जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। चीन और पाकिस्तान की चुनौतियों के बीच वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने रक्षा बजट पेश किया। हमारा बजट भले ही चीन की तुलना कम हो लेकिन भारत ने जो प्लान तैयार किया है उससे दुश्मन देश हिल जाएंगे। बजट 2024 में भारत के रक्षा मंत्रालय को 6,21,940.85 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। ये करीब 75 अरब डालर हैं। बता दें कि देश के विभिन्न मंत्रालयों में जितना बजट आवंटन हुआ है उनमें सबसे ज्यादा बजट रक्षा मंत्रालय का ही है। रक्षा बजट साल 2024-2025 के लिए पेश कुल बजट का 12.9 फीसद है। ये राशि वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में 4.79 प्रतिशत ज्यादा है। इस बार के रक्षा बजट में सीमा की सुरक्षा और घरेलू उत्पादों पर जोर ज्यादा है। साथ ही डिफेंस स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने का प्रावधान है। वित्तमंत्री ने इस रक्षा बजट में 1.05 लाख करोड़ रुपए का ऐलान सिर्फ इसलिए किया है। जिससे आत्मनिर्भर भारत के तहत देश की कंपनियों से रक्षा की खरीद-फरोख्त हो पाए. उन्हें बढ़ावा दिया जा सके। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बजट के लिए वित्त मंत्री सीतारमण को धन्यवाद कहा। चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों से घिरे भारत की मोदी सरकार सुरक्षा के मोर्चे पर कोई चांस नहीं लेना चाहती। चीन के रक्षा बजट का मुकाबला करने के लिए सेना ने भारतीय वैज्ञानिकों की मदद से अचूक जुगाड़ निकाला है। इस जुगाड़ की मदद से भारतीय वायु सेना पांचवीं पीढ़ी जैसे लड़ाकू विमान मिल जाएंगे। जो कई मायनों में अपने सबसे आधुनिक विमान राफेल से भी बेहतर होंगे। इस जुगाड़ तकनीक की वजह से पुराने पड़े लड़ाकू विमान बेहद एडवांस हो जाएंगे। भारत सरकार की इस योजना और भारतीय वैज्ञानिकों के इस जुगाड़ को देखकर दोनों पड़ोसी दुश्मन देशों के फाइटर जेट बाप-बाप करने लगेंगे। भारत सरकार इस जुगाड़ तकनीक पर एक दो नहीं बल्कि पूरे 63 हजार करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है। यह पूरी कहानी है रूसी लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई को बेहद आधुनिक देसी तकनीक से लैस करने की है। इससे ये सुखोई विमान बेहद खतरनाक बन जाएंगे। इनके फीचर्स अधिकतर मामलों में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान जैसे हो जाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक इसके तहत पहले चरण में 84 सुखोई लड़ाकू विमानों को अपग्रेड किया जाएगा। अपग्रेडेशन के बाद ये विमान क्षमता के मामले में पांचवीं पीढी के विमान बन जाएंगे। इसकी मारक क्षमता को अचूक बनाने के लिए इसमें एआई और डाटा का जबर्दस्त इस्तेमाल किया जाएगा। ऐसा होने के बाद ये सुखोई विमान 2055 तक भारतीय सेना की सेवा कर सकेंगे। बता दें कि भारतीय वायु सेना लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही है। उसके पास केवल 30 स्क्वाड्रन्स हैं जबकि चीन और पाकिस्तान दोनों से संभावित खतरों को देखते हुए कम से कम 42 स्क्वाड्रन्स की जरूरत है। एक स्क्वाड्रन्स में 16 से 18 लड़ाकू विमान होते हैं। सभी 84 डबल इंजन सुखोई जेट को हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड अपग्रेड करेगी। मौजूदा वक्त में भारतीय वायु सेना के पास 259 सुखोई विमान हैं। इन विमानों में बेहद एडवांस रडार सिस्टम विरपक्ष को इंस्टाल किया जाएगा। इससे सुखोई की डिटेक्शन रेंज यानी चीजों को देखने की क्षमता डेढ़ से पौने दो गुना बढ़ जाएगी। इसमें लंबी दूरी की मिसाइलें जैसे अस्त्र-3 को तैनात किया जा सकेगा। इससे ये हवा से 350 किमी की दूरी पर टार्गेट को नष्ट कर सकेंगे। कुल मिलाकर इन विमानों में 51 सिस्टम को अपग्रेड किया जाएगा। पूरे रक्षा बजट की बात करें तो करीब 6.22 लाख करोड़ के बजट में से पूंजीगत व्यय के लिए सेना को कुल 1.72 लाख करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं। इसमें बड़े पैमाने पर नए हथियार, विमान, युद्धपोत और अन्य सैन्य साजोसामान खरीदना शामिल है। जीविका और परिचालन तत्परता के लिए 92,088 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं। इसके अलावा रक्षा पेंशन बजट बढ़ाकर 1.41 लाख करोड़ रुपये किया गया है। सीमा पर सड़कों के विकास के लिए 6,500 करोड़ रुपये आवंटित; तटीय सुरक्षा के लिए 7,651 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं। नवाचार को बढ़ावा देने के लिए वित्त वर्ष 2023-24 में वित्त वर्ष 2023-24 में आईडेक्स के लिए बजटीय आवंटन 115 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 518 करोड़ रुपये किया गया। रक्षा बजट कुल जीडीपी का 1.9 प्रतिशत। यदि इसकी तुलना चीन और अमेरिका से की जाए तो भारत पीछे है। चीन ने पिछले साल 230 अरब डालर का रक्षा बजट घोषित किया था। जबकि अमेरिका का रक्षा बजट 860 अरब डालर के करीब है। भारत का रक्षा बजट 2022 में पहली बार पांच लाख करोड़ रुपये के पार हुआ था और 5.25 लाख करोड़ आवंटित हुए थे। 2023 में यह बढकर 5.94 लाख करोड़ रुपये हो गया था। पिछले साल के बजट से तुलना करें तो केवल 4.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। विशेषज्ञ कहते हैं कि इसमें यदि मंहगाई आदि के आंकड़ों को जोड़ लें तो यह बजट 2023-24 में आवंटित राशि से ज्यादा नहीं बैठेगा। ऐसे में जुगाड़ तकनीक के सहारे भारत ने कम पैसे में अच्छी तकनीक विकसित करने का कारगर तरीका अपनाया है।
Rajneesh kumar tiwari