल की तरह ही अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाता है। एक बार जब यह अपने निश्चित बिंदु पर पहुंच जाती है तो मिसाइल खुल जाती है और अलग-अलग हथियार छोड़ देती है। फिर प्रत्येक हथियार को अपने विशिष्ट लक्ष्य पर निर्देशित किया जाता है। इसका मतलब है कि केवल एक मिसाइल से आप एक-दूसरे से बहुत दूर स्थित कई लक्ष्यों को भेद सकते हैं।
एमआईआरवी का उपयोग
एमआईआरवी तकनीक से अलग-अलग लक्ष्यों को भेदने के लिए कई मिसाइलों की बजाय केवल एक का उपयोग किया जा सकता है। मान लीजिए कि कोई दुश्मन देश कई सैन्य ठिकानों पर हमला करना चाहता है जो बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। ऐसे में एक से अधिक मिसाइलों को छोड़ने की बजाय सभी ठिकानों पर एक साथ हमला करने के लिए एमआईआरवी मिसाइल का उपयोग किया जा सकता है।
अग्नि-5 मिसाइल का परीक्षण
भारत ने अग्नि-5 को विकसित करने का ऐलान वर्ष 2007 में किया था, जबकि इसका पहला सफल परीक्षण साल 2012 में किया गया था। अग्नि-5 मिसाइल की मारक क्षमता पांच हजार किलोमीटर है। यानी इसकी जद में चीन और आधे यूरोप के अलावा अफ्रीका के कुछ हिस्से भी आ जाते हैं। भारत की सैन्य चुनौतियों के मद्देनजर लंबे समय से अग्नि-5 मिसाइल की जरूरत महसूस की जा रही थी। जिसका निर्माण कर डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इससे पहले की मिसाइलें अग्नि-1 से अग्नि-4 की रेंज 700 से 3500 किलोमीटर ही थी। बता दें कि अग्नि मिसाइलें भारतीय सेना के बेड़े में 1990 से मौजूद हैं। समय के साथ इसमें नया और अत्याधुनिक बदलाव किया जाता रहा है। अग्नि-5 में ऐसे सेंसर लगे हैं, जिससे वह सटीकता के साथ निशाना लगाने में सक्षम है। अग्नि-5 मिसाइल अपने साथ परमाणु हथियार भी ले जा सकती है।
महिलाओं की रही अहम भागीदारी
अग्नि-5 मिसाइल के प्रोजेक्ट में महिलाओं की अहम भागीदारी रही है। इसे विकसित करने में महिला वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब तक भारतीय सेना के बेड़े में 700 किमी. रेंज वाली अग्नि-1, 2000 किमी. रेंज वाली अग्नि-2, 2500 किमी. रेंज वाली अग्नि-3 और 3500 किमी. रेंज वाली अग्नि-4 मिसाइलें हैं। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह मिसाइलें पाकिस्तान जैसे देश के दुश्मनों को ध्वस्त करने के लिए पर्याप्त हैं। वहीं, अग्नि-5 की लंबी दूरी और परमाणु क्षमता को देखते हुए माना जा रहा है कि इसे चीन जैसे दुश्मनों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसके अलावा, अग्नि-6 मिसाइल का भी विकास किया जा रहा है, जिसकी मारक क्षमता 6000 किमी. से काफी ज्यादा होगी।
क्यों चिंतित है चीन?
अभी तक चीन के कई ठिकाने भारतीय मिसाइलों की रेंज से दूर थे। एमआईआरवी के साथ अग्नि-5 इन ठिकानों को हासिल करवाने में सक्षम होगी। इसी वजह से चीन की चिंता बढ़ गई है। भारत ने जब अग्नि-5 के परीक्षण के लिए बंगाल की खाड़ी को नो फ्लाइंग जोन घोषित किया तो इस पर चीन भी पैनी नजरें गड़ाए हुआ था। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अग्नि-5 के सफल परीक्षण के बाद भारत कई वॉरहेड एक साथ ले जा सकता है। इस मिसाइल के आने से परमाणु उन्माद में लगे चीन के खिलाफ भारतीय क्षमताओं में और बढ़ोत्तरी होगी।
भारत का मकसद
डीआरडीओ के पूर्व रक्षा वैज्ञानिकों ने एमआईआरवी तकनीक से लैस अग्नि-5 मिसाइल को भारत की अभूतपूर्व उपलब्धि बताया है। उनका कहना है कि भारत के मिसाइल कार्यक्रम किसी को डराने के लिए नहीं है। यह रक्षा क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास है। हालांकि, उनका मानना है कि अग्नि-5 मिसाइल के जरिए भारत चीन की किसी भी चुनौती को विफल कर सकता है। अगर चीन कभी बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम तैनात करने की सोचता है तो भारत इसका जवाब अग्नि-5 मिसाइल से दे सकता है।
Arun kumar baranwal