नई दिल्ली। चीन के सबसे मजबूत माने जाने वाले लड़ाकू विमान जेट जे-20 की पोल खुल गई है। चीन ने एक राफेल से निपटने के लिए अपने 5 फाइटर जेट तैनात किए थे। यह बड़ा खुलासा पूर्व वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने किया है।
पूर्व वायु सेना प्रमुख ने किया खुलासा
गलवान संघर्ष के बाद भारत और चीन के बीच तनाव बना हुआ है। एक ओर जहां चीन अपनी वायु शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि कर रहा है वहीं भारतीय वायु सेना के पूर्व प्रमुख ने चीनी ताकत की पोल खोल दी। एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने खुलासा किया है कि चीन ने गतिरोध के दौरान भारत के नए खरीदे गए राफेल जेट की तुलना में पांच गुना अधिक जे-20 स्टील्थ लड़ाकू विमान तैनात किए थे। साक्षात्कार के दौरान भदौरिया ने राफेल लड़ाकू विमानों के रणनीतिक महत्व पर जोर दिया। उन्हें उस समय भारतीय वायु सेना में सबसे मजबूत हथियार प्रणाली बताया।
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राफेल के आगमन ने चीन को कर दिया बेचैन
रिपोर्ट के अनुसार भदौरिया ने बताया कि कैसे राफेल के आगमन ने चीन को बेचैन कर दिया। जब भारत में राफेल की संख्या चार हुई तो चीन ने उसका मुकाबला करने के लिए अपने फाइटर जेट जे-20 की संख्या 20 कर दी। इतना ही नहीं प्रत्येक राफेल का मुकाबला करने के लिए चीन ने पांच जे-20 तैनात किए थे। बता दें कि जे-20 चीन का सबसे उन्नत लड़ाकू विमान माना जाता है। चीन इससे राफेल का जवाब देना चाहता है। पूर्व भारतीय वायु सेना प्रमुख के खुलासे ने राफेल और चीन के जे-20 स्टील्थ विमानों को लेकर लंबे समय से चली आ रही बहस को फिर से हवा दे दी है। यह तैनाती अनुपात न केवल एक दुर्जेय प्रतिद्वंद्वी के रूप में राफेल की कथित क्षमता को रेखांकित करता है, बल्कि राफेल खतरे को बेअसर करने के लिए जे-20 की क्षमता पर भी सवाल उठाता है। अब अगर राफेल और चीन के जे-20 की तुलना की जाए तो भारत का राफेल बेहतर माना जा रहा है। संरचना और तकनीक के अलावा ज्यादा अहम ये है कि लीबिया, इराक और सीरिया के युद्धक्षेत्रों में फ्रेंच फाइटर राफेल अपनी गुणवत्ता साबित कर चुका है। वहीं चीनी फाइटरों को अभी वास्तविक युद्ध में अपनी क्षमता साबित करनी है। जे-20 की मशीन को लेकर संदेह की स्थितियां हैं। इसके अलावा कई दिक्कतों की छुपी खबरें सामने आई हैं। बता दें कि चीन की वायुसेना में जे-20 को काफी तवज्जो दी जाती है। इन्हें पांचवीं जेनरेशन के फाइटर के तौर पर 4.5 जेनरेशन के राफेल की तुलना में बेहतर बताया गया। अब यह साबित हो गया है कि चीनी फाइटरों की जो क्षमताएं प्रचारित की गई हैं, वो सिर्फ कागजों पर हैं। राफेल की बातें करें इसकी क्षमता पूरी दुनिया में प्रमाणित हो चुकी है। राफेल परमाणु मिसाइल डिलीवर करने में सक्षम है। वहीं दुश्मन के इलाके में जाए बगैर भी वार करने में अचूक है। हथियारों का सबसे सुविधाजनक इस्तेमाल, निचले अक्षांशों में भी हवा से हवा में मार कर सकता है। इसकी मारक क्षमता हवा से हवा में 150 किलोमीटर, हवा से जमीन तक 300 किलोमीटर है। राफेल मैक 1.8 यानी करीब 2020 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम है। विमान में हवा में ईंधन भरा जा सकता है। विमान में नौ टन से अधिक का बाहरी भार उठाने की क्षमता है। राफेल की विजिबिलिटी 360 डिग्री यानी ऊपर-नीचे, अगल-बगल यानी हर तरफ निगरानी रखने में सक्षम है। कई देशों में हुई लड़ाइयों में इसका इस्तेमाल हुआ है। राफेल में जहां मीटियोर, स्कैल्फ और जबकि हैमर मसाइल लगाई जा सकती है वहीं जे-20 में पीएल-15 मिसाइलें और पीएल- 20 मिसाइल लगाई जा सकती है। हथियारों के लिए इंटरनल कैपिसिटी सीमित होने और सुपरक्रूज क्षमता न होने के कारण चीनी लड़ाकू विमानों के सामने चुनौती है। वहीं, राफेल इस सिलसिले में बहुत आगे है। लो आरसीएस हथियार कैरी करने की अच्छी क्षमता के साथ ही इसमें सुपरक्रूज ताकतें भी हैं। तकनीक की बात की जाए तो राफेल में सबसे ज्यादा एडवांस्ड रडार तैनात हैं। इसके साथ ही, राफेल में एईएसए और उपयुक्त एवियोनिक्स का इस्तेमाल हुआ है।
Rajneesh kumar tiwari