नई दिल्ली। एक मिनट में 700 राउंड फायरिंग और दुश्मनों का काल कही जानी वाली एके-203 राइफल आखिरकार सेना को मिल गई। रूस ने भारत को 36 हजार असाल्ट राइफल सौंपी है। एलएसी से लेकर एलओसी तक सेना के जवान इस खतरनाक राइफल से लैस होंगे। पीएम मोदी के दौरे से पहले रूस ने भारत को बड़ा तोहफा दिया है। यह खबर चीन और पाकिस्तान के लिए हार्ट बीट बढ़ाने वाली है। पहले चरण में भारतीय सेना को 35,000 एके 203 राइफलों की डिलीवरी मिली है। इन राइफलों को भारत-रूस ज्वाइंट वेंचर के तहत उत्तर प्रदेश के अमेठी में बनाया गया है। अमेठी की यह फैक्ट्री अब बड़ी संख्या में राइफलों का उत्पादन करेगी। बता दें कि भारतीय सशस्त्र बलों को 600,000 से अधिक राइफलों की आवश्यकता है। सेना की जरुरतों को पूरा करने के बाद भविष्य में यह फैक्ट्री निर्यात लक्ष्य को भी पूरा करेगी। खास बात यह है कि इन राइफलों को बनाने में इस्तेमाल हुए 25 फीसदी पार्ट भारत में तैयार किए गए हैं। भारत सरकार की तरफ से इन असाल्ट राइफलों को बनाने के लिए जुलाई 2021 में रूस के साथ 5000 करोड़ रुपये का कान्ट्रैक्ट साइन किया गया था। इस सौदे में टेक्नोलाजी ट्रांसफर भी शामिल है। इस सौदे के तहत देश में 6.7 लाख से ज्यादा एके-203 असाल्ट राइफलों का निर्माण किया जाना है। बता दें कि एके-203 दरअसल एके-200 असाल्ट राइफल का एक वैरिएंट है। इसके भारतीय सेना में इस्तेमाल होने वाले 7.6 मिमी कारतूस के लिए बनाया गया है। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत बनाई गई ये राइफल्स भारतीय सेना को और मजबूती देंगी। एके 203 राइफल 500-800 मीटर तक फायर करती है। वहीं एक मिनट में यह 700 राउंड गोली दागती है। एके-47 हथियार में जो खूबी है वही एके-203 में भी आती है। मुश्किल मौसम में भी यह काम कर सकती है। कई बंदूकें ठंड या बरसात में दिक्कत करती हैं। वहीं एके 203 को कीचड़, रेत और पानी में ले जाया जा सकता है। इन जगहों पर भी यह काम करती है। बता दें कि अभी तक आतंकियों के खिलाफ आपरेशंस में सेना एके-47 पर आंख मूंद कर भरोसा करती रही है। एके-47 राइफल एक मिनट में 600 राउंड गोलियां दाग सकती है। इसकी रेंज 300 मीटर तक होती है। वहीं इंसास राइफल की क्षमता 600 से 650 गोलियां प्रति मिनट है। एके-203 राइफल इंसास से छोटी और वजन में हल्की है। इंसास का वजन जहां 4.15 किग्रा है, तो एके-203 का वजन 3.8 किग्रा है। एके-203 की बैरल लेंथ 415 एमएम है। इंसास की बैरल लैंथ 464 मिमी है। एके-203 में 7.62 एमएम की नाटो ग्रेड की बुलेट्स लगती हैं। यह ज्यादा घातक होती हैं। यह सेमी-आॅटोमैटिक या आॅटोमैटिक मोड में चलती है। इसमें 30 राउंड की बॉक्स मैगजीन लगती है। कभी-कभी इंसास फायरिंग में जाम हो जाती है। इसमें ओवरहीटिंग की समस्या भी आती है। साथ ही मात्र 400 मीटर रेंज के चलते इंसास से आतंकियों की मौत क्लोज रेंज से फायर पर ही होती है। जिससे वे घायल होने के बाद भी गोलियां चलाते रहते थे।
Rajneesh kumar tiwari