सीमा को लेकर भारत और चीन के बीच लंबे अरसे से विवाद चल रहा है। गलवान में दोनों देशों के सैनिकों बीच हुई खूनी झड़प की यादें आज भी जेहन में ताजा है। विवाद के बीच चीन सीमा पर एक और खतरनाक चाल चल रहा है, जिसकों लेकर विशेषज्ञों ने चेतावनी जारी की है।
सैन्य सुविधाओं के नेटवर्क का किया विस्तार
भारतीय सीमा के करीब चीन लगातार गांवों के विकास में लगा हुआ है। वॉशिंगटन थिंक टैंक सेंटर फॉर इंटरनेशनल एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज की नई रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, चार साल में चीन ने सीमा पर 624 गांवों को बसा दिया है। इसके अलावा वह हेलीपैड और सैन्य सुविधाओं के नेटवर्क का भी विस्तार कर रहा है। 2022 से 2024 के बीच हुए इस विस्तार को सैटेलाइट तस्वीरों में दिखाया गया है।
गुप्त रूप से सैनिक तैनात कर सकता है चीन
रिपोर्ट में अरुणाचल के पास चार अलग-अलग जगहों पर सैन्य और दोहरे इस्तेमाल वाले गांव के बुनियादी ढांचे का खुलासा किया गया है। बता दें कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न क्षेत्र है। जिस पर चीन अपना इलाका होने का दावा करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन सीमा पर गांवों का निर्माण ग्रे-जोन रणनीति के तहत करता है। इसे युद्ध और शांति के बीच का माना जाता है। लेकिन, उन्होंने चेतावनी दी है कि इन गांवों में चीन गुप्त रूप से अपने सैनिकों को तैनात कर सकता है।
सैनिकों के बीच तनाव बरकरार
बता दें कि 1962 में भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर लड़ाई हुई थी। उसके बाद दिसंबर 2020 में दोनों देशों के सैनिकों के बीच गलवान में हिंसक झड़प हुई थी। इसके अलावा, पिछले तीन वर्षों में कई बार सीमा पर हल्की-फुल्की झड़प देखी गई है। तभी से सैनिकों के बीच तनाव बरकरार है। अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों से लैस दोनों देशों के सैनिक सीमा पर तैनात हैं। विशेषज्ञोें का कहना है कि सीमा पर बढ़ते सैन्यीकरण के चलते जोखिम बना हुआ है।
सही विकल्प की तलाश में भारत
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने पिछले साल याराओ के पास एक नई सड़क और दो हेलीपैड भी बनाए थे। 3,900 मीटर की ऊंचाई पर बसे याराओ में मौसम अनुकूल नहीं है, इसके बावजूद भी चीन ने दिसंबर 2022 तक वहां नई इमारतें खड़ी कर दी। विशेषज्ञों ने चेतावनी देते हुए कहा कि चीन तिब्बती और हान आबादी के मिश्रण के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में जनसांख्यिकी को भी बदल रहा है। साथ ही अपनी सैन्य स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। चीन को जवाब देने के लिए अब भारत भी सही विकल्प की तलाश में जुट गया है।
Arun kumar baranwal