जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत को रक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक सफलता मिली है। डीआरडीओ ने हाइपरसॉनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह 1500 किलोमीटर तक मार करने वाली हाइपरसॉनिक मिसाइल है। यानी 1500 किलोमीटर तक दुश्मन के ठिकाने पलभर में खाक हो जाएंगे। भारत दुनिया पांच चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है जिसके पास हाइपरसॉनिक मिसाइल की ताकत है। रिपोर्ट्स के अनुसार दुनिया में इस समय हाइपरसॉनिक मिसाइल की क्षमता सिर्फ अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और भारत के पास है। यह बात अलग है कि ईरान की तरफ से भी ऐसी मिसाइलों के परीक्षण की खबरें सामने आती रही हैं। इसके अलावा ब्रिटेन, इजरायल, ब्राजील और दक्षिण कोरिया में यह तकनीक विकसित की जा रही है। देश में रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान के लिए प्रसिद्ध डीआरडीओ ने इस लंबी दूर तक मार करने वाली हाइपरसॉनिक मिसाइल के फ्लाइट ट्रायल को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। बताया गया है कि यह परीक्षण ओडिशा के तटीय इलाके पर स्थित एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप पर किया गया। अधिकारियों ने बताया कि मिसाइल का परीक्षण रविवार को किया गया। दूसरी तरफ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक पोस्ट में कहा कि अब भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने इस बेहद अहम तकनीक को विकसित की है। राजनाथ ने इस कामयाबी के लिए डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और उद्योगों को बधाई दी और इसे आश्चर्यजनक सफलता करार दिया। इस हाइपरसॉनिक मिसाइल को हैदराबाद स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्पलेक्स लैबोरेट्री, डीआरडीओ और उद्योग से जुड़े अन्य साझेदारों के साथ मिलकर तैयार किया गया है। इसे 1500 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तक अलग-अलग पेलोड से हमला करने के लिए बनाया गया है। इसे सभी सशस्त्र बलों के इस्तेमाल के लिहाज से तैयार किया गया है। बताया गया है कि मिसाइल के परीक्षण के दौरान डीआरडीओ के वैज्ञानिक और सशस्त्र बल के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। अलग-अलग रेंज सिस्टम से इसे ट्रैक किया गया। इसके बाद मिसाइल की उड़ान को लेकर जो आंकड़े सामने आए, उससे इसके प्रभाव और अचूक निशाने की बात तय हो गई है। हाइपरसोनिक मिसाइल आवाज की रफ्तार 1235 किमी प्रतिघंट से कम से कम पांच गुना तेजी से उड़ान भर सकती है। यानी इसकी न्यूनतम रफ्तार 6174 किमी प्रतिघंटा होती है। हाइपरसोनिक मिसाइल क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइल दोनों के फीचर्स से लेस होती हैं। यह मिसाइल लांच होने के बाद पृथ्वी की कक्षा से बाहर चली जाती है। इसके बाद यह जमीन या हवा में मौजूद टारगेट को अपना निशाना बनाती है। इन्हें रोकना काफी मुश्किल होता है। साथ ही तेज रफ्तार की वजह से रडार भी इन्हें पकड़ नहीं पाते हैं।
Rajneesh kumar tiwari