जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। एलएसी पर अब चीन को टेंशन बढ़ने वाली है। लद्दाख में सीमा के पास अब भारत के फाइटर जेट गरजेंगे। एलएसी से महज 35 किलोमीटर दूर न्योमा का रनवे तैयार हो गया है। अब सबसे जरूरी निरीक्षण के काम को पूरा कर लिया है। अब जल्द यहां पर फाइटर जेटों को उतारने की तैयारी शुरू हो जाएगी। चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी से महज 35 किलोमीटर दूर न्योमा एयर बेस भारत के लिए गेम चेंजर है। यहां फाइटर जेटों को उतारने के लिए न्योमा का रनवे तैयार हो गया है। वायुसेना ने सबसे जरूरी निरीक्षण के काम को भी पूरा कर लिया है। बता दें कि साढ़े चार साल पहले पूर्वी लद्दाख में भारतीय वायुसेना ने अपने आपरेशन से चीन को बैकफुट पर डाल दिया था। वजह थी कम समय में भारतीय सेना की तेजी से तैनाती। भारतीय वायुसेना ने सेना के भारी भरकम साजो-सामान, हथियारों को एलएसी तक पहुंचा दिया था। इस एयर बेस के खुल जाने से लद्दाख में अब यह काम और तेजी से होगा।
सूत्रों के मुताबिक इसी महीने वायुसेना की टीम ने इस रनवे का निरीक्षण किया। टेस्ट करने वाली टीम में पायलट, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर और टैक्निकल स्टाफ ने हर एक पहलू पर जांच की। जिसके बाद रनवे को फिट घोषित कर दिया गया। इस एयर बेस के बन जाने के बाद भारतीय वायुसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा हो जाएगा। बता दं कि न्योमा पहले एक एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड था, जिसे एक्टिव एयर स्ट्रिप में तब्दील किया गया है। इस एयरफील्ड पर अब जल्द ही फायटर जेट की लैंडिंग भी होगी। न्योमा के पूरा होने के बाद वायुसेना को 13700 फीट की ऊंचाई पर अब लद्दाख से फाइटर आपरेशन के लिए तीसरा एयर बेस मिल जाएगा। यह 2.7 किलोमीटर लंबा कंक्रीट का रनवे है। न्योमा एयरबेस पर लैंडिंग और टेकआफ दोनों तरफ से हो सकती है, जो कि बहुत बड़ा एडवांटेज है। इस अपग्रेडेशन में 214 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च आया है। अपग्रेडेशन का काम पर्यावरण और अन्य तरह की मंजूरी के चलते थोड़ा लेट हुआ था। अब काम तेजी से जारी है। फाइटर के अलावा भारी भरकम मालवाहक विमान भी यहां आसानी से लैंड और टेकआफ कर सकेंगे। बता दें कि टेक्टिकल ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सीआआई 130 जे सुपर हर्क्युलिस पहले दौलत बेग ओल्डी में लैंड कर चुका है। अब न्योमा के नए स्ट्रिप पर लैंडिंग की तैयारी है।इस एयरबेस के बन जाने से भारत का स्पेशल आपरेशन ट्रांसपोर्ट सिस्टम काफी मजबूत हो जाएगा। युद्ध की स्थिति में आपरेशन के लिए 3 एडवांस लैंडिंग ग्राउंड न्योमा, दौलत बेग ओल्डी, फुक्चे से हमला किया जा सकेगा। न्योमा पहली बार 1962 में अस्तित्व में आया था। उसके बाद इसका कभी इस्तेमाल ही नहीं किया गया। मोदी सरकार ने चीन की भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए चीन से लगने वाले इलाकों में स्थित सभी एडवांस लैंडिंग ग्राउंड को अपग्रेड करने के प्लान को तैयार किया। इस बेस की खूबियों की बात करें तो यह एडवांस लैंडिंग ग्राउंड देखने में किसी एयर स्ट्रिप जैसा दिखाई देता है। यह पहाड़ों के बीच समतल सी दिखने वाली उबड खबड सतह है। यहां स्पेशल आप्रेशन ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ़्ट और हैलिकॉप्टर को आसानी से उड़ाया जा सकता है। एएसी पर इमरजेंसी लैंडिंग स्ट्रिप के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। बता दें कि भारत और चीन के बीच की एएसी ऊंचे पहाड़ों से होकर गुजरती है। ऐसे में किसी भी स्थायी एयरबेस का निर्माण वहां मुश्किल होता है। भारत ने इस लक्ष्य को पूरा कर लिया है। यह सिर्फ सेना के आपरेशन लिए ही नहीं बल्कि दुर्गम इलाकों में रहने वालों के लिए किसी लाइफ लाइन से कम नहीं होगा।
Rajneesh kumar tiwari