जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। ब्रह्मोस के बाद अब भारत और रूस मिलकर दुनिया की सबसे खतरनाक ओरेशनिक मिसाइल बनाएंगे। मिसाइल विशेषज्ञों ने इस मिसाइल की ताकत बताई। जिसके अनुसार पृथ्वी पर ऐसा कोई एयर डिफेंस सिस्टम नहीं है जो इसे ट्रैक और नष्ट कर सके। यह पलभर में दुश्मन ठिकानों को खाक कर देगी। रूस ने एक और महाविनाशक हथियार बनाया है। यह रूस की ओरेशनिक मिसाइल है। यूक्रेन में हाल ही में इसका इस्तेमाल किया गया। इसकी ताकत पूरी दुनिया ने देखी। अमेरिकी डिफेंस मिसाइल सिस्टम इसके सामने फेल हो गया। यानी इसे पकड़ नहीं पाया। इसको पकड़ न पाने की वजह इसकी बेहत तेज गति है। जानकारों का मानना है कि जल्द ही भारत और रूस मिलकर यह मिसाइल बनाएंगे। रूस की घातक ओरेशनिक मिसाइल का यूक्रेन में पिछले सप्ताह पहली बार इस्तेमाल किया गया। इस मिसाइल को हेजल के नाम से भी जाना जाता है। रूसी राष्ट्रपति ने इसके सीरियल प्रोडक्शन का ऐलान किया है। यह एक अत्याधुनिक हथियार है। यूक्रेन में काफी अंदर तक रणनीतिक लक्ष्यों के खिलाफ सटीक, हाई स्पीड हमलों के लिए इसे डिजाइन किया गया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि रूस की इस मिसाइल में भारतीय सेना की दिलचस्पी है। ब्रह्मोस की तरह इसे संयुक्त रूप से बनाया जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक यह मिसाइल हर डिफेंस सिस्टम को फेल कर देगी। यानी कोई भी डिफेंस सिस्टम इसे पकड़ नहीं पाएगा। सााथ ही बिना रुके यह मिसाइल दुश्मन टारगेट को पलभर में ध्वस्त कर देगी। रूस ने यूक्रेन के शहर डेनेप्रोपेट्रोव्स्क पर ओरेशनिक मिसाइल दागी थी। जिससे स्थानीय सैन्य फैसिलिटी को भारी नुकसान हुआ था। बाद में रूसी राष्ट्रपति ने पुष्टि की कि यह बिल्कुल नया रूसी हथियार है। स्पुतनिक की रिपोर्ट के अनुसार इसने छह सैन्य औद्योगिक परिसर को निशाना बनाया। देखने में यह किसी परमाणु हथियार से किए गए हमले जैसा लग रहा था। सबसे हैरानी वाली बात यह है कि हमले वाली जगह पर कोई रेडिएशन नहीं पाया गया। रिपोर्ट के अनुसार यह परमाणु हथियारों के अलावा पारंपरिक मध्यवर्ती दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल के रूप में उपयोग की जा सकती है। अन्य मिसाइलों की अपेक्षा ओरेशनिक की अलग पहचान का कारण उसकी स्पीड है। इसकी स्पीड आवाज की रफ्तार से 10 गुना ज्यादा है। भारतीय सैन्य अधिकारियों ने भी माना कि दुनिया की कोई भी वायु रक्षा प्रणाली इसे रोकने में असंभव होगी। अगर अमेरिकी या चीनी डिफेंस सिस्टम की बात करें तो यह इनमें इस मिसाइल को रोकने की ताकत नहीं है। पूर्व भारतीय सैन्य अधिकारी देवनाथ का कहना है कि युद्ध के मैदान में ओरेशनिक से होने वाले नुकसान और इसके रडार पर नजर न आने की क्षमता के कारण भारतीय सेना ऐसे हथियार प्रणाली के लिए उत्सुक होगी। उन्होंने कहा कि इसे स्वदेशी विकास के माध्यम से भी हासिल किया जा सकता है। रूस के साथ मिलकर डीआरडीओ ऐसी मिसाइल विकसित करने में सक्षम है। वहीं स्पुतनिक की रिपोर्ट के अनुसार रूस ने कई महत्वपूर्ण रक्षा टेक्नोलॉजी को आसानी से भारत को दिया है। ओरेशनिक के मामले में भी रूस और भारत पार्टनर बन सकते हैं।
Rajneesh kumar tiwari