जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। जिस काम के बारे में एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स कभी सोच भी नहीं सकती वह काम इसरो ने कर दिखाया। इसरो ने मस्क की कंपनी की तुलना में बेहद सस्ते क्रायोजेनिक इंजन विकसित कर सबको चौंका दिया। यह इंजन स्पेसएक्स के रैप्टर इंजन से ज्यादा आधुनिक और तेज है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। बेहतर रॉकेट्स के लिए मशहूर इसरो ने तमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स से सीई-20 क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण समुद्र तल पर प्रज्वलन के लिए किया गया। इस उपलब्धि से भारत अपने अंतरिक्ष अभियानों में बड़ी बढ़त हासिल कर लेगा। बता दें कि सीई-20 क्रायोजेनिक इंजन तरल हाइड्रोजन और तरल आक्सीजन जैसे ईंधन का उपयोग करता है। इसका थ्रस्ट लेवल 19 से 22 टन तक डेवलप किया गया है। हाई नोजल एरिया रेशियो के साथ इसरो ने अपने इंजन को कम लागत में विकसित किया है। सीई-20 इंजन से न केवल उच्च ऊंचाई से प्रक्षेणप की पक्रिया पूरी होगी बल्कि अंतरिक्ष और समुद्र तल पर भी काम करेगा। इसमें नोजल प्रोटेक्शन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है। इससे समुद्र तल से प्रक्षेपण की लागत कम हो जाएगी। वहीं आने वाले दिनों में इसरो इससे भी ज्यादा दमदार इंजन टेस्ट करने का भी प्लान बना रहा है। एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की बात करें तो उसका रैप्टर इंजन मिथेन और आक्सीजन का उपयोग करता है। वहीं इसरो के इंजन में क्रायोजेनिक और सेमी-क्रायोजेनिक टेक्नोलॉजी के अलग मिश्रण का इस्तेमाल किया गया है। इसरो ने अपने इंजन को कम लागत में विकसित किया है। जो इसे पूरी दुनिया में सबसे अलग है। इंजन की तकनीक में ग्रीन प्रोपेलेंट का उपयोग किया गया है। जो इसे पर्यावरण के अनुकूल बनाता है। समुद्र तल से क्रायोजेनिक इंजन की टेस्टिंग क्यों जरुरी थी इस पर इसरो ने बयान जारी किया। जिसमें कहा गया कि समुद्र तल पर मानक वायुमंडलीय दबाव ज्यादा होता है। अगर इस वातावरण में इंजन काम कर लेता है तो वह कहीं भी काम करने में सक्षम होगा। बता दें कि वायुमंडलीय दबाव में इंजन को नुकसान होने का खतरा रहता है। क्रायोजेनिक ईंधन और ज्वलनशील गैसों के बीच ज्यादा तापमान अंतर को संभालना काफी मुश्किल काम होता है। इसरो ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए विशेष इंजेक्टर और मल्टी-एलिमेंट इग्नाइटर का उपयोग किया। इसरो की प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस चुनौती को स्वीकार किया है। बता दें कि इसरो भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष यान, गगनयान मिशन के लिए इस इंजन पर काम कर रहा है। ये सफलता गगनयान मिशन के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
Rajneesh kumar tiwari