जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। सफल परीक्षण के बाद अब भारतीय सेना में तीसरी पीढ़ी की नाग मिसाइल शामिल होने को तैयार है। यह मिसाइल कई मायनों में खास है। यह 4 किलोमीटर दूर से दुश्मन देश के टैंक को 17 से 18 सेकेंड में ध्वस्त कर देगी। इस खतरनाक मिसाइल को एक बार दागा गया तो टारगेट का नामोनिशान खत्म हो जाता है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने स्वदेशी नाग मिसाइल एमके- 2 का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण पोखरण फील्ड रेंज में हुआ। नाग एमके- 2 एक तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक मिसाइल है। यह फायर-एंड-फॉरगेट तकनीक पर काम करती है। मतलब एक बार निशाना लगाने के बाद मिसाइल खुद ही उसे तबाह कर देती है। परीक्षण में मिसाइल ने कम और ज्यादा दोनों दूरियों पर निशाने को सटीकता से भेद दिया। इसके साथ ही नाग मिसाइल कैरियर का संस्करण 2 का भी मूल्यांकन भी हो गया। अब यह पूरा वेपन सिस्टम भारतीय सेना में शामिल होने के लिए तैयार है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसके सफल परीक्षण के लिए डीआडीओ, भारतीय सेना और उद्योग जगत को बधाई दी है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह थर्ड-जेनेरेशन एंटी-टैंक फायर-एंड-फॉरगेट गाइडेड मिसाइल है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि तीन फील्ड परीक्षणों के दौरान, मिसाइल सिस्टम ने सभी लक्ष्यों को सटीक रूप से नष्ट किया। इसने अपनी फायरिंग रेंज को साबित कर दिया। रक्षा मंत्रालय ने बयान में कहा कि गाइडेड मिसाइल का परीक्षण रक्षा क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। इस परीक्षण के बाद भारत की सैन्य शक्ति में जबर्दस्त इजाफा होगा। दुश्मन देश का टैंक इसके सामने टिक नहीं पाएगा। यह 4 किलोमीटर दूर से ही दुश्मन देश के टैंक को 17 से 18 सेकेंड में ध्वस्त कर देगी। इसके साथ ही इस मिसाइल की क्षमता को बढ़ाया या घटाया जा सकता है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत ने भी सभी हितधारकों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने मिसाइल को भारतीय सेना में शामिल करने के लिए तैयार करने के लिए सभी को धन्यवाद दिया। बता दें कि पिछले साल भारत ने एक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि 4 का सफल प्रक्षेपण किया था। यह प्रक्षेपण 6 सितंबर 2024 को ओडिशा के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से किया गया था। बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि 4 के प्रक्षेपण ने भी सभी परिचालन और तकनीकी मानकों को सफलतापूर्वक पूरा किया था। यह स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड के तत्वावधान में आयोजित किया गया था। नाग एमके- 2 मिसाइल भारतीय सेना की ताकत को और बढ़ाएगी। यह दुश्मन के टैंकों को तबाह करने में मदद करेगी। बता दें कि नाग मिसाइल को डीआरडीओ ने 300 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया है। इसका पहला सफल परीक्षण 1990 में किया गया था। जुलाई 2019 में पोखरण फायरिंग रेंज में इसका परीक्षण किया गया था। इसके अलावा, 2017, 2018 और 2019 में भी अलग-अलग ट्रायल किए गए। जिनमें हर बार नई तकनीक जोड़ी गई। यह मिसाइल डीआरडीओ के एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम का हिस्सा है।
Rajneesh kumar tiwari