नई दिल्ली। राफेल को देख घबराए चीन ने तिब्बत में सिक्किम के पास अपना सबसे शक्तिशाली फाइटर जेट जे-20 तैनात किया है। अब भारत भी जे-20 को मात देने के लिए उससे भी तगड़ी नीति तैयार करने में जुट गया है। पहली बार भारतीय राफेल जेट अमेरिका के अलास्का पहुंचे हैं। यहा अमेरिकी एयरफोर्स और भारतीय एयरफोर्स मिलकर जे-20 का दम निकालने के लिए सैन्य युद्धाभ्यास करेंगे। भारतीय वायु सेना के राफेल जेट पहली बार अमेरिका में लैंड हुए हैं। प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय अभ्यास रेड फ्लैग 24 में हिस्सा लेने के लिए राफेल लड़ाकू जेट अमेरिका पहुंचे हैं। यह एफ-16 फाइटिंग फाल्कन और एफ-35 स्टील्थ लड़ाकू विमानों के साथ प्रशिक्षण लेंगे। बता दें कि इस युद्धाभ्यास को अपने उन्नत हवाई युद्ध प्रशिक्षण के लिए जाना जाता है। साथ ही इस युद्धाभ्यास के दौरान 77 हजार वर्ग मील से अधिक हवाई क्षेत्र का उपयोग किया जाएगा। यह सबसे बड़ी लड़ाकू प्रशिक्षण रेंज है। भारतीय वायुसेना के राफेल सबसे उन्नत अमेरिकी लड़ाकू जेट विमानों के खिलाफ हवाई युद्ध में शामिल होंगे। भारतीय वायुसेना ने आधिकारिक तौर पर अमेरिका के अलास्का में ईल्सन वायु सेना बेस पर टुकड़ी के पहुंचने की घोषणा की। इंडियन एयरफोर्स ने बताया कि दो सप्ताह के अभ्यास का उद्देश्य बहुराष्ट्रीय वातावरण में एयरक्रू को एकीकृत करना, युद्ध की तैयारी और अमूल्य प्रशिक्षण का अवसर प्रदान करना है। अमेरिका तक जाने के रास्ते में राफेल विमान ग्रीस और पुर्तगाल में रुके। इन विमानों के साथ हवा से हवा में ईंधन भरने वाला आईएल-78 और सी-17 परिवहन विमान भी था। 4 सिंगल और 4 ट्विन सीटर के साथ कुल 8 राफेल विमान रेड फ्लैग अभ्यास में भाग ले रहे हैं। बता दें कि भारत इस युद्धाभ्यास में ऐसे समय पर शामिल हुआ है, जब चीन ने एलएसी से 150 किमी की दूरी पर ही जे-20 फाइटर जेट तैनात किया है। सैटलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन ने अभी दो दिन पहले ही जे-20 फाइटर जेट को तिब्बत में शिगात्से एयरबेस पर तैनात किया है। चीन का यह एयरबेस सिक्किम के पास है जहां से कुछ ही दूरी पर पश्चिम बंगाल में भारत ने 16 राफेल फाइटर जेट को तैनात कर रखा है। राफेल फाइटर जेट को 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान माना जाता है। चीन एक तरफ जहां जे-20 को भेजकर ताइवान को डरा रहा है, वहीं अब उसने भारत की सीमा पर भी दबाव बढ़ाने की कोशिश की है। चीन की इस नापाक चाल से निपटने के लिए भारत ने तिब्बत सीमा के पास एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम तैनात किया है। बता दें कि ताइवान के खिलाफ हाल ही में हुए जोरदार युद्धाभ्यास के दौरान चीन ने इस जे-20 फाइटर जेट का इस्तेमाल किया था। पहले ताइवान और अब भारतीय सीमा के पास जे-20 की तैनाती रणनीतिक हल्कों में चर्चा का विषय बन गया है। इससे भारत समेत पड़ोसी देश इस विमान की ताकत का आकलन करने में जुट गए हैं जिससे उससे निपटा जा सके। अमेरिका के साथ युद्धाभ्यास के दौरान भारत को चीन के जे-20 की काट निकालने में मदद मिलेगी। वहीं दूसरी ओर एलओसी के पास जे-20 की तैनाती को विश्लेषक भारत के लिए बड़ा अवसर मान रहे हैं। उनका कहना है कि भारत यह जान सकता है कि जे-20 फाइटर जेट का रणनीतिक महत्व क्या है और चीन की सैन्य तैयारी क्या है। जे-20 ने भले ही कुछ एंगल से रडार की पकड़ में आने से बचने का तरीका खोज लिया है लेकिन कई मौकों पर इसे पहचाना जा सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि भारत चीनी विमान की स्टील्थ क्षमता और रडार की पकड़ में आने का परीक्षण कर सकता है। इससे भारत को चीन की स्टील्थ तकनीक के बारे में प्रभावी जानकारी मिल सकती है।
Rajneesh kumar tiwari