जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। चीन की विशालकाय गुप्त पनडुब्बी की पहली तस्वीर ने तहलका मचा दिया है। इसे दक्षिणी चीन के गुआंगझोउ शिपयार्ड में सैटेलाइट के जरिए देखा गया है। ऐसी आशंका है कि यह लंबाई में दुनिया की सबसे बड़ी पनडु्ब्बी हो सकती है। वहीं चीन को करारा जबाब देने क लिए भारत भी नई परमाणु पनडुब्बी उतार रहा है। नेवल न्यूज के अनुसार चीन की पनडुब्बी गुआंगझोउ शिपयार्ड में एक फ्लोटिंग डॉक पर देखी गई। इस शिपयार्ड में चीन तेजी से आक्रमण करने वाले जहाजों का निर्माण कर रहा है। प्रसिद्ध नौसेना विशेषज्ञ एचआई सटन ने कहा कि पनडुब्बी की लंबाई लगभग 148 फीट और चौड़ाई 15 फीट है। नई पनडुब्बी के डिजाइन के बारे में पहले कोई जानकारी नहीं दी गई है। पनडुब्बियों के बारे में जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों ने चीन के इस पनडुब्बी के उद्देश्यों पर भी शंका जाहिर की है। वुहान के पास एक शिपयार्ड में लांच की गई परमाणु बैटरी वाली टाइप-041 नई पनडुब्बी परमाणु शक्ति से लैस नहीं है। यह चीन की 'ओलंपिक' पनडुब्बी से भी अलग है। बता दें कि चीन का सैन्य उपकरणों को गुप्त रूप से डिजाइन करने और अपनी क्षमताओं के साथ-साथ इसके उपयोग को छिपाने का इतिहास रहा है। सामान्य डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की तुलना में यह नई पनडुब्बी संभवत: उथले पानी के संचालन के लिए अधिक उपयुक्त है। ऐसा माना जाता है कि इसमें टारपीडो ट्यूब और संभावित रूप से एक टोड सोनार सरणी है जिसका अर्थ है कि यह जहाजों या अन्य पनडुब्बियों पर हमला कर सकती है। दूसरी ओर चीन की नई पनडुब्बी को भारत की ओर से करारा जवाब मिलेगा। बता दें कि दक्षिण चीन सागर के बाद अब हिंद महासागर में भी हथियारों की रेस तेज होती जा रही है। चीनी नौसेना की बढ़ती उपस्थिति के बीच भारत अब अपनी तीसरी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी को शामिल करने जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस भारतीय परमाणु पनडुब्बी को इस साल के आखिर में शामिल कर लिया जाएगा। भारतीय नौसेना में यह किलर पनडुब्बी ऐसे समय पर शामिल की जा रही है जब पाकिस्तान की नौसेना चीन और तुर्की की मदद से बहुत तेजी से आधुनिकीकरण कर रही है। भारतीय नौसेना के पास इस समय दो परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघात है। तीसरी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिदमन का पिछले 3 साल से ट्रायल चल रहा है। इसे इस साल तक नौसेना में शामिल किया जाएगा। दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बन चुकी चीन की पीएलए ने अपनी सबमरीन ताकत के लिए पानी की तरह से पैसे बहा रही है। चीन की नौसेना के पास इस समय 6 परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी, 6 अटैक परमाणु पनडुब्बी है। इसके अलावा 8 डीजल से चलने वाली एआईपी तकनीक से लैस परंपरागत पनडुब्बी है। एआईपी से लैस पनडुब्बी कई दिनों तक पानी में रह सकती है। चीन की पुरानी सबमरीन के रिटायर होने के बाद भी साल 2025 तक उसकी सबमरीन ताकत 65 तक बनी रहेगी। चीन लगातार सबमरीन बना रहा है और यह साल 2035 तक बढ़कर 80 पहुंच जाएगी। चीन जहां बहुत तेजी से अपनी सबमरीन ताकत को बढ़ा रहा है, वहीं भारत की पहली अटैक परमाणु पनडुब्बी साल 2036 तक शामिल हो जाएगी। वहीं दूसरी साल 2038 तक नेवी में शामिल होगी। भारतीय नौसेना में हाल ही में 6 कलावरी श्रेणी की परंपरागत सबमरीन शामिल हुई हैं। भारत अब फ्रांस से 3 और कलावरी श्रेणी की पनडुब्बियों को शामिल करने के लिए बात कर रहा है। ब भारत रिफिट के दौरान इन पनडुब्बियों में एआईपी तकनीक लगाएगा।
Rajneesh kumar tiwari