जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत से पंगा, खालिस्तानी प्रोपगेंडा और ट्रंप के कोप ने जस्टिन ट्रूडो का गेम फिनिश कर दिया। कनाडा के समाचारपत्र द ग्लोब एंड मेल ने रिपोर्ट्स ने चौंकाने वाला दावा किया है। रिपोर्ट के अनुसार जस्टिन ट्रूडो अगले एक या दो दिनों के भीतर पद छोड़ सकते हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के दिन पूरे हो गये हैं। खालिस्तानी प्रोपगेंडा और भारत विरोधी एजेंडा के दम पर अपनी राजनीति चमकाना उनके लिए भारी पड़ गए। वहीं अमेरिकी में हुए सत्ता परिवर्तन ने उनका कचूमर निकाल दिया। ट्रंप ने अपनी वापसी होते ही कनाडा पर कई तरह के टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी। इसका परिणाम यह हुआ कि सोमवार सुबह-सुबह जब लोग नींद से जग ही रहे थे तभी कनाडा से आई एक खबर ने लोगों को चौंका दिया। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिन ट्रूडो प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने जा रहे हैं। वे कभी भी अपना पद छोड़ सकते हैं। कनाडा के अखबार द ग्लोब एंड मेल ने तीन सूत्रों के आधार पर बताया कि ट्रूडो लिबरल पार्टी के नेता के तौर पर पद छोड़ने जा रहे हैं। उम्मीद है कि बुधवार को होने वाली एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कॉकस बैठक से पहले ऐसा हो जाएगा। बता दें कि ट्रूडो ने 2013 में लिबरल नेता का पद संभाला था। जब पार्टी गहरे संकट में थी। अक्टूबर 2015 में कनाडा में चुनाव हुए तो ट्रूडो को शानदार जीत मिली। इस चुनाव में लिबरल को 338 सीटों में से 184 सीटों पर जीत मिली। इसके बाद ट्रूडो ने 2019 और 2021 के चुनावों में भी जीत हासिल की। इसके बावजूद हर जीत के साथ ट्रूडो की नीतियों पर पकड़ कमजोर होती गई। कंजरवेटिव पार्टी हावी होती गई। अब स्थिति ये आ चुकी है कि ट्रूडो को अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा है। इसका कारण वे खुद हैं। कनाडा में ट्रू़डो की राजनीति खालिस रूप से भारत के खिलाफ रही है। कनाडा की जमीन से भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वाले हार्डकोर खालिस्तानियों को चुपचाप बर्दाश्त करते रहे। वहां की पुलिस ने उन्हें कानूनी संरक्षण भी दिया। कनाडा में जब भारत की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या को आपत्तिजनक रुप में दिखाया गया तो वहां की पुलिस चुप रही। कनाडा में हिन्दुओं के मंदिरों पर हमले हुए तो भी वहां पुलिस चुप रही। वे उग्रवादियों के वोट के लिए शह देते रहे। ट्रूडो ने खुद स्वीकार किया है कि कनाडा में खालिस्तानी तत्व मौजूद हैं। इससे भारत के साथ उनके रिश्ते बदतर होते चले गए। ट्रूडो के इन कदमों से कनाडा में उनकी लोकप्रियता घटती गई.। एंगस रीड इंस्टीट्यूट और एशिया पैसिफिक फाउंडेशन आॅफ कनाडा द्वारा किये गये सर्वे में यह बात साफ हो गई।कनाडा के 39 फीसदी नागरिक मानते हैं कि कनाडा अपने संबंधों को अच्छी तरह से संचालित नहीं कर रहा है। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि 39 फीसदी कनाडाई मानते हैं कि जब तक ट्रूडो प्रधानमंत्री हैं, तब तक संबंधों में सुधार नहीं होगा। अमेरिकी चुनाव में ट्रंप की जीत ट्रूडो के लिए और भी बुरे दिन लेकर आई। जीत के बाद ट्रंप ने कहा कि वे कनाडा पर 25 फीसदी टैरिफ लगाएंगे। ट्रंप का बयान ट्रूडो के लिए झटके की तरह था। उन्होंने तुरंत अमेरिका की फ्लाइट पकड़ी और ट्रंप से मिलने चले गये। ट्रूडो ने गुपचुप ट्रंप से मुलाकात की और उनके साथ डिनर किया। ट्रंप ने ट्रूडो को फार-लेफ्ट लूनेटिक कह कर उनका मजाक भी बनाया। इसके अलावा ट्रंप ने ट्रूडो को कनाडा के महान राज्य का गवर्नर कहकर संबोधित किया। उन्होंने कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने का सुझाव देते हुए कहा कि इससे टैरिफ और व्यापार मुद्दों पर बातचीत आसान होगी। ट्रूडो के लिए दूसरा झटका ट्रंप के करीबी और दिग्गज बिजनेसमैन एलन मस्क से आया। एलन मस्क ने एक ट्वीट में कहा कि ट्रूडो अगला चुनाव हारने वाले हैं। चुनाव में इनकी विदाई तय है।
Rajneesh kumar tiwari