जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रोजेक्ट पी-75 के तहत भारत एक साथ कई परमाणु पनडुब्बियों का निर्माण किया जाएगा। इससे न केवल दुश्मनों के होश पाख्ता हो जाएगा बल्कि देश की सुरक्षा भी मजबूत होगी। इन परमाणु पनडुब्बियों की मारक क्षमता अचूक होगी। साथ ही ये आधुनिक तकनीक से लैस होगी। भारत सरकार की सीसीएस यानी प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली कैबिनेट कमेटी आॅन सिक्योरिटी ने दो स्वदेशी परमाणु पनडुब्बियों को बनाने की अनुमति दी है। इससे भारतीय नौसेना की सामरिक और आक्रामक क्षमता में बढ़ोतरी होगी। इन पनडुब्बियों के बनने से नौसेना की ताकत हिंद महासागर क्षेत्र और दक्षिण चीन सागर में अधिक हो जाएगी। इन पनडुब्बियों को विशाखापट्टनम के शिप बिल्डिंग सेंटर में बनाया जाएगा। इस बनाने में लार्सेन एंड टुब्रो जैसी निजी कंपनियों की मदद भी ली जा सकती है। पनडुब्बियां 95 फीसदी तक स्वदेशी होंगी। ये पनडुब्बियां अरिहंत क्लास से अलग होंगी। इन्हें प्रोजेक्ट एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल के तहत बनाया जाएगा। प्रोजेक्ट पी-75 के तहत दो के बाद चार और परमाणु पनडुब्बी बनाई जा सकती है। बता दें कि भारत ने हाल ही में अपनी दूसरी एसएसबीएन परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत को लांच किया था। इस प्रोजेक्ट के आगे बढ़ने के बाद अगले साल भर भारतीय नौसेना में अलग-अलग तरह के कई युद्धपोत और सबमरीन देखने को मिलेंगे। इन 12 जंगी जहाजों में फ्रिगेट्स, कॉर्वेट्स, डेस्ट्रॉयर्स और सबमरीन शामिल हैं। आईएनएस विशाखापट्टनम क्लास के चार युद्धपोत इसी साल दिसंबर में नौसेना में शामिल किए जाएंगे। इसमें कुछ अपग्रेडेशन का काम चल रहा है। दिसंबर में ही इसी क्लास का आईएनस सूरत भी नौसना का हिस्साा बन जाएगा। बता दें कि विशाखापट्टनम क्लास के डेस्ट्रॉयर्स में 32 बराक 8 मिसाइलें, 16 ब्रह्मोस एंटी शिप मिसाइल लगी होती हैं। इसके अलावा टॉरपीडो ट्यूब्स, 2 एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर्स, 7 प्रकार के गन्स होते हैं। इसमें ध्रुव और सी किंग हेलिकॉप्टर भी तैनात किए जाएंगे। ये ऐसे युद्धपोत हैं, जिनसे लगातार ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का परीक्षण किया जा रहा है। इसके अलावा आईएनएस वाघशीर भी नौसेना का हिस्सा बनने वाली है। ये कलवारी क्लास यानी स्कॉर्पीन क्लास की डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बी है। यह पनडुब्बी इस साल दिसंबर में तैनात हो जाएगी। यह एंटी-सरफेस, एंटी-सबमरीन वारफेयर में माहिर है। आईएनएस वाघशीर कई मिशन कर सकती है। इसमें सतह-विरोधी युद्ध, पनडुब्बी रोधी युद्ध, खुफिया जानकारी जमा करना शामिल हैं। यह समुद्री बारूदी सुरंग बिछाने, क्षेत्र की निगरानी आदि करने में सक्षम है। इस पनडुब्बी को हर परिस्थिति में संचालित करने के लिए डिजाइन किया गया है। अगले साल जून में नेवी में आईएनएस संशोधक शामिल हो जाएगा। यह संध्यक क्लास का सर्वे शिप है। इसकी मदद से नौसेना समंदर के नीचे और ऊपर किसी भी तरह का रिसर्च और सर्वे मिशन कर सकती है। इसके अलावा आईएनएस निर्देशक भी नौसेना का हिस्सा होगा। ये भी संध्यक क्लास का सर्वे वेसल है। इसमें एडवांस हाइड्रोग्राफिक जांच करने की क्षमता है। साथ ही यह नौसेना के मेरिटाइम आपरेशन और सुरक्षित नेविगेशन में मदद करेगा। वहीं आईएनएस इक्छक भी अगले साल मार्च में मिल जाएगा। इससे नौसेना हाइड्रोग्राफिक सर्वे कर पाएगी। साथ ही मेरीटाइम डेटा जमा करने में मदद मिलेगी।
Rajneesh kumar tiwari